हिंदी कॉमिक्स के दीवानों के लिए एक अच्छी खबर है. डोगा अब कॉमिक्स के पन्नों से निकल कर पर्दे पर दिखेगा.
फ़र्स्टपोस्ट ने इस मौके पर राज कॉमिक्स के सीईओ मनीष गुप्ता से बात की और साथ ही ये भी पता करने की कोशिश की कि आखिर क्यों हिंदुस्तान की कॉमिक्स के किरदार हॉलीवुड के सुपरहीरोज की तरह फिल्म और टीवी के पर्दे पर नहीं दिखाई देते हैं.
आगे बढ़ने से पहले जान लीजिए कि कुछ समय पहले मशहूर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर अनुराग कश्यप ने डोगा पर फिल्म बनाने की बात की थी. उन्होंने इसके रोल के लिए कुणाल कपूर को लेने का ऐलान भी किया था.
फिलहाल डोगा पर वेब सीरिज बन रही है और कुणाल ही इसमे डोगा का किरदार निभाएंगे. मगर ये प्रोजेक्ट अनुराग कश्यप की फिल्म से बिलकुल अलग है. इसकी स्क्रिप्ट डोगा का किरदार गढ़ने वाले संजय गुप्ता और मनीष गुप्ता लिख रहे हैं. साथ ही ये राज कॉमिक्स की बनाई वेब सीरिज होगी.
इसमें कोई शक नहीं कि देसी सुपरहीरो की बात करते ही तीन नाम जेहन में आते हैं- ध्रुव, नागराज और डोगा. इनमें नागराज और ध्रुव डोगा से पहले के किरदार हैं.
डोगा ही क्यों?
डोगा जब 1992 में लॉन्च हुआ तब तक ध्रुव और नागराज स्थापित सुपरहीरो बन चुके थे. ऐसे में सवाल उठता है कि डोगा पर पहले काम क्यों?
असल में बात ये है कि नागराज पर फिल्म बनाने के लिए बहुत बड़े बजट की जरूरत है. नागलोक के ग्राफिक्स और नागराज के वीएफएक्स के लिए बाहुबली या उससे भी बड़े स्तर की फिल्म बनानी पड़ेगी. वहीं डोगा पर काम करना विजुअल मीडियम के व्याकरण की नजर से थोड़ा आसान है.
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इससे अलग डोगा की एंटी-हीरो वाली छवि. उसका सिस्टम से परे जाकर काम करना भी एक ऐसा कारण है जो डोगा के कमर्शियल पहलू को बेहतर बनाता है.
बाहुबली का ‘मेरा वचन ही मेरा शासन है’ कहना, या ‘रंग दे बसंती’ में कानून हाथ में लेना जिस तरह से जनता को पसंद आता है, वो डोगा जैसे ग्रे-शेड वाले सुपरहीरो को थोड़ा और ताकतवर बना देता है.
क्यों नहीं बनती हैं कॉमिक्स के सुपरहीरो पर फिल्में?
मनीष सुपरहीरो फिल्मों में कॉमिक्स के किरदारों की गैरमौजूदगी के दो कारण गिनाते हैं.
वो बताते हैं कि पहली समस्या तो क्रिएटिविटी बचाए रखने और इंटेलेचुअल प्रॉपर्टी के कॉपीराइट की है. कई बड़े प्रोड्यूसर सुपरहीरो फिल्म तो बनाना चाहते हैं मगर उनका कहना होता है कि आप एक निश्चित रकम लेकर भूल जाइए. हम अपने हिसाब से फिल्म बनाएंगे.
सुपरहीरो फिल्म सिर्फ कॉस्ट्यूम पहनकर एक्शन करना नहीं है. हर सुपरहीरो की अपनी एक छवि होती है. उसका सोचने समझने का अलग ढंग होता है. एक ही सिचुएशन में डोगा और ध्रुव बिलकुल अलग तरह से रिएक्ट करेंगे. हर फैन ये बात जानता है मगर फिल्म वाले इसे समझना नहीं चाहते.
