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सुप्रीम कोर्ट की 'परीक्षा' में राकेश अस्थाना फेल होंगे या पास?

जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ ने पिछले ही दिन दोनों पक्षों की दलीलें सुन कर फैसला 28 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था

Ravishankar Singh

देश की ब्यूरोक्रेसी में गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को लेकर एक बार फिर से अफवाहों का बाजार गरम है. सीबीआई के विशेष निदेशक के तौर पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट 28 नवंबर को फैसला सुना सकता है. कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सीबीआई में एडिशनल डायरेक्टर से पदोन्नत कर स्पेशल डायरेक्टर बना दिया था.

राकेश अस्थाना की नियुक्ति को लेकर एक एनजीओ 'कॉमन कॉज' सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. एनजीओ की तरफ से केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण का कहना था कि इस नियुक्ति में केंद्र सरकार ने चयन समिति और सीबीआई के निदेशक की राय को नजरअंदाज किया है, जो कि कानून उल्लंघन है.


सुप्रीम कोर्ट में अपने दलील में अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि राकेश अस्थाना की नियुक्ति गैरकानूनी तरीके से की गई है. क्योंकि, कुछ दिन पहले ही आयकर विभाग ने एक डायरी बरामद की है, इस डायरी में राकेश अस्थाना का भी नाम शामिल है.

प्रशांत भूषण के मुताबिक, ‘सीबीआई खुद ही उस कंपनी और कुछ सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दिया है, ऐसे में राकेश अस्थाना का कंपनी के डायरी में नाम आना कुछ और ही इशारा करती है. कहीं न कहीं राकेश अस्थाना को भी कंपनी की ओर से गैरकानूनी तरीके से फायदा पहुंचाया गया है?’

प्रतीकात्मक तस्वीर

एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि जब तक सीबीआई उस कंपनी और कुछ सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ जांच पूरी नहीं कर लेती तब तक राकेश अस्थाना को सीबीआई से किसी दूसरी एजेंसी में तबादला कर दिया जाए.

गौरतलब है कि पिछले दिनों ही सीबीआई ने ‘स्टलिंग बायोटेक’ कंपनी के खिलाफ जांच में एक डायरी बरामद की थी. जिसमें राकेश अस्थाना का नाम शामिल है.

अधिवक्ता प्रशांत भूषण का कहना है कि स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना का बेटा इसी कंपनी में काम करता है. साथ ही बेटी की शादी भी जिस बैंक्वेट हॉल में की गई वह भी इसी कंपनी का है. ऐसे में राकेश अस्थाना अगर स्पेशल डायरेक्टर बने तो एजेंसी स्वंतत्र तरीके से जांच नहीं कर पाएगी.

दूसरी तरफ सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि वह(राकेश अस्थाना) अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील, किंगफिशर और विजय माल्या, मोइन कुरैशी, हसन अली जैसे कई हाईप्रोफाइल घोटालों की निगरानी कर रहे हैं, इसलिए उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है.

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केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में जिरह के दौरान कहा, बायोटेक मामले में दर्ज एफआईआर में राकेश अस्थाना का नाम शामिल नहीं है. वेणुगोपाल का कहना है कि खुद समिति ने ही उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी है जिसमें सीबीआई निदेशक की भी इसमें मंजूरी है. अटॉर्नी जनरल ने चयन समिति के मिनट्स-टू-मिनट्स फाइल भी अदालत में पढ़कर सुनाई.

गौरतलब है कि राकेश अस्थाना के पास इस समय सीबीआई के कई केस हैं, जिसमें से अगस्ता वेस्टलैंड डील और विजय माल्या केस भी मुख्य रूप से शामिल है. साथ ही कई राजनेताओं की जांच की जिम्मेदारी भी है. मसलन मुलायम सिंह यादव, मायावती, ममता बनर्जी लालू प्रसाद यादव उनके पत्नी राबड़ी देवी और बेटे-बेटियों के खिलाफ कई केस हैं.

राकेश अस्थाना इससे पहले भी देश में चर्चित चारा घोटाले की प्रारंभिक जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. राकेश अस्थाना के सीबीआई में रहते ही लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले में शिकंजा कसा गया था. अस्थाना 1984 के बैच के गुजरात कैडर के अफसर हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र माने जाते हैं.साल 2015 में ही राकेश अस्थाना को मोदी सरकार सीबीआई में एडिशनल डायरेक्टर के रूप में लेकर आई थी. सीबीआई के पूर्व निदेशक अनिल सिन्हा के पिछले साल 2 दिसंबर को रिटायर होने से ठीक पहले राकेश अस्थाना को सीबीआई का इंचार्ज डायरेक्टर बना दिया गया था.

पिछले साल मोदी सरकार ने 1 दिसंबर 2016 की रात को एक चौंकाने वाला निर्णय करते हुए सीबीआई में ही नंबर 2 रहे स्पेशल डायरेक्टर रूपक कुमार दत्ता को गृहमंत्रालय में ट्रांसफर कर दिया था और सीबीआई में ही एडिशनल डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे नंबर तीन आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को इंचार्ज डायरेक्टर बना दिया था. जिसको लेकर उस समय काफी बवाल मचा था.

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गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही कॉमन कॉज एनजीओ की याचिका के बाद जस्टिस दीपक गुप्ता ने इस केस की सुनवाई से अपने-आपको अलग कर लिया था. जिसके बाद इस केस को दूसरी बेंच में ट्रांसफर कर दिया गया था.

जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ ने पिछले ही दिन दोनों पक्षों की दलीलें सुन कर फैसला 28 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. सरकार की तरफ से देश के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने एनजीओ की याचिका का विरोध किया था.

हम आपको बता दें कि पिछले महीने के 22 तारीख को ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने आईबी, सीआरपीएफ, सीबीआई, बीएसएफ और एनआईसीएएफएस में आठ अधिकारियों को विशेष निदेशक के पद पर नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.