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अन्ना के आंदोलन में कैसी-कैसी मांगें लेकर पहुंचे हैं लोग

कोई प्रधानमंत्री बनना चाह रहा है तो किसी की पत्नी ने उसे मृत घोषित करा दूसरी शादी कर ली है

Ravishankar Singh

दिल्ली के रामलीला मैदान में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का अनिश्चितकालीन अनशन जारी है. अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सात साल पहले भी रामलीला मैदान में अनशन शुरू किया था. अन्ना हजारे के उस आंदोलन को देश में काफी समर्थन मिला था, लेकिन इस बार के आंदोलन उतना समर्थन नहीं मिल रहा है.

आपको बता दें कि अनशन के पहले दिन यानी 23 मार्च को जहां 4 से 5 हजार की भीड़ थी, वहीं सोमवार को यह भीड़ 1500 लोगों तक सिमट कर रह गई. इन 1500 लोगों में भी उन लोगों की तादाद ज्यादा है, जो पहले भी अपनी उल-जुलूल मांगों को लेकर चर्चा में आते रहे हैं.


अन्ना हजारे ने पिछले शुक्रवार को ही अपना अनशन शुरू किया था. अन्ना हजारे का अब तक चार किलो से ज्यादा वजन घट चुका है. अन्ना के साथ लगभग 227 लोग अनशन कर रहे हैं, जिनमें तीन लोगों को अबतक अस्पताल में भर्ती करवाया जा चुका है. इसके बावजूद अन्ना अभी भी डटे हुए हैं.

सोमवार का दिन अनशन का चौथा दिन था. रामलीला मैदान में अन्ना हजारे मुख्यतौर पर तो किसानों की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं, लेकिन उनके इस आंदोलन में तरह-तरह के लोग भी शामिल हो रहे हैं. वैसे लोग जो सालों से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे, वे लोग भी अन्ना के आंदोलन में शामिल हो कर अपनी मांगों के साथ बैठे हुए हैं.

जमीन मांग रहे गजाधर आए हैं प्रधानमंत्री बनने 

बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के रहने वाले गजाधर सिंह भी रामलीला मैदान में आंदोलकारियों की भीड़ का हिस्सा हैं. उनका कहना है कि अन्ना हजारे से मिलने की कोशिश तो किया है पर अभी तक मुलाकात नहीं हुई है. उन्होंने अन्ना की तरह भूख हड़ताल नहीं किया है. वह मंदिर जाकर खाना-पीना खा रहे हैं.

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फ़र्स्टपोस्ट हिंदी ने उनके रामलीला मैदान में आने का कारण पूछा तो उनका कहना था, ‘अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ही हमारी जमीन को केंद्र सरकार ने हथिया लिया था. यह काम हमारी मर्जी के बगैर किया गया. कुछ दिन बाद हमारे रिश्तेदारों ने एक बार फिर से हमारी कुछ जमीन को अपने कब्जे में ले लिया. गृहमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक हमने पत्र लिखा लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.’

उनकी बातों से लगा कि उसके साथ नाइंसाफी हुई है. थोड़ी देर बात बातचीत में पता चला कि वह देश का प्रधानमंत्री भी बनना चाह रहे हैं. वह कहते हैं कि देश को भ्रष्टाचार से अगर कोई मुक्ति दिलाएगा तो वह गजाधर ही होगा. इन आंदोलनकारी को दो बच्चे हैं. एक 21 साल और दूसरा 17 साल का. प्रधानमंत्री बनाने के लिए पत्नी भी दिन-रात उसका साथ दे रही है.

रंगनाथ की पत्नी ने किया उन्हें मृत घोषित, कर ली दूसरी शादी 

रामलीला मैदान में मौजूद महाराष्ट्र के नासिक जिले का रहनेवाला एक आदिवासी रंगनाथ विठोबा कंक की कहानी यह है कि वो रेलवे के कर्मचारी थे. नौकरी के तीन साल बचे थे कि पत्नी ने ही कंक को मृत घोषित करा, भाई की बेटी को अनुकंपा पर नौकरी दिला दी और खुद दूसरी शादी कर ली.

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अब रंगनाथ कंक का कहना है, ‘रेलमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पत्र लिखा पर कुछ कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है. अब सिर्फ एक ही उम्मीद की किरण बची हुई है वह हैं अन्ना हजारे. मैं जिंदा हूं और मेरी नौकरी कैसे किसी और को मेरे रहते दे दिया गया. मेरी खुद की बेटी है, उसको नौकरी नहीं मिली है.’

रंगनाथ विठोबा कंक अभी तक अन्ना हजारे से मुलाकात नहीं कर पाए हैं. कई बार पर्ची मंच तक पहुंचाए लेकिन अभी तक जवाब का इंतजार कर रहे हैं.

यूपी के मथुरा से आए एक किसान नत्थी सिंह का दर्द कुछ और है. नत्थी सिंह भी रामलीला मैदान में अनशन में शामिल होने आए हैं. लेकिन, इनका कहना है कि मंच से सिर्फ फिल्मी गानों को ही बजाया जाता है. आंदोलन किसान के नाम पर हो रहा है लेकिन किसान की बात कोई नहीं कर रहा है. अन्ना को कुछ लोगों ने हाईजैक कर लिया है.’

कुल मिलाकर कर कहा जा सकता है कि इस बार का अन्ना आंदोलन किसी एक दिशा की तरफ न जाकर कई दिशाओं में घूम रही है. ऐसे में तरह-तरह के लोग और उनकी उल-जुलूल मांगों पर कब तक आंदोलन चलेगा?