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प्रेमिका के कत्ल की कहानी और बेवफाई के गानों ने अताउल्लाह खान को बना दिया था स्टार

90 के दशक में प्यार में धोखा खाए हुए आशिकों के एक ही आदर्श थे- अताउल्लाह खान. पढ़िए, उनकी असली कहानी

Shivendra Kumar Singh

90 के दशक की बात है. हिंदुस्तान के छोटे शहरों में एक कहानी बड़ी मशहूर हुई. कहानी एक गायक को लेकर थी. जिनका नाम है अताउल्लाह खान. जो कहानी मशहूर हुई वो अपने आप में पूरी की पूरी फिल्मी थी. ऐसी चर्चा हुई कि अताउल्लाह खान किसी लड़की से प्यार करते थे, जिसने उन्हें धोखा दे दिया.

प्रेमिका की बेवफाई से नाराज अताउल्लाह खान ने उसकी हत्या कर दी. वो पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. वहीं से रिकॉर्डिंग होती है और उनके गाने लोगों तक पहुंचते हैं. बाद में जब उस दौर में तमाम गायकों को शोहरत दिलाने वाली कंपनी टी-सीरीज से उनके कैसेट निकले तो कहानी का क्लाइमैक्स और मजेदार हो गया. लोग कहने लगे कि गुलशान कुमार ने पाकिस्तान जाकर उनकी कैसेट रिकॉर्ड की है.


ये कहानी कैसे फैली, किसने फैलाई और इसका मकसद क्या था ये तो नहीं पता चला लेकिन बाद में पता चला कि कहानी थी पूरी फिल्मी. यानी ऐसी कहानी जिसमें कोई सच्चाई नहीं थी. सिवाय इस बात के कि अताउल्लाह खान पाकिस्तान के रहने वाले हैं और वाकई एक गायक हैं. इस दिलचस्प कहानी के किरदार अताउल्लाह खान का आज जन्मदिन है.

बेवफाई की दास्तां सुनाते अताउल्लाह

90 का दशक यूं भी कुमार सानू, नदीम श्रवण और समीर का दशक था. एक से बढ़कर एक रोमांटिक गाने इसी दौर में तैयार हुए. ऐसे दौर में बेवफाई की दास्तां कहते गाने ‘अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का’ ‘दिल तोड़ के हंसती हो मेरा वफाएं मेरी याद करोगी’ 'मुझको दफनाकर जब वो वापस जाएंगे, साथ रकीबों के वो जश्न मनाएंगे' या ‘इश्क में हम क्या बताएं किस तरह चोट खाए हुए हैं’ बाजार में आते ही हिट हो गए.

गाने की शुरूआत में भर्राई आवाज में अताउल्लाह खान का कहना कि 'निगाहें मिलाकर किया दिल को जख्मी, अदाएं दिखाकर सितम ढा रहे हो, वफाओं का क्या खूब बदला दिया है तड़पता हुआ छोड़कर जा रहे हो' ने इश्क में धोखा खाए लोगों को वाकई अताउल्लाह खान की फिल्मी कहानी पर भरोसा करने के लिए मजबूर कर दिया.

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ये सारे गाने 1992 में रिलीज एल्बम बेदर्दी से प्यार का हिस्सा थे. जो गुलशन कुमार ने प्रोड्यूस किया था. बाद में 1995 में गुलशन कुमार ने अपने भाई किशन कुमार को लेकर बेवफा सनम फिल्म बनाई, जिसमें ये सभी गाने भी शामिल किए गए. इस फिल्म में किशन कुमार के अलावा शिल्पा शिरोडकर, अरुणा इरानी और शक्ति कपूर जैसे अभिनेता थे. फिल्म के गानों को सोनू निगम, उदित नारायण, नितिन मुकेश और पूर्णिमा ने आवाज दी थी. संगीत निखिल विनय का था. दिलचस्प बात ये है कि फिल्म में प्रेमी को प्रेमिका का खुलेआम कत्ल करते दिखाया भी गया. फर्क सिर्फ इतना था कि प्रेमी का गायकी से कोई नाता नहीं था. वरना अताउल्लाह खान की नकली कहानी को और दम मिला होता.

