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जन्मदिन विशेष: घरेलू झगड़े से टूटी जमीन भरने में लगे हैं अखिलेश यादव

1 जुलाई को अखिलेश अधिकारिक तौर पर 44 साल के हो गए हैं

Harshvardhan Tripathi

विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ा सवाल था कि प्रचंड बहुमत से आई सरकार के सामने निराश समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल कैसे बढ़ाया जाए. ये सवाल इसलिए भी और बड़ा हो गया है क्योंकि चाचा शिवपाल यादव नई पार्टी बनाने के लिए ताल ठोंक रहे थे और पिता मुलायम सिंह यादव हमेशा की तरह हर बीतते पल के साथ रंग बदल रहे हैं.

44 साल के अखिलेश के सामने कड़ी चुनौती 


ऐसे में मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी पर कब्जा कर लेने के आरोप के साथ नई समाजवादी पार्टी की शुरुआत करने की बड़ी जिम्मेदारी अखिलेश के कंधों पर आ गई है. 44 साल की उम्र में अखिलेश के सामने ये बड़ी चुनौती है कि वो कैसे समाजवादी पार्टी का आधार सुरक्षित रखते हुए नए लोगों को समाजवादी पार्टी के साथ जोड़ पाते हैं.

कमाल की बात ये है कि 44 साल के अखिलेश के 17 साल सत्ता के साथ बीते हैं. पिछले 5 साल से अखिलेश राज्य के मुख्यमंत्री थे, उसके पहले 10 साल तक सांसद. लेकिन, उस सत्रह साल की राजनीतिक मजबूती को चाचा शिवपाल यादव कृपा से मिली सफलता बताते हैं. इसीलिए जब आज 1 जुलाई को अखिलेश अधिकारिक तौर पर 44 साल के हो गए हैं, तो ये सवाल उठता है कि अखिलेश वाली नई समाजवादी पार्टी कैसे खड़ी हो पाएगी.

अखिलेश की नई रणनीति

बुरी तरह चुनाव हारने के बाद मायावती ने पूरी तरह से ईवीएम मशीनों पर ठीकरा फोड़ दिया. हालांकि, अखिलेश ने इसे पहले जनता का आदेश कहा. बाद में लगा कि ईवीएम की राजनीति चल सकती है, तो उन्होंने भी ईवीएम मशीनों की जांच कराने की मांग कर दी. लेकिन, जल्दी ही उन्हें यह एहसास हो गया कि फिलहाल ये मुद्दा है नहीं. इसीलिए 25 मार्च को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद समाजवादी पार्टी का सदस्यता अभियान नए सिरे से शुरू करने का फैसला लिया गया.

25 मार्च के बाद लगभग हर तीसरा ट्वीट अखिलेश यादव ने या तो समाजवादी पार्टी के सदस्यता अभियान का किया है या फिर पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात करते हुए. दरअसल, मुख्यमंत्री रहने के दौरान अखिलेश यादव पर एक बड़ा आरोप लगा कि वो कुछ खास लोगों से ही घिरे रहते हैं. और समाजवादी पार्टी के असली कार्यकर्ता मुलायम सिंह यादव वाली समाजवादी पार्टी के हैं.

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समाजवादी पार्टी के एमएलसी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य संजय लाठर कहते हैं कि ये भ्रम है कि समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव ही असली ताकत है. इसी भ्रम को तोड़ने के लिए समाजवादी पार्टी ने 15 अप्रैल से 15 जून तक सदस्यता अभियान चलाया. जिसे बाद में बढ़ाकर 30 जून तक कर दिया गया.

ये सदस्यता अभियान सबके लिए खुली थी. अब इसी आधार पर जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक का चुनाव होगा. संयोग देखिए कि 30 जून को सदस्यता अभियान खत्म होने के अगले ही दिन अधिकारिक तौर पर अखिलेश का जन्मदिन होता है. सदस्यता पूरी हो गई है अब पार्टी को भी आकार लेना है.

अखिलेश के सूत्र 

समाजवादी पार्टी को फिर से खड़ा करने के अखिलेश यादव के तीन सूत्र बिल्कुल साफ है. सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण- नई सदस्यता के बाद जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के चुनाव कराकर ये साबित कर देना कि अब समाजवादी पार्टी का मतलब सिर्फ और सिर्फ अखिलेश यादव है.

दूसरा, प्रदेश की जनता के सामने अपनी साफ-सुथरी वाली छवि को और दुरुस्त करना. इसीलिए अखिलेश यादव ने 6 महीने तक योगी सरकार के खिलाफ कोई आंदोलन न करने का फैसला लिया है.

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तीसरा, प्रदेश की जनता को ये लगातार बताते रहना कि उनकी सरकार ने क्या किया. फिर चाहे वो आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का काम हो, नोएडा एलिवेटेड रोड का काम हो या फिर डायल 100. इसका अंदाजा 24 जून को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक ट्वीट से ठीक से समझ आता है.

अखिलेश यादव के इस ट्वीट को करीब साढ़े आठ हजार लोगों ने पसंद किया. 2200 से ज्यादा लोगों ने इसे रिट्वीट किया है. उत्तर प्रदेश चुनाव नतीजों के बाद अखिलेश यादव के किए गए ट्वीट में से सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया इसी ट्वीट को मिली है.

राम-राम जपना, पराया काम अपना

इसी से उत्साहित होकर कहें या कि अपनी रणनीति के तीसरे सूत्र के तहत अखिलेश ने लगातार लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, इटावा लायन सफारी की तस्वीरें डाली हैं. डायल 100 की सफलता की कहानी को अखिलेश प्रचारित कर रहे हैं.

29 जून को रामगोपाल यादव का सैफई में जन्मदिन था. 30 जून को अखिलेश को विदेश जाना था. लेकिन, अखिलेश विदेश जाने से पहले नोएडा आ गए. और नोएडा में एलिवेटेड रोड पर भी कार्यकर्ताओं के साथ काफी देर तक रहे.

एलिवेटेड रोड अखिलेश के ही कार्यकाल में लगभग पूरी हो गई थी. जिसका लोकार्पण योगी सरकार के मंत्री सतीश महाना ने किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं आए. शायद उसके पीछे, नोएडा आने से सत्ता जाने वाला डर हावी रहा हो. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने नोएडा आकर अपशकुन दूर करने के साथ अपने काम को लोगों को बताने की भी कोशिश की.

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अखिलेश यादव जब अपना जन्मदिन मनाकर विदेश से लौटेंगे, तो ताजा-ताजा समाजवादी पार्टी के सदस्य बने करीब 1 करोड़ कार्यकर्ता उनके निर्देश का इंतजार कर रहे होंगे. पहली बार मिस्ड कॉल और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए भी समाजवादी पार्टी की सदस्यता हुई है.

समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह कहती है कि अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की छवि बदली है. महिला विरोधी, गुंडा पार्टी की छवि किसी न किसी वजह से बन गई थी.

सितंबर के पहले या दूसरे हफ्ते में समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय अधिवेशन करने की तैयारी में है. उस समय तक योगी सरकार के 6 महीने भी पूरे हो जाएंगे. उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति में सितंबर में फिर से बड़ी हलचल देखी जा सकती है. वो वक्त नगर निकाय चुनावों का भी होगा और अखिलेश यादव वाली नई समाजवादी पार्टी की परीक्षा का भी.