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क्यों विवादों के साये में है देश का सबसे समृद्ध मंदिर?

तिरुमाला तिरुपति मंदिर के मुख्य पुजारी रहे दीक्षितुलु नाराज इसलिए हैं क्योंकि मुख्यमंत्री के द्वारा नियुक्त किए अधिकारियों ने उन्हें रिटायरमेंट का नोटिस थमा दिया है, उन्होंने हाल ही में मंदिर प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं

T S Sudhir

आंध्रप्रदेश के तिरुमाला में स्थित है देश का सबसे समृद्ध मंदिर. लेकिन इन दिनों ये मंदिर श्रद्धा और विश्वास की बजाए किसी और चीज के लिए चर्चा में है. दरअसल तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् इन दिनों भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहा है. देश का सबसे अमीर मंदिर भ्रष्टाचार,धर्म और राजनीति के कॉकटेल में उलझता नजर आ रहा है. इस बार मंदिर से संबंधित विवाद की शुरुआत खुद उस मंदिर के मुख्य पुजारी रहे एवी रमना दीक्षितुलु ने की है.

दीक्षितुलु के निशाने पर हैं आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और वो अधिकारी जिन्हें खुद चंद्रबाबू ने उस मंदिर में नियुक्त किया है. दीक्षितुलु नाराज इसलिए हैं क्योंकि मुख्यमंत्री के द्वारा नियुक्त किए अधिकारियों ने उन्हें रिटायरमेंट का नोटिस थमा दिया है. मजेदार बात ये है कि दीक्षितुलु भगवान श्री वेंकेटश्वर के इस प्रसिद्ध मंदिर के 18 मई 2018 तक मुख्य पुजारी के तौर पर काम कर रहे थे.


दीक्षितुलु ने लगाए हैं गंभीर आरोप

लेकिन बात केवल नाराजगी तक ही सीमित नहीं है, दीक्षितुलु ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् पर बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं. दीक्षितुलु ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् पर आरोप लगाए हैं को उनलोगों ने मंदिर के फंड को दूसरी जगहों पर डायवर्ट कर दिया है. दीक्षितुलु का कहना है कि भगवान को चढ़ावे में मिले मंहगे आभूषणों की भी चोरी की गई है. दीक्षितुलु का दावा है कि मंदिर को मैसूर के महाराजाओं और राजा कृष्णदेवाचार्य द्वारा दान किए गए कीमती आभूषण और जेवरात मंदिर से गायब हैं.

दीक्षितुलु के मुताबिक इस गड़बड़ी में शक की सुई उन अधिकारियों की ओर है जिन्हें खुद मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने नियुक्त किया है. गौरतलब है कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् (टीटीडी) सरकार द्वारा नियुक्त की गई संस्था है जो कि मंदिर से जुड़े सभी कार्यों को देखती है.

मजेदार बात ये है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले दीक्षितुलु एक जमाने में तिरुपति के श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय में चंद्रबाबू नायडू के सीनियर रह चुके हैं. दीक्षितुलु काफी जानकार व्यक्ति हैं और धर्मग्रथों की गहरी समझ और तिरुमाला मंदिर परंपराओं के जानकार होने के साथ साथ वो मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में डॉक्ट्रेट भी हैं.

अपनी शिकायतों में दीक्षितुलु ने 8 दिसंबर की घटना का जिक्र किया है और कहा है कि मंदिर की रसोई जो कि पिछले एक हजार सालों से कभी बंद नहीं हुई थी उसे बंद कर दिया गया था. दीक्षितुलु के मुताबिक उन्होंने पाया कि रसोई की फर्श को खोद दिया गया था और दीवारों को कुरदने की कोशिश की गई थी. दीक्षितुलु को संदेह है कि रसोई और उसके आसपास की जगहों को छिपे हुए खजाने की तलाश में नुकसान पहुंचाया गया था.

भगवान के आभूषणों को लेकर है मुख्य विवाद

दरअसल दीक्षितुलु के इस संदेह के पीछे एक मुंहबोली कहानी है जिसके मुताबिक कहा जाता है कि 1150 ई. के आसपास में चोल और पल्लव महाराजाओं के द्वारा मंदिर को दान किए गए कीमती आभूषणों और हीरे जवाहरातों को मुगल आक्रमणकारियों से बचाने के लिए पूरे खजाने को रसोई की फर्श के नीचे दबा दिया गया था.