इसके अलावा दूसरा कारण पैसों का है. हिंदी सिनेमा जितना पैसा सेट और स्टार्स पर खर्च करता है. उतना लेखकों और क्रिएटिव चीजों पर नहीं खर्च करता है. जो प्रोड्यूसर क्रिएटिव प्रोसेस में कॉमिक्स बनाने वालों की बात मान जाते हैं वहां पैसे की दिक्कत होती है.
डोगा के बाद किसकी बारी?
इसके आगे बातचीत में मनीष बताते हैं कि डोगा पर बनने वाली इस वेब सीरिज का पहला सीजन लगभग दस एपिसोड का होगा. मुख्य किरदार के लिए कुणाल कपूर हैं. मगर निर्देशक और बाकी किरदार अभी फाइनल नहीं हुए हैं.
All superheroes don't wear capes. Some just have brutal force! #Doga #Dreamproject pic.twitter.com/D1t8xUQ35v
— kunal kapoor (@kapoorkkunal) May 31, 2017
इसके साथ ही वो जोड़ते हैं कि ये सीरिज अंतरराष्ट्रीय स्तर की होगी और अमेजन प्राइम या नेटफ्लिक्स जैसे किसी वेब प्लेटफॉर्म पर 2018 की दूसरी छमाही में रिलीज होगी.
डोगा का इंतजार तो हमें है ही मगर डोगा के बहाने ध्रुव और नागराज जैसे किरदारों का फिल्मी पर्दे पर न दिखना हमें सालता है. इसके पीछे की समस्या को समझने के लिए हॉलीवुड के सुपरहीरो फिल्म बनाने के तरीके को समझ लीजिए.
कैसे बनती हैं हॉलीवुड में कॉमिक्स के सुपरहीरो पर फिल्में?
हॉलीवुड में कॉमिक्स की दुनिया में दो बड़े नाम हैं- डीसी और मार्वल. डीसी के किरदार अमूमन फिलॉसफी भरी बातें करने वाले और गहरे टोन वाले होते हैं, जैसे- बैटमैन, सुपरमैन और वंडरवुमेन वगैरह. वहीं मार्वल के किरदार ज्यादा रंगबिरंगे और पॉपुलर कल्चर से जुड़े होते हैं.
हॉलीवुड के स्टूडियो इन सुपरहीरो को कॉमिक्स बनाने वालों से किराए (लाइसेंस) पर लेता है. किराए की शर्त ये होती है कि एक निश्चित रकम के बदले कुछ समय के लिए ये किरदार एक खास स्टूडियो को दिया जाएगा.
भले ही उस समय के भीतर स्टूडियो उस सुपर हीरो पर फिल्म बनाए या न बनाए. फिल्म और उससे जुड़ी तमाम मार्केटिंग से जो पैसा आता है उसमें भी कॉमिक्स को हिस्सा मिलता है.
स्पाइडर मैन को सोनी ने मार्वल से किराए पर ले रखा है. फॉक्स ने एक्स मैन के किरदारों को किराए पर ले रखा है. मार्वल को जब अपनी एवेंजर सीरिज के लिए स्पाइडर मैन की जरूरत पड़ी तो कुछ फिल्मों के लिए सोनी ने इसकी इजाजत दी.
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वॉल्वरीन जैसा किरदार फॉक्स के पास होने से मार्वल चाहकर भी खुद अपनी फिल्म में नहीं इस्तेमाल कर सकता है. दूसरी ओर मार्वल स्टूडियो अब डिज्नी का हिस्सा है इसलिए कह सकते हैं कि डिज्नी ने अपनी सुपरहीरो फिल्में बनाने का काम कॉमिक्स से जुड़े सबसे काबिल लोगों को दे रखा है.
हम उम्मीद कर सकते हैं कि डोगा पर बनने वाली इस वेब सीरिज के साथ हिंदी सिनेमा और कॉमिक्स के बीच की दूरी घटेगी.
हम ये भी उम्मीद रखते हैं कि सूरज जैसी छवि रखने वाले कुणाल कपूर डोगा के किरदार का वैसा ही पर्याय बन जाएंगे जैसा लोगन के लिए ह्यू जैकमैन या आयरन मैन के लिए रॉबर्ट डाउनी जूनियर बन गए है. हालांकि इसके लिए उन्हें अपनी मसल्स थोक में बढ़ानी पड़ेंगी.
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