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अगर तीन राज्यों में कांग्रेस आई तो किस राज्य में कौन बनेगा मुख्यमंत्री

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए उत्तर भारत के इन राज्यों में मुख्यमंत्री तय कर पाना आसान नहीं होगा

Debobrat Ghose

कुछ एग्जिट पोल के नतीजों को सच मानें तो कांग्रेस तीन राज्यों में बढ़त बनाती दिख रही है. अगर यह सच होता भी है, तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए उत्तर भारत के इन राज्यों में मुख्यमंत्री तय कर पाना आसान नहीं होगा. जरा इन राज्यों में कांग्रेस के मुख्यमंत्री उम्मीदवारों के बारे में जान लेते हैं.

राजस्थान में किसको मिलेगी गद्दी


यह ऐसा राज्य है, जहां ज्यादातर एग्जिट पोल कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं. यहां दो उम्मीदवार हैं.

अशोक गहलोत

फाइल फोटो

67 साल के गहलोत दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इस वक्त वो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव हैं. पांच बार लोक सभा सदस्य रहे गहलोत जोधपुर में सरदारपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं. वो केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं. संगठन में काम को लेकर उन्हें जाना जाता है. 2017 में गुजरात चुनाव के लिए भी उन्हें इंचार्ज बनाया गया था. मुख्यमंत्री के तौर पर उनके पास काम का अनुभव है. परखे-आजमाए उम्मीदवार हैं. इसके अलावा राजनीतिक पार्टियों में उनका खासा असर है.

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सचिन पायलट

फाइल फोटो

41 साल के सचिन पायलट कांग्रेस की युवा पीढ़ी का प्रतिनधित्व करते हैं. ऐसे ब्रिगेड का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनसे बड़ी उम्मीदें हैं. पूर्व कांग्रेस नेता राजेश पायलट के बेटे सचिन इस समय पीसीसी प्रमुख हैं. दो बार एमपी रह चुके हैं. इस दौरान यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे हैं.

राहुल गांधी केंद्र में युवाओं को चाहते हैं. ऐसे में संभव है कि सचिन पायलट के बजाय गहलोत को राजस्थान में चुना जाए. उन्हें डार्क हॉर्स माना जा रहा है.

हां, उससे पहले एक जरूरी बात. ये सब तब होगा, जब कांग्रेस राजस्थान में जीतेगी.

छत्तीसगढ़ में कौन बनेगा मुख्यमंत्री!

15 साल से राज्य में रमन सिंह की सरकार है. कांग्रेस को उम्मीद है कि वो यहां से जीतेगी. ऐसे में मुख्यमंत्री पद के कई उम्मीदवार हैं.

त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव

राज्य में टीएस बाबा के नाम से मशहूर 66 साल के सिंहदेव छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. वह अंबिकापुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं. अविभाजित मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्य सचिव एमएस सिंहदेव के बेटे टीएस सिंहदेव का ताल्लुक सरगुजा रियासत से है. सरगुजा जिले में उनका अच्छा खासा दखल और लोकप्रियता है. इसका पता ऐसे भी चलता है कि इलाके की आठ विधान सभा सीटों में पिछली बार कांग्रेस ने सात सीटें जीती थीं. पढ़े-लिखे, सौम्य सिंहदेव को अंदरूनी सर्वे में 24 फीसदी वोट मिले थे.

भूपेश बघेल

पाटन से विधायक 57 साल के पटेल छत्तीसगढ़ विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हैं. पिछड़ी जाति के नेता बघेल ने दिग्विजय सिंह और अजित जोगी दोनों के मंत्रिमंडल में काम किया है. यानी वो अविभाजित मध्य प्रदेश और उसके बाद छत्तीसगढ़ में मंत्री रहे हैं. सामाजिक सुधार के कामों से जुड़े बघेल राज्य में पदयात्रा कर चुके हैं. उन्होंने संगठन के स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने का काम किया है. चुनाव के समय बघेल लगातार पूरे छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार करते रहे. हालांकि पार्टी के अंदरूनी लोगों को मानना है कि गुटों में बंटी कांग्रेस में सभी धड़ों को वो स्वीकार्य नहीं होंगे.