तस्वीर: IBN7 live से साभार

सबसे आश्चर्य की बात तो ये है कि इस पूरी खुदाई के बारे में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को जानकारी तक नहीं लगने दी गई. जबकि किसी भी ऐतिहासिक महत्व वाली पुरानी संरचना को कहीं पर भी हाथ लगाने से पहले एएसआई और उसके विशेषज्ञों से सलाह लेना आवश्यक है. संदेह जताया जा रहा है कि इसी घटना के बाद एएसआई ने 4 मई को टीटीडी को एक पत्र लिखकर इस मंदिर को ऐतिहासिक महत्व वाले ढांचे में शामिल किए जाने और उसे संरक्षित स्मारकों की सूची में जगह देने की संभावनाओं पर विचार करने को कहा. लेकिन एएसआई के इस पत्र को टीटीडी के अधिकारियों ने दूसरे तरीके से लिया और इसपर आपत्ति जताई. नतीजा ये हुआ कि अगले ही दिन एएसआई को अपना वो पत्र वापल लेना पड़ा.

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आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आईवायआर कृष्णा राव, जो कि टीटीडी में 2009-2011 के बीच एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के रुप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं, उनका मानना है कि तेलगु देशम पार्टी और टीटीडी के अधिकारियों के बीच सांठगांठ कायम है.

कृष्णा राव का कहना है कि ‘रसोई क्षेत्र के मुख्य मंदिर का हिस्सा होने की वजह से किसी को भी ये अधिकार नहीं है कि वो वहां पर खुदाई करे या फिर इस ऐतिहासिक ढांचे के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ करे. जहां तक मंदिर से आभूषणों की चोरी के दीक्षितुलु का आरोपों का सवाल है तो वो उन्हें खुद ही साबित करना पड़ेगा.’ वैसे इससे पहले भगवान के आभूषणों के रखरखाव को लेकर जस्टिस जगन्नाथ राव कमिटी और जस्टिस वाधवा कमिटी टीटीडी की सराहना कर चुके हैं.

इसके अलावा तिरुमाला मंदिर के अंदर वास्तविक रुप से क्या चल रहा है ये श्रद्धालुओं को दिन के 23 घंटे सीसीटीवी के माध्यम से आसानी से दिख सकता है.

टीडीपी ने दीक्षितुलु पर लगाया बीजेपी के इशारे पर राजनीति करने का आरोप

इस पूरे मामले पर तेलगु देशम पार्टी को लगता है दीक्षितुलु राजनीति कर रहे हैं. टीडीपी को लगता है कि दीक्षितुलु के विस्फोट के पीछे बीजेपी का हाथ है. टीडीपी के मुताबिक उनके ऐसा मानने के पीछे वहां का उस दौरान का घटनाक्रम है. कर्नाटक चुनाव के मतदान के एक दिन पहले 11 मई को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तिरुमाला मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे जहां उनका मंदिर के गेट पर उनका स्वागत करने के लिए दीक्षितुलु मौजूद थे. दीक्षितुलु ने स्वीकार किया है कि उन्होंने मंदिर भ्रमण के दौरान अमित शाह के मंदिर की रसोई से हुई छेड़छाड़ की जानकारी दी थी.

इधर दीक्षितुलु ने अपने बचाव में दलील देते हुए कहा है कि ‘मंदिर का मुख्य पुजारी होने के नाते वो अक्सर महत्वपूर्ण व्यक्तियों और महत्वपूर्ण दानकर्ताओं का स्वागत करते रहे हैं ऐसे में अमित शाह के आने पर भी उन्होंने वही किया लेकिन जिस तरह से बीजेपी और टीडीपी के संबंधों में हाल में खटास बढ़ी है उससे लगता है कि सरकार को मेरा अमित शाह का स्वागत करना रास नहीं आया.’

लेकिन इस कहानी में और भी बहुत कुछ है. दीक्षितुलु ने चेन्नई में पत्रकारों से बात करने के दौरान आरोप लगाया कि टीटीडी में भ्रष्टाचार फैला हुआ है और वो मंदिर के गौरवशाली अतीत को सहेज कर रखने में सफल नहीं रही है. आंध्र सरकार का मंदिर और उसके कामकाज पर जबरदस्त नियंत्रण है और जो भी इस इस संबंध को नजदीक से जानता है वो इस बात को भी समझता है कि टीटीडी पर हमला करने का मतलब सीधे सीएम चंद्रबाबू नायडू पर हमला करना है भले ही वो अप्रत्यक्ष तरीके से क्यों न किया गया हो.

