view all

चंद्रशेखर ने 1991 में राजीव से कहा था कि शादी बेमेल है तो बेहतर है तलाक

इंदिरा कांग्रेस (इंका) ने बाहर से समर्थन देकर 1990 में केंद्र में चंद्रशेखर की सरकार तो बनवा दी पर कुछ ही महीने के भीतर खटपट शुरू हो गई.

Surendra Kishore

इंदिरा कांग्रेस (इंका) ने बाहर से समर्थन देकर 1990 में केंद्र में चंद्रशेखर की सरकार तो बनवा दी पर कुछ ही महीने के भीतर खटपट शुरू हो गई. आखिरकार सरकार गिर गई और 1991 में लोकसभा का मध्यावधि चुनाव हो गया. इंका को पूर्ण बहुत नहीं आया. फिर भी नरसिंह राव के नेतृत्व में सरकार बनी.

नरसिंह सरकार ने आर्थिक उदारीकरण के क्षेत्र में तो महत्वपूर्ण काम किए पर सरकार चलाने के लिए राव सरकार को काफी समझौते करने पड़े. उससे पहले चंद्रशेखर ने एक महत्वपूर्ण मुलाकात में राजीव गांधी से कहा था, ‘आपने ही हमसे शादी का निर्णय किया. लेकिन शादी बेमेल है. हम घर में तो झगड़ सकते हैं, सड़क पर नहीं. अगर निभा नहीं सकते तो हमें तलाक ले लेना चाहिए.’


अंततः वही हुआ. हरियाणा की खुफिया पुलिस द्वारा राजीव गांधी के घर की निगरानी के बहाने इंका ने चंद्रशेखर सरकार से अपना विवाद बढ़ा लिया. अंततः चंद्रशेखर ने प्रधान मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उससे पहले कई राजनीतिक ड्रामे हुए जो खिचड़ी सरकारों में होते रहे हैं.

इंका का तर्क था कि नवंबर 1990 में चंद्रशेखर सरकार को समर्थन देते वक्त इंका ने राष्ट्रपति वेंकट रामन को कम से कम एक साल तक सरकार चलने का वचन दिया था. पर साथ ही उसने इंका की परंपरागत नीति से अलग न हटने का वादा भी चंद्रशेखर से करा लिया था, पर वह नहीं हो सका.

ये भी पढ़ें: खुद की तबाह जिंदगी की किताब को 24 साल जेल में पढ़ता रहा, जो अब तक लिखी ही नहीं गई है!

याद रहे कि सरकार के गठन के कुछ ही महीने के बाद इंका और चंद्रशेखर के बीच मतभेद उभरने लगे थे. ऊपरी तौर पर यह बताया गया कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय नीतियों पर मतभेद उभरने लगे. प्रधानमंत्री महत्वपूर्ण मसलों पर भी इंका से राय मशविरा किए बिना निर्णय कर लेते थे, पर भीतरी बात यह थी कि बोफर्स तोप सौदे से संबंधित मुकदमे को रफा-दफा कर देने में चंद्रशेखर रुचि नहीं दिखा रहे थे.

राजीव गांधी

2 मार्च, 1990 को नई दिल्ली के जनपथ स्थित राजीव गांधी के बंगले के बाहर हरियाणा के खुफिया कर्मचारी प्रेम सिंह और राज सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी अनधिकृत मौजूदगी के कारण ऐसा कदम उठाया गया. बाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राजीव गांधी ने कहा कि यदि इस संबंध में पर्याप्त कार्रवाई नहीं की गई तो इंका राष्ट्रपति के प्रति धन्यवाद प्रस्ताव का बहिष्कार करेगी.

इंका ने मांग की कि हरियाणा सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए, या ओम प्रकाश चैटाला को जद(एस) के महा सचिव पद से हटा दिया जाए. संचार मंत्री संजय सिंह को भी मंत्री पद से हटाया जाए. डॉ.सुब्रमण्यम स्वामी ने कुछ दिनों तक दोनों के बीच मध्यस्थता की पर वे सफल नहीं हो पाए. चंद्रशेखर ने दबाव में आने के बदले प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे देना ही बेहतर समझा. उन्होंने लोकसभा भंग करने व नए चुनाव कराने की भी सिफारिश कर दी. इससे कांग्रेस को झटका लगा. वैकल्पिक सरकार बनाने की इंका की योजना विफल हो गई.

इसके बाद इंका के बसंत साठे ने राष्ट्रपति को लिखा, ‘ज्यादातर सांसद मध्यावधि चुनाव का सामना करना नहीं चाहते थे. अब वे सांसें रोके कांपते दिल से घबराए और आशंकित मन से मैदान में हैं और इसके ठोस कारण हैं. उन्हें क्रुद्ध मतदता का सामना करना है. मतदाता उनके बहुरुपिएपन, बंद कमरों में अनैतिक जोड़-तोड़, निर्लज्ज खरीद-फरोख्त, आपसी विश्वासघात और सबसे बढ़कर जन विश्वास के साथ किए गए धोखे को बढ़ती निराशा के साथ देखता रहा है.’

ये भी पढ़ें: मदन मोहन मालवीय: BHU को स्थापित करने के लिए जिसने निजाम को सिखाया सबक

चंद्रशेखर और राजीव गांधी के बीच के मतभेद के बिंदुओं की चर्चा कर ली जाए. चंद्रशेखर सरकार की खाड़ी नीति की इंका ने विरोध किया. कांग्रेस के दस सांसदों ने जिन्हें ‘शोर मचाऊ दस्ता’कहा जाता था, खाड़ी नीति के विरोध में प्रधान मंत्री के निवास पर प्रदर्शन किया.

याद रहे कि चंद्रशेखर सरकार ने अमरीकी वायु सेना के उन विमानों को इस देश में तेल भरने की इजाजत दे दी थी जो खाड़ी में युद्धरत थे. सिख अतिवादी नेता व पूर्व आई.पी.एस. अफसर सिमरनजीत सिंह मान से प्रधानमंत्री की मुलाकात के खिलाफ राजीव गांधी ने सार्वजनिक बयान दिया था. यह भी कहा गया कि विभिन्न यात्राओं में जहां राजीव गांधी को प्रधानमंत्री के साथ जाना था, अंततः दोनों साथ नहीं जा सके.

इंका की उपेक्षा करके अपने स्वतंत्र विवेक से काम करने की चंद्रशेखर की शैली कांग्रेस को लगातार अखरती रही. इस संबंध में एक इंका नेता ने कहा, ‘इस सरकार को टिकाए रखने वाली यह पार्टी घरेलू बांदी की तरह सिर्फ चूल्हा- चैकी नहीं संभालेगी.’