चुनाव खर्च संबंधी निर्देशों के अनुसार हर राजनीतिक दल को चुनाव आयोग को यह सूचित करना पड़ता है कि उनकी तरफ से कौन-से नेता होंगे, जो चुनाव प्रचार में स्टार प्रचारक के तौर पर भाग लेंगे.
देखा जाए तो यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है लेकिन पार्टियों के भीतर जारी उठापटक के संदर्भ में स्टार प्रचारकों की सूची का राजनीतिक महत्व काफी बढ़ गया है.
स्टार प्रचारकों की सूची बहुत कुछ कहती है
स्टार प्रचारकों की सूची से पता चलता है कि पार्टी के भीतर कौन लोग पार्टी नेतृत्व के चहेते हैं और उन नेताओं का वजन कितना है? यह भी संदेश दिया जाता है कि किन नेताओं को पार्टी नेतृत्व पसंद नहीं कर रहा है?
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दो चरणों के संदर्भ में 40 स्टार प्रचारकों की सूची चुनाव आयोग को सौंपी है, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और डा. मुरली मनोहर जोशी का नाम शामिल नहीं है. ढाई साल पहले नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही ये दोनों वरिष्ठ नेता पार्टी की सभी प्रमुख समितियों से हटाकर र्मागदर्शक मंडल के सदस्य बना दिए गए थे, जिसकी कभी औपचारिक बैठक ही नहीं बुलाई गई है.
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भाजपा में मोदी-शाह नियम के अनुसार मार्गदर्शक मंडल के किसी भी सदस्य को स्टार प्रचारक की सूची में शामिल नहीं किया जाता है. डा. जोशी को जरुर उम्मीद थी कि इलाहाबाद का सांसद होने के नाते उनको स्टार प्रचारक का दर्जा मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लालकृष्ण आडवाणी को तो अब भाजपा के भीतर मोदी-विरोधी की श्रेणी में रख दिया गया है.
कीमत चुका रहे हैं वरुण गांधी
भाजपा की इस स्टार प्रचारकों की सूची में पार्टी के उभरते नेता वरुण गांधी का नाम न होना, इस बात का सबूत है कि वे मोदी-शाह की सत्ता-धुरी से पूरी तरह निष्काषित कर दिए गए हैं. पिछले साल इलाहाबाद में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान वरुण गांधी के समर्थकों ने समूचे शहर को वरुण के पोस्टरों व बैनरों से रंग दिया था.
वरुण गांधी ने पोस्टरों व बैनरों के माध्यम से यह जताने की कोशिश की थी कि वे उत्तर प्रदेश में भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. तब भाजपा के कई नेताअों ने टिप्पणी की थी कि पोस्टर लगाने से कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं हो जाता है. वरुण को आज उस गलती का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. उनके लिए संतोष की बात यह हो सकती है कि माता मेनका गांधी का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश में राम मंदिर आंदोलन के चेहरे के तौर पर उभरे भाजपा नेता विनय कटियार का नाम भी इस सूची में शामिल नहीं है, लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति में दखल रखनेवाले योगी आदित्यनाथ व उत्तर प्रदेश की लोकसभा सांसद उमा भारती को स्टार प्रचारक बनाया गया है. भाजपा के भीतर विनय कटियार को मोदी-विरोधी माना जाता रहा है.
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जाति तय करेगी स्टार वैल्यू!
40 स्टार प्रचारकों की सूची में पार्टी के वरिष्ठ नेताअों व मंत्रियों के नाम छोड़ दिए जाए, तो लगभग पन्द्रह स्टार प्रचारक ऐसे हैं जिनकी स्टार वैल्यू केवल अपनी जातियों तक सीमित हैं. दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के ये स्टार प्रचारक केवल दो चरणों तक ही रहेंगे. अन्य चरणों में स्टार प्रचारकों की सूची के आधे नाम बदल जाएंगे.
स्टार प्रचारकों की इस सूची में फिल्म अभिनेत्री व मथुरा की लोकसभा सांसद हेमामालिनी व भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता व दिल्ली के लोकसभा सांसद मनोज तिवारी को ग्लैमर चेहरे के रूप में ही देखा जाना चाहिए. यदा-कदा मोदी के खिलाफ बयानबाजी करनेवाले अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को स्टार प्रचारक की इस सूची में शामिल न करके स्पष्ट कर दिया है कि वे अब पार्टी नेतृत्व के चहेते नहीं रहे हैं.
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भाजपा के इन स्टार प्रचारकों की सूची में लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान को भी शामिल किया जाना आश्चर्य का विषय नहीं होना चाहिए. उत्तर प्रदेश में भाजपा को मायावती की बसपा से भी मुकाबला करना है. रामविलास पासवान के समर्थन की बैसाखी का इस्तेमाल करके भाजपा ने यह स्वीकार कर लिया है कि मायावती की दलित चुनौती का मुकाबला करने के लिए भाजपा के भीतर कोई समर्थ नेता नहीं है.