चंद्रबाबू नायडू

दीक्षितुलु के बाद अब अन्य पुजारियों को भी रिटायर करने की तैयारी

टीडीपी ने अमित शाह का मंदिर भ्रमण और दीक्षितुलु के संवाददाता सम्मेलन की कड़ियों को जोड़ना शुरू किया और इस घटना के तीन बाद दीक्षितुलु को रिटायरमेंट नोटिस थमा दी गई. टीटीडी का ये रवैया दीक्षितुलु को नागवार गुजरा क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने का अधिकार टीटीडी के पास है ही नहीं. दीक्षितुलु के मुताबिक उन्हें उस जगह पर आजीवन बने रहने की अनुमति धार्मिक परिषद ने दी है.

टीटीडी दीक्षितुलु के इस दावे से इत्तेफाक नहीं रखता. उसके अनुसार सेवा नियम 1956 के तहत भगवान का कोई भी अनुवांशिक सेवक 65 साल से ज्यादा उम्र तक नहीं रह सकता और दीक्षितुलु की उम्र 69 साल है.

टीडीपी सांसद सीएम रमेश कहते हैं कि ‘उन्हें पिछले तीन महीने से पता था कि उन्हें किसी भी क्षण मंदिर से विदा होने को कहा जा सकता है, ऐसे में उन्होंने टीडीपी को बदनाम करने के लिए बीजेपी का सहारा लिया और मंदिर से आभूषणों के चोरी होने का झूठा दावा किया.’

टीडीपी के इस पूरी घटना की साजिश करार देने के दावों को इसलिए भी दम मिलता है क्योंकि बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यण स्वामी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं. स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके दीक्षितुलु को रिटायर करने वाले आदेश को समाप्त करने और मंदिर के फंड में टीटीडी के द्वारा गड़बड़ी करने के आरोपों की कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग की है.

इधर टीटीडी ये संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि उसने केवल दीक्षितुलु को निशाना नहीं बनाया है. ऐसे में टीटीडी जल्द ही 15 और पुजारियों को रिटायरमेंट देना चाहता है जिनकी उम्र 65 साल से ज्यादा है.

टीटीडी ने किया दीक्षितुलु के आरोपों से इनकार

टीटीडी के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर ए के सिंघल ने साफ किया है कि मंदिर से कोई भी आभूषण गायब नहीं हुआ है. सिंघल का कहना कि ‘आगम (शास्त्रों में लिखी बातें) सलाहकार अगर अनुमति दे तो टीटीडी कड़ी सुरक्षा के बीच आभूषणों को जनता के सामने रख कर सभी को सब कुछ ठीक ठाक होने का यकीन दिला सकता है.’ सिंघल ने जोर देकर कहा कि मंदिर के सामान्य रख रखाव के लिए रसोई में पहले भी 2001 और 2007 में मरम्मत कराया जा चुका है.

बीजेपी की आंध्र इकाई ने भी दीक्षितुलु के आरोपों पर सीबीआई जांच की मांग की है. दीक्षितुलु के समर्थकों के अनुसार भी वो गड़बड़ी उजागर करने वाले शख्स हैं ऐसे में उन्हें बर्खास्त करने के बजाए उन्हें सुरक्षा देनी चाहिए.

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केई कृष्णमूर्ति ने दीक्षितुलु पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वो मंदिर की छवि को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. टीडीपी को लगता है कि केंद्र सरकार तिरुमाला मंदिर पर कब्जे के लिए दीक्षितुलु का इस्तेमाल कर रहा है.

देश के इस प्रसिद्ध मंदिर में प्रतिदिन 60 हजार से एक लाख श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. इस मंदिर के पास ऐतिहासिक आभूषणों का भंडार है जिसकी वास्तविक कीमत का अंदाजा तक लगाना मुश्किल है. इसके अलावा मंदिर को प्रतिदिन हुंडी,दान आदि से 3 करोड़ रुपए तक की आमदनी हो जाती है. ऐसे में मंदिर और उसकी संपत्ति के महत्व को आसानी से समझा जा सकता है.