अताउल्लाह खान की असली कहानी

खैर, अताउल्लाह खान की असल कहानी पर आते हैं. 19 अगस्त 1951 को पैदा हुए अताउल्लाह खान को बचपन से ही संगीत सीखने की तमन्ना थी. परेशानी ये थी कि उनकी गायकी अब्बा को बिल्कुल नहीं सुहाती थी. बात यहां तक बिगड़ गई कि उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया. ऐसे में अताउल्लाह खान जब वापस घर लौटे तो उनके पास गायकी का इकलौता समय तब होता था जब उनके अब्बा घर पर ना हों. कहते हैं कि अब्बा जब हज पर चले जाते थे तो अताउल्लाह खान गाते थे. हां, उनके स्कूल में एक टीचर जरूर थे जिन्होंने अलाउल्लाह खान को मोहम्मद रफी और मुकेश के गाने सुनते रहने और गाते रहने की नसीहत दी थी. ये नसीहत काम आई.

अताउल्लाह खान लाख बंदिशों के बाद भी अपनी गायकी को जारी रखने में कामयाब हुए. 18 साल की उम्र में जब उन्हें समझ आ गया कि अब्बा और बाकी घरवाले उनके इस शौक के रास्ते में हमेशा बंदिशें लगाएंगे तो उन्होंने घर ही छोड़ दिया. अगले 3 साल में वो उस रास्ते पर पहुंच गए जहां से उन्हें वो मुकाम हासिल हुआ जिसके वो हकदार थे. 1972 में उन्हें बहावलपुर के रेडियो पाकिस्तान में गायकी का न्यौता आया. अगले ही साल वो टीवी के एक लोकप्रिय कार्यक्रम में फीचर किए गए. 21-22 साल की उम्र में अताउल्लाह खान पाकिस्तान के एक पहचान वाले चेहरे बन चुके थे.

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1977 में आया बेस्टसेल कैसेट, मिल चुके हैं कई बड़े सम्मान

उनकी शोहरत और परवान चढ़ी, जब 1977 में फैसलाबाद की एक कंपनी ने उनका कैसेट रिलीज किया. देखते ही देखते वो कैसेट ‘बेस्टसेलर’ बन गया. जल्दी ही पाकिस्तान के बाहर भी अताउल्लाह खान की बात होने लगी. उन्हें इंग्लैंड बुलाया गया. वहां उन्होंने कार्यक्रम पेश किया. वो उनका पाकिस्तान के बाहर पहला कार्यक्रम था. धीरे धीरे उनकी लोकगायकी, बाबा बुल्ले शाह के कलाम और उनकी आवाज का दर्द लोगों को भा गया. अताउल्लाह खान महज 40 साल के थे जब उन्हें पाकिस्तान के एक बड़े सम्मान से नवाजा गया.

इसी खिताब के अगले साल गुलशन कुमार ने उनका कैसेट रिकॉर्ड किया. अताउल्लाह खान की आवाज हिंदुस्तान पहुंची और उसी के साथ पहुंची वो कहानी जिसका जिक्र हमने शुरू में किया था. खैर, 1994 में अताउल्लाह खान को ब्रिटेन की महारानी ने भी सम्मानित किया. इसी दौरान 7 भाषाओं में करीब 50,000 गाने रिकॉर्ड करने वाले अताउल्लाह खान का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ. संगीत के शौकीन लोगों में जबरदस्त पॉपुलर कोक स्टूडियो की रिकॉर्डिंग में भी अताउल्लाह खान अपनी गायकी का जलवा बिखेर चुके हैं.

दिलचस्प बात ये है कि अताउल्लाह खान की आवाज भले ही 90 के दशक में हिंदुस्तान पहुंच चुकी थी लेकिन वो खुद 2014 में पहली बार हिंदुस्तान आए. पुराना किला में उनका कार्यक्रम हुआ था. हिंदुस्तान से जाते-जाते उन्होंने दोनों मुल्कों के अवाम के बीच दूरियों को कम करने का संदेश दिया. अताउल्लाह खान की गायकी का एक पहलू सोनू निगम से भी जुड़ा है. मोहम्मद रफी के गाने गाकर अपनी ज़मीन तलाश रहे सोनू निगम के लिए 'बेवफा सनम' का गाना 'अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का' वरदान साबित हुआ था. अताउल्ला खां के इस गाने की ‘पॉपुलैरिटी’ सोनू निगम के लिए बतौर प्लेबैक सिंगर टेक-ऑफ का ज़रिया बनी थी.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)