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यूपी चुनाव: बीजेपी का घोषणापत्र विकास और हिंदुत्व का कॉकटेल है!

विकास की बात करते-करते अमित शाह ने हिंदुत्व के मुद्दे को छेड़ ही दिया है.

Amitesh

'राम मंदिर और विकास दोनों मुद्दे साथ-साथ चल सकते हैं.' बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का यह बयान उत्तर प्रदेश में बीजेपी की रणनीति को साफ-साफ रेखांकित करता है. बीजेपी इस बार विकास और हिंदुत्व दोनों को आगे कर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है.

यूपी चुनाव के लिए घोषणापत्र जारी करते हुए अमित शाह ने राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए वादों की झड़ी लगा दी लेकिन हिंदुत्व का तड़का लगाना नहीं भूले.


एक बार फिर से राम मंदिर से लेकर उन सभी मुद्दों को घोषणापत्र में जगह मिली है जिनके सहारे वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके. राम मंदिर पर बीजेपी ने एक बार फिर वही वादा किया है कि संवैधानिक तरीके से ही यूपी में राम मंदिर का निर्माण होगा. इसके लिए सरकार प्रयास करेगी.

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दरअसल, विनय कटियार सरीखे बीजेपी के कई नेताओं ने राम मंदिर राग अलापना शुरू कर दिया है. इसके लिए आंदोलन की धमकी भी दी जा रही है. लिहाजा बीजेपी ने पार्टी के भीतर के एक बड़े वर्ग को खुश करना ही बेहतर समझा.

हिंदुत्व के सहारे ध्रुवीकरण की कोशिश

घोषणापत्र जारी करते हुए सिर्फ मंदिर आंदोलन की ही बात नहीं हुई. बीजेपी अध्यक्ष ने कई और मुद्दे उठाए जिनको लेकर बीजेपी पहले भी वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश करती रही है.

अमित शाह ने इस बात का एलान किया कि अगर उनकी सरकार यूपी में बनती है तो सभी यांत्रिक कत्लखाने बंद किए जाएंगे. इस मुद्दे पर पहले भी सियासत होती रही है. ऐसे में जानवरों को मारने वाले कत्लखानों के बंद करने के नाम पर बीजेपी इस संवेदनशील मसले पर अपने कोर वोटर को एक संदेश भी दे रही है.

चुनाव से पहले प्रदेश में कैराना से हिंदूओं के पलायन का मुद्दा भी लगातार उठता रहा है. स्थानीय सांसद हुकुम सिंह की तरफ से इस मुद्दे को उठाकर सियासत गरमाने की कोशिश भी खूब हुई थी. बाद में बीजेपी ने इसे प्रदेश की कानून व्यवस्था के मुद्दे से जोड़कर समाजवादी पार्टी की सरकार को घेरने की पूरी तैयारी की.

अब एक बार फिर बीजेपी के घोषणापत्र में प्रदेश के कुछ हिस्सों से पलायन के मुद्दे को उठाया गया है. बीजेपी ने वादा किया है कि पलायन को हर कीमत पर रोका जाएगा.

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पार्टी की तरफ से वादा किया गया है कि उनकी सरकार बनने के बाद हर जिले के डीएम को पलायन का जिम्मेदार माना जाएगा. पलायन रोकने के लिए हर संभव कोशिश होगी. बीजेपी का कहना है कि सबको गांव में रहने का अधिकार मिलेगा.

अमित शाह ने यूपी में जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव के मुद्दे को भी उठाकर एक बार फिर से ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश की है. बीजेपी का पहले से आरोप रहा है कि यूपी के थानों में जाति और धर्म पूछकर एफआईआर दर्ज होती है. पार्टी ने वादा किया है कि उनकी सरकार बनने के बाद यह भेदभाव खत्म हो जाएगा.

ट्रिपल तलाक के मुद्दे को उठाकर भी बीजेपी इस मुद्दे को चुनावों में गरमाना चाहती है.

बीजेपी ने महिलाओं से इस मुद्दे पर राय लेने की बात भी की है. पार्टी को लगता है कि ऐसा करने से वोटों का ध्रुवीकरण भी होगा और इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा.

लोकसभा की तरह विधानसभा में दांव आजमाने की तैयारी

दरअसल, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त भी यूपी के प्रभारी महासचिव थे. उस वक्त भी बीजेपी ने विकास के एजेंडे के साथ-साथ हिंदुत्व के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था.

तस्वीर: पीटीआई

इस बार भी अध्यक्ष बनने के बाद यूपी विधानसभा चुनाव अमित शाह के लिए नाक का सवाल बन गया है. इस बार भी शाह यूपी के भीतर शह और मात के खेल में अपने विरोधियों को मात देने की तरकीब निकालने में लगे हैं.

लेकिन, विकास की बात करते-करते अमित शाह ने हिंदुत्व के मुद्दे को छेड़ ही दिया है.