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पीलीभीत टाइगर रिजर्व इलाके में चुनाव के वक्त लोग दहशत में क्यों हैं ?

15 फरवरी को होने वाले दूसरे चरण के मतदान में पीलीभीत में वोट डाले जाएंगे

Amitesh

पीलीभीत के पूरनपुर के कलीमनगर इलाके में इस वक्त लोगों की भीड़ खेत-खलिहानों में जमा हुई है. लेकिन, यह भीड़ किसी नेता की चुनावी रैलियों के लिए नहीं बल्कि, एक टाइगर को पकड़ने के लिए चलाए जा रहे अभियान को देखने पहुंची है.

गन्ने के खेत के भीतर वो आदमखोर टाइगर है जिसने पूरे इलाके में कोहराम मचा रखा है. गन्ने के खेत के चारों तरफ चार हाथियों के जरिए धीरे-धीरे इस टाइगर को पहले घेर लिया गया. फिर रास्ता न मिलता देख इस टाइगर ने बाहर निकलने की कोशिश की जिसे बेहोश कर पिंजरे में कैद कर लिया गया.


इन्हीं हाथियों के जरिए बाघ को घेरा गया. (फोटो: फ़र्स्टपोस्ट हिंदी)

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टाइगर को लखनऊ के चिड़ियाघर में छोड़ दिया गया है. लेकिन, टाइगर के हमले से लोग डरे हुए हैं. इस इलाके में पिछले एक हफ्ते में ये चौथा हमला है. इस हमले में तीन लोगों की जान जा चुकी है और एक घायल हो गया है.

ताजा हमला कलीमनगर गांव के ही रहने वाले गंगाराम पर हुआ है. कलीमनगर के गंगाराम को इस टाइगर ने उस वक्त मार गिराया जब वो बगल के ही गांव में ईंट भट्ठे पर सो रहे थे. 11 फरवरी को तड़के चार बजे टाइगर ने गंगाराम को पास के खेत में ले जाकर मार दिया.

काफी मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम ने आखिरकार इसे पिंजरे में कैद तो कर लिया लेकिन, उसके हमले ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है.

बाघ को पिंजरे में कैद कर इस ट्रक में ले जाया गया (फोटो: फर्स्टपोस्ट)

कलीमनगर से सटे डगा गांव में रहने वाले अहमद खान का परिवार अभी भी खौफ के साये में जीने को मजबूर है. डगा निवासी अहमद खान खेतों की रखवाली करने के लिए घर से थोड़ी ही दूरी पर गया था जहां पिछले 12 दिसंबर को टाइगर ने हमला कर उसे मार दिया.

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अहमद खान के परिवार वाले अभी भी सदमे से उबर नहीं पाए हैं. अहमद की मां जायदा बेगम की दिमागी हालत भी ठीक नहीं है. लेकिन, परिवार के दूसरे लोग कहते हैं कि सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है.

अहमद खान के परिवार वाले (फोटो: फ़र्स्टपोस्ट हिंदी)

चुनाव का मौसम है और 15 फरवरी को ही दूसरे चरण के चुनाव में पीलीभीत में वोट डाले जाने वाले हैं. लिहाजा, टाइगर हमला भी एक चुनावी मुद्दा बन गया है.

कलीमनगर में ही भीड़ में शामिल राजापाल कहते हैं कि ‘पीलीभीत टाइगर रिजर्व क्षेत्र में कोई बाड़ नहीं है. इसी वजह से बाघ जंगलों से निकलकर गांवों की तरफ चले आते हैं. हमला होता रहता है लेकिन, इस पर कोई ध्यान नहीं देता.’

राजाराम के साथ खड़े दूसरे लोग भी कहते हैं कि चुनाव में यह मुद्दा तो जरूर रहेगा.

बेहोश बाघ (फोटो: फ़र्स्टपोस्ट हिंदी)

शायद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इस नाराजगी का एहसास है. पीलीभीत के ड्रमंड कॉलेज और अमरिया की अपनी चुनावी रैलियों में अखिलेश यादव ने लोगों को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार बनने पर बाघों के हमले रोकने के लिए एक टास्ट फोर्स का गठन किया जाएगा और बाघों के हमले में मारे गए लोगों के परिवार वालों को पांच-पांच लाख रूपए का मुआवजा दिया जाएगा.

लोग सवाल यही कर रहे हैं अगर पिछले पांच सालों में वादों पर गौर किया गया होता तो शायद इस तरह की कोई नौबत ही नहीं आती.