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राहुल से मुलाकात के बाद एनडीए छोड़ेंगे उपेंद्र कुशवाहा? आर-पार की लड़ाई का ऐलान!

बिहार के मोतिहारी में पार्टी अधिवेशन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया.

Amitesh

बिहार के मोतिहारी में पार्टी अधिवेशन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया. कुशवाहा ने दिनकर की कविता का जिक्र करते हुए कहा, ‘याचना नहीं अब रण होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा.’ कुशवाहा के इस बयान से साफ हो गया कि अब एनडीए के भीतर उनके लिए जगह नहीं है औऱ उन्होंने अब सीधी लड़ाई का मन बना लिया है.

इसके पहले बिहार के वाल्मीकिनगर में 4 और 5 दिसंबर को दो दिन तक चली राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद पार्टी की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को सभी फैसले लेने के लिए अधिकृत कर दिया गया. उसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि कुशवाहा मोतिहारी में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच खुले अधिवेशन में एनडीए छोड़ने का बडा ऐलान कर सकते हैं. लेकिन, उन्होंने ऐलान तो नहीं किया, लेकिन, उनकी बातों से साफ हो गया कि अब एनडीए से अलग होने का उन्होंने फैसला कर लिया है. जिसका खुलासा जल्द हो जाएगा.


सूत्रों के मुताबिक, अगले हफ्ते 10 दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उनकी मुलाकात हो सकती है, जिसके बाद कुशवाहा एनडीए छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं. फिलहाल बीजेपी और जेडीयू की आलोचना करने के बावजदू वो मोदी सरकार में राज्य मंत्री के तौर पर में बने हुए हैं.

दरअसल, कुशवाहा की आपत्ति इस बात से है कि उनकी पार्टी को इस बार गठबंधन में महज दो सीटें दी जा रही हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था और तीनों ही सीटों पर उसे जीत मिली थी. लेकिन, अब जबकि जेडीयू की दोबारा एनडीए में वापसी हो गई है तो फिर कुशवाहा को महज 2 सीटें दी जा रही थीं. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, कुशवाहा इसके लिए तैयार नहीं थे. उनका दावा था कि अब उनकी पार्टी का जनाधार पांच सालों में पहले से बढ़ गया है, लिहाजा उनकी हिस्सेदारी ज्यादा होनी चाहिए.

खासतौर से उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिल रही तरजीह से थी. क्योंकि बीजेपी ने जेडीयू की एंट्री के बाद बिहार में सीटों का समझौता कर बराबर-बराबर सीटों पर लड़ने का ऐलान कर दिया. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संयुक्त घोषणा के बाद से ही उपेंद्र कुशवाहा परेशान हैं.

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हालांकि बीच-बीच में उनकी तरफ से आरजेडी और महागठबंधन के प्रति सॉफ्ट कार्नर भी देखने को मिलता रहा है. कुशवाहा की तरफ से कभी तेजस्वी यादव से मुलाकात तो कभी लालू यादव की खराब सेहत के बहाने मुलाकात होती रही है, जिसको लेकर अटकल बाजी लगती रही है. इसे उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से एनडीए पर दबाव की कोशिश के तौर पर देखा गया. लेकिन, लगता है बीजेपी आलाकमान ने उनकी बातों को ज्यदा तवज्जो नहीं दी.

यहां तक कि दिल्ली में डेरा डाले रखने और लगातार प्रयास के बावजूद उनकी न बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई. हालांकि बीजेपी के बिहार के प्रभारी महासचिव भूपेंद्र यादव ने मुलाकात के दौरान उपेंद्र कुशवाहा को संकेत दे दिया था कि जेडीयू की एंट्री के बाद सबको त्याग करना होगा. लेकिन, बीजेपी आलाकमान से मुलाकात नहीं हो पाना कुशवाहा को नागवार गुजरा. यह एक संकेत था जो साफ दिखा रहा था कि बीजेपी की नजर में नीतीश कुमार की अहमियत काफी ज्यादा है.

मोतिहारी में कुशवाहा ने नीतीश कुमार को अपने निशाने पर लेते हुए आरोप लगाया कि बिहार में आरएलएसपी को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. हमारी पार्टी को कमजोर करने का प्रयास हो रहा था. उन्होंने एक बार फिर से नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश जी ने मुझे नीच कहा.

कुशवाहा ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन पर सवाल खड़ा किया. कुशवाहा ने प्रधानमंत्री पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जिनके साथ हमने काम किया है उनके साथ काम करके मुझे बड़ा परिवर्तन नहीं दिखा.

कुशवाहा के बयान पर जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने भी तंज कसा है. अजय आलोक ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में कहा, ‘उपेंद्र कुशवाहा ने पहले ही कह दिया है कि उनका गठबंधन बीजेपी के साथ है न कि जेडीयू के साथ, इसलिए इस पर हम क्या कहेंगे, लेकिन, इतना लग रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा न घर के रहेंगे न घाट के.’

उपेंद्र कुशवाहा

जबकि, बीजेपी की तरफ से बिहार बीजेपी के उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने कुशवाहा को कठघरे में खड़ा कर दिया. मिथिलेश तिवारी ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान कहा, ‘जो लोग विकास के रास्ते पर जाएंगे उनका विकास होगा, लेकिन, जो विकास के रास्ते पर नहीं जाएंगे उनका विनाश निश्चित होगा. इस वक्त देश की जनता नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विकास के रास्ते पर चल रही है, इसलिए समर्थन विकास को ही मिलेगा.’

जेडीयू और और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधकर उपेंद्र कुशवाहा ने अब अपनी अलग राह पकड़ ली है. साफ है कि उनके लिए अब एनडीए गठबंधन में कोई जगह नहीं बची है. अब बस इंतजार इसी बात का है कि कुशवाहा कब कुर्सी छोड़कर महागठबंधन की तरफ जा रहे हैं. क्योंकि बीजेपी उन्हें हटाकर ज्यादा माइलेज नहीं देना चाहती. कुशवाहा भी सोच-समझकर रणनीति के तहत गठबंधन के मसले को क्लाइमेक्स तक ले जाना चाहते हैं, जिसका उन्हें सियासी फायदा हो सके.