अन्ना हजारे के अनशन के चौथे दिन केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है. सरकार ने महाराष्ट्र के एक कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन को अन्ना हजारे के पास अपना दूत बना कर भेजा. महाराष्ट्र सरकार के जलसंसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने सोमवार को अन्ना हजारे से डेढ़ घंटे तक मुलाकात की.
गिरीश महाजन ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहा है कि अगले 24 घंटे के अंदर केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों की अन्ना हजारे से मुलाकात होने वाली है. ऐसे में कहा जा सकता है कि मंगलवार तक अनशन खत्म हो जाएगा. क्या अलग है?
अन्ना हजारे की इस भूख हड़ताल में पहली बार यह देखने को मिला है कि सरकार की तरफ से किसी मंत्री ने अन्ना हजारे से मुलाकात की हो. 2011 के अन्ना आंदोलन में भी केंद्र सरकार की तरफ से कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत विलासराव देशमुख मध्यस्थता की शुरुआत की थी.
अन्ना हजारे बीते 23 मार्च से अपनी 11 मांगों को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान पर भूख हड़ताल पर बैठे हैं. चौथे दिन अन्ना का वजन 4 किलो कम हो गया है. ऐसे में लोगों को लगने लगा है कि केंद्र सरकार अन्ना हजारे की मांग को लेकर कितना गंभीर है?
मंगलवार को खत्म हो जाएगी भूख हड़ताल
गिरीश महाजन ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहा, ‘अन्ना हजारे की 11 मांगें हैं, जिनमें ज्यादातर मांगों पर केंद्र सरकार ने पहले ही कई कदम उठा लिए हैं. मंगलवार तक बाकी मुद्दों पर अन्ना और केंद्र सरकार के मंत्रियों से चर्चा के बाद अनशन खत्म कर दिया जाएगा. मंगलवार शाम तक अन्ना का आंदोलन खत्म हो जाएगा.’
गिरीश महाजन आगे कहते हैं, ‘देखिए अन्ना जी के स्वास्थ्य को लेकर हमलोग चिंतित हैं. मैंने महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार दोनों की तरफ से अन्ना हजारे से अनशन खत्म करने का अनुरोध किया है. अन्ना की 60 से 70 फीसदी मांगों को हमलोग पहले ही अपने केंद्रीय बजट में शामिल कर चुके हैं. रही बात चुनाव आयोग से संबंधित मांगों की उस पर भी विचार किया जा रहा है. अगले 24 घंटे के अंदर केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री की अन्ना से मुलाकात होने वाली है. उम्मीद है अन्ना अपना अनशन जल्दी ही खत्म कर लेंगे’
इस मुलाकात का क्या है मतलब?
गिरीश महाजन और अन्ना हजारे की यह मुलाकात इस बात की तरफ भी इशारा करता है कि केंद्र सरकार अन्ना हजारे के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है और मामला जल्दी खत्म करना चाह रही है. गिरिश महाजन और अन्ना की मुलाकात से यह तय हो गया है कि सरकार पिछले दरवाजे से नहीं बल्कि अन्ना से सीधे बातचीत करना चाहती है.
अन्ना हजारे पिछले 75 घंटे से किसानों से संबंधित कई मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर चौतरफा हमला बोल रहे हैं. अन्ना हजारे किसानों की मांगों के साथ देश में सशक्त लोकपाल, चुनाव सुधार और कई मांगों के साथ अनशन पर डटे हुए हैं.
इस बार भीड़ नहीं
हालांकि, इस आंदोलन के रणनीतिकारों को यह चिंता सता रही है कि उम्मीद के मुताबिक भीड़ रामलीला मैदान नहीं जुट रही है. अनशन के पहले दिन का भीड़ जरूर थोड़ा बहुत उत्साहवर्धक रहा हो, लेकिन उसके बाद भीड़ लगातार घटती ही जा रही है. सोमवार को भी दिल्ली के रामलीला मैदान में बमुश्किल 1500 की भीड़ होगी. इसके बावजूद अन्ना हजारे के जोश में कोई कमी नहीं नजर नहीं आ रही है.
23 मार्च को आयोजकों की तरफ से कहा जा रहा था कि रविवार को भीड़ आनी शुरू हो जाएगी, लेकिन रविवार को भी भीड़ नहीं पहुंची. उलटे जो लोग पहले दिन दिख रहे थे, उसमें अधिकांश किसान रामलीला मैदान से सोमवार को जा चुके थे.
रामलीला मैदान से लगातार गायब होती भीड़ के बारे में फ़र्स्टपोस्ट हिंदी ने अन्ना की कोर कमिटी टीम के एक सदस्य सुरेश शर्मा से बात की. सुरेश शर्मा ने कहा, ‘देखिए इस आंदोलन को अन्ना के साल 2011 के आंदोलन से तुलना की जा रही है, जो कि ठीक नहीं है. लोगों को लगता है कि भीड़ नहीं जुट रही है, लेकिन ऐसा नहीं है. 28-29 मार्च से भीड़ जुटनी शुरू हो जाएगी. हमलोग देश के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जा कर लोगों से मिल रहे हैं. हमलोग संख्या पर नहीं विचार पर ध्यान दे रहे हैं. इस तरह का आंदोलन शायद ही दिल्ली में कभी हुआ होगा. हमलोग किसी भी स्थिति में किसी भी राजनीतिक पार्टी को अपना मंच शेयर नहीं करने देंगे.’
केंद्र सरकार भी यह अच्छी तरह जानती है कि अन्ना हजारे का तेवर अभी नरम नहीं पड़ने वाला है. ऐसे में अन्ना के गिरते स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो आगे केंद्र सरकार के लिए कहीं और मुश्किल नहीं खड़ी हो जाए. इसलिए केंद्र सरकार ने सीधे अन्ना से संपर्क की शुरुआत कर दी है.
अन्ना हजारे लगातार मंच से अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोलना जारी रखे हुए हैं. अन्ना अपने संबोधन में बार-बार कहते हैं कि केंद्र सरकार भ्रष्टाचार करने वालों को छूट दे रखी है. उद्योगपतियों का हजारों करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर दिया जाता है, लेकिन किसानों की ऋण माफ नहीं करती. भले ही मेरा वजन गिर रहा हो, लेकिन इस बार हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे.
कुल मिलाकर अन्ना का हौसला अब भी सरकार को ललकार रही है. रामलीला मैदान में बैठे कुछ अनशनकारियों की तबीयत भले बिगड़ रही हो लेकिन अन्ना लगातार मंच पर बैठ कर सरकार को चिंता में डाल रहे हैं. ऐसे में अब देखना यह है कि केंद्र सरकार कितनी जल्दी अन्ना का अनशन तुड़वा पाती है.
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