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तम्रध्वज साहू

दुर्ग से सांसद 69 साल के साहू का कृषि से नाता रहा है. वो 2000 से 2003 तक अजीत जोगी सरकार में मंत्री थे. कोयला और इस्पात की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी के वो सदस्य हैं. इसके अलावा पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मिनिस्ट्री की परामर्श समिति के वो सदस्य हैं. वो साहू समुदाय के अध्यक्ष भी रहे हैं. छत्तीगढ़ के ओबीसी में इस समुदाय की तादाद काफी ज्यादा है. उन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. ऐसे में डार्क हॉर्स के तौर पर उनका नाम है.

चरणदास महंत

63 साल के चरणदास महंत ओबीसी नेता हैं. दिग्विजय सरकार में वो 1993 और 1998 में मंत्री रहे हैं. उसके बाद मनमोहन सिंह सरकार में राज्य मंत्री बने. मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री के बेटे महंत बहुत पढ़े-लिखे लोगों में गिने जाते हैं. कोरबा से वो तीन बार लोक सभा सदस्य रहे हैं. संसद की तमाम समितियों के सदस्य रहे हैं. 2008 में उन्होंने पीसीसी अध्यक्ष बनाया गया. लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी चुनाव हार गई.

मध्य प्रदेश में कौन बनेगा मुख्यमंत्री

एग्जिट पोल के नतीजे बता रहे हैं कि सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है. शिवराज सिंह चौहान के लिए पिछले 15 साल में ये सबसे मुश्किल चुनाव है. कांग्रेस का चुनाव प्रचार अच्छी रणनीति के साथ हुआ. पार्टी के दो मजबूत प्रत्याशी हैं, जो मुख्यमंत्री बन सकते है.

कमल नाथ

72 साल के कमल नाथ लोक सभा के सबसे वरिष्ठतम सदस्यों में एक हैं. नौ बार छिंदवाड़ा से सांसद रहे हैं. कांग्रेस सरकार में वो कैबिनेट मंत्री रहे हैं. नेहरू-गांधी परिवार के करीबी कमलनाथ पीसीसी अध्यक्ष हैं. उन्हें सबको साथ लेकर चलने वाले नेताओं में गिना जाता है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी समर्थन उनके साथ है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया

ग्वालियर रियासत के ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के नेता स्व. माधवराव सिंधिया के बेटे हैं. 47 साल के ज्योतिरादित्य गुना से लोक सभा सांसद हैं. उन्हें कांग्रेस के उदीयमान नेताओं में गिना जाता है. यूपीए सरकार के समय वो केंद्रीय मंत्री रहे हैं. मध्य प्रदेश कांग्रेस की कैंपेन कमेटी के प्रमुख सिंधिया ने 115 विधान सभा क्षेत्रों में कैंपेनिंग की. इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं और ग्रास रूट स्तर पर वोटर्स से संपर्क साधा.

कांतिलाल भूरिया

68 साल के कांतिलाल भूरिया पांच बार लोक सभा सांसद रहे हैं. आदिवासी नेता भूरिया का राज्य के आदिवासी इलाकों में खासा असर है. यूपीए सरकार में वो केंद्रीय मंत्री रहे हैं. विधानसभा चुनाव में अपने बेटे और भतीजे को टिकट दिलाने में कामयाब रहे. इससे कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में उनके असर को समझा जा सकता है. भूरिया का संबंध आदिवासी जिले झाबुआ से है.

अरुण यादव

44 साल के अरुण यादव भी एक नाम हैं, जिन पर नजर रहेगी. दिग्विजय सरकार में उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव के वो बेटे हैं. पीसीसी के अध्यक्ष रहे हैं. इसके अलावा, पब्लिक अकाउंट्स कमेटी के सदस्य और यूपीए वन में राज्य मंत्री रहे हैं. इस चुनाव में वो हैवीवेट कैंडिडेट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बुधनी से खड़े हुए हैं. ऐसे में पहले उन्हें अपनी सीट निकालने का इंतजार करना होगा, उसके बाद आगे बात बढ़ेगी.

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