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अयोध्या: रामलला के दर्शन करने से पहले हनुमान के इस मंदिर में हाजिरी लगाना क्यों है जरूरी?

मान्यता है कि राम लला के दर्शन करने से पहले हनुमान के मंदिर हनुमानगढ़ी जाना चाहिए. यहां पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं

Rituraj Tripathi

अयोध्या में राम मंदिर को लेकर सियासी हलचल और बयानबाजी जारी है. यह मामला इसलिए भी तूल पकड़ रहा है क्योंकि चुनाव नजदीक हैं और कल 6 दिसंबर है यानि वह दिन जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी. वीएचपी इस दिन को संकल्प दिवस के रूप में मना रही है. 6 दिसंबर को वह सभी मंदिरों में पूजा अर्चना भी करवाएगी.

ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि राम लला के दर्शन करने से पहले क्या जरूरी है. राम लला के दर्शन के लिए जाने से पहले भक्तों को इस बात का ध्यान रखना


जरूरी है कि वह पहले हनुमानगढ़ी जाएं. ऐसा करने के पीछे मान्यता यह है कि हनुमान के इस मंदिर में जाए बिना अगर राम मंदिर चले गए तो यात्रा अधूरी मानी जाएगी. मान्यता यह भी है कि हनुमान की आज्ञा के बिना कोई राम लला के दर्शन के लिए नहीं जा सकता.

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अयोध्या भगवान राम की नगरी है जहां सरयू में लोग अपने पाप धोने आते हैं. मान्यता है कि राम लला के दर्शन करने से पहले हनुमान के मंदिर हनुमानगढ़ी जाना चाहिए. यहां पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. जिन्हें केवल वही शख्स चढ़ सकता है जिस पर हनुमान की कृपा हो. बिना उनकी इच्छा के कोई उनके मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता.

इस मंदिर में हनुमान की 6 इंच की प्रतिमा है जो दक्षिणमुखी है. कहा जाता है कि अयोध्या कई बार बनी और बिखरी लेकिन हनुमान का यह मंदिर ऐसा ही बना रहा. प्राचीन इतिहास में बताया गया है कि भगवान राम जब लंका में रावण का वध करके अयोध्या लौटे तो उन्होंने परमभक्त हनुमान को यही जगह रहने के लिए दी थी और श्रीराम ने कहा था कि जो भी मेरे दर्शन के लिए अयोध्या आएगा, उसे पहले हनुमान का दर्शन और पूजा करनी होगी.

धर्म की दीवार में कैद नहीं हुआ यह मंदिर, नवाब के बेटे को भी मिला था जीवनदान 

इस मंदिर में हुनमान चालीसा की लाइनें दीवारों पर लिखी हैं. यहां के बारे में दिलचस्प यह है कि यह मंदिर कभी धर्म की दीवारों में कैद नहीं हुआ. यहां जिसने भी जो मांगा, वह मिला. इसके पीछे कहानी है कि अयोध्या के नवाब मंसूर अली के पुत्र की हालत एक बार बहुत खराब हो गई थी.

तमाम कोशिशों के बाद भी वह ठीक नहीं हो रहा था और मरने की नौबत आ गई. ऐसे में नवाब ने हुनुमानलला के दरबार में हाजिरी लगाई और उनसे अपने बेटे की जान बचाने की प्रार्थना की.

हनुमान के आशीर्वाद से नवाब का बेटा सही हो गया. जिसके बाद नवाब ने ही इस मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया. यह भी कहा जाता है कि नवाब हनुमान की महिमा से इतना भावुक हो गए कि उन्होंने ताम्रपत्र पर लिखकर इस बात का ऐलान किया कि इस मंदिर पर किसी राजा या शासक का कोई अधिकार नहीं रहेगा और यहां के चढ़ावे से कोई टैक्स वसूल नहीं किया जाएगा.

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मान्यता यह भी है कि जो भक्त हनुमान के इस मंदिर में लाल चोला चढ़ाते हैं, उनके ग्रह शांत हो जाते हैं और जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है. इसके अलावा अयोध्या के बारे में भी अथर्ववेद में कहा गया है कि यह ईश्वर का नगर है जो स्वर्ग के समान है. जिसकी रक्षा हनुमान स्वयं करते हैं.

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