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एयर इंडिया विवाद: हो सकता है अगली बार चप्पल तश्तरी में पेश की जाए

हम हमारे जनप्रतिनिधि को चप्पल उतारने की तकलीफ कैसे दे सकते हैं.

Rakesh Kayasth

एयर इंडिया फ्लाइट में चप्पल चलाने वाले शिवसेना सांसद को लगता है कि अपमान पिटने वाले का नहीं, बल्कि उनका हुआ है.

सत्य की लड़ाई अब मीडिया से बाहर निकलकर लोकतंत्र के मंदिर तक पहुंच गई है. एयर इंडिया के कर्मचारी को चप्पल से 25 बार मारने और घंटे भर से ज्यादा फ्लाइट रुकवाने वाले शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ ने संसद में अपना पक्ष रखा.


गायकवाड़ साहब एक वीर शिवसैनिक होने के साथ परम सत्यवादी भी हैं. चप्पल कांड सामने आने के बाद से इस बात के सबूत उन्होने लगातार दिए हैं. मीडिया के सामने वे अपनी वीरता का बखान विस्तार से कर चुके थे. उन्होने संसद को बताया कि दरअसल वे अपराधी नहीं बल्कि पीड़ित हैं.

लोकसभा में गायकवाड़ साहब ने कहा कि एयर इंडिया समेत तमाम विमान कंपनियां उन्हे टिकट देने से इनकार कर रही हैं, ये उनका ही नहीं बल्कि देश की संसद का भी अपमान है.

उन्होने कहा कि विनम्रता उनका स्वभाव है और उन्हे हवाई यात्रा ना करने देना वैसा ही भेदभाव है, जैसा दक्षिण अफ्रीका की ट्रेन में गांधीजी के साथ हुआ था. सत्यवादी सांसद की गुहार सुनकर लोकसभा में मौजूद कई सांसदों ने जोरदार आवाज में विमान कंपनियों को लानत भेजी--  शेम-शेम-शेम!

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जनप्रतिनिधि हमारा, देश हमारा तो पिटेगा कौन?

लोकसभा में गूंजी ये शेम-शेम मेरे कानों में अब तक स्टीरियोफोनिक साउंड में गूंज रही है. सोचकर ग्लानि हो रही है कि कितने छोटे लोग हैं,

हम अपने जनप्रतिनिधि के हाथों जूते भी नहीं खा सकते. जनप्रतिनिधि हमारा, देश हमारा तो पिटेगा कौन?

माना लोकतंत्र में जनता भगवान होती है. लेकिन जनप्रतिनिधि भगवान से भी बड़े होते हैं, क्योंकि लोकतंत्र का `भगवान’ अपनी किस्मत पूरे