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डोगा, प्लीज जल्दी आओ, हमें तुम्हारी जरूरत है...

डोगा अब कॉमिक्स के पन्नों से निकल कर पर्दे पर दिखेगा

Pawas Kumar

डोगा आ रहा है- गाय और मोर की अंधाधुंध चर्चा के दौर में कुत्ते की शक्ल वाले इस सुपरहीरो से जुड़ी खबर मेरे गर्मा गए दिमाग को थोड़ा ठंडा कर गई. डोगा अब कॉमिक्स के पन्नों से निकल कर पर्दे पर दिखेगा. डोगा पर वेब सीरिज बन रही है और कुणाल कपूर इसमें डोगा का किरदार निभाएंगे.

बचपन में शायद किस ने पूछा होता कि किस सुपरहीरो पर फिल्म देखना पसंद करोगे तो जवाब होता- सुपर कमांडो ध्रुव. लेकिन अब मुझे लगता है कि डोगा से शानदार शुरूआत इंडियन कॉमिक्स के सुपरहीरो के लिए हो ही नहीं सकती. यहां सुपरहीरो शब्द का इस्तेमाल करते हुए मैं थोड़ी आजादी ले रहा हूं क्योंकि डोगा के पास कोई सुपरपावर नहीं है. और यही उसकी सबसे बड़ी खासियत है. डोगा का फॉर्मूला सिंपल है- जो गलत है उसे खत्म करो. कानून की नजरों में वह अपराधी है और लोगों की नजरों में हीरो.


जिन्होंने राज कॉमिक्स नहीं पढ़ी है (आजकल के लड़कों) को समझाना हो तो कहूंगा- डोगा बैटमैन जैसा है. शक्ल छुपाकर, अंधेरे में रहकर अन्याय के खिलाफ लड़ने वाला एक रक्षक. दूसरी जिंदगी में वह सूरज है जो एक सीधा-सादा मेहनती लड़का है. बैटमैन के अल्फ्रेड की तरह उसकी मदद के लिए अदरक चाचा हैं (डोगा के चार चाचा हैं- हल्दी, धनिया, अदरक और काली मिर्च) और कमिश्नर गॉर्डन की तरह साथ देने वाला इंस्पेक्टर चीता.

खैर ये तो बात कॉमिक्स और कहानी की है लेकिन डोगा की अपील बस इतनी नहीं है.

आजकल जब हर बात पर बहुत बात (या ट्रोलिंग) होती है. हर सवाल के ढेरों जवाब होते है. हर चीज ट्रेंडिंग और नॉट ट्रेंडिग के तराजू पर तोली जाती है- डोगा का किरदार आपको अपने अंदर के गुस्से को निकालने का मौका देता है. डोगा सवाल नहीं करता, जवाब देता है. सही को सही और गलत को गलत बताने में उसे देर नहीं लगती. और फैसला ऑन द स्पॉट होता है. वो कहते हैं न कि 'डोगा समस्याओं का हल नहीं करता, उन्हे जड़ से उखाड़ फेंकता है.'

काल्पनिक दुनिया का यह गुस्सा मुझे आभासी दुनिया के गुस्से से तो बहुत बेहतर लगता है.

डोगा का किरदार 70 के दशक के एंटी-हीरो जैसा है- जो अच्छा तो है लेकिन सिस्टम के खिलाफ है. जिसने आखिरकार चीजें बदलने का बीड़ा खुद उठा लिया है. अगर आने वाली वेब सीरीज डोगा के इस रूप को सामने रख पाई तो मुझे लगता है कि यह हमपर एहसान होगा.

आज हमने जब सारी चीजें काफी कॉम्प्लिकेटेड कर दी हैं, डोगा का सिंपल लॉजिक अपील करता है. आजकल जब इंटरनेट पर सब बड़े (और कुछ लोग बड़े वाले) होते जा रहे हैं, डोगा बचपन में लौटने का एक मौका देता है. डोगा और उसकी दुनिया कुछ ही घंटों के लिए सही लेकिन असली दुनिया से बच निकलने का मौका देती है. इसलिए मैं कहता हूं कि डोगा- मेरे 'डार्क नाइट'- जल्दी आओ, हमें तुम्हारी जरूरत है (हो सके तो ध्रुव को भी अपने पीछे-पीछे ले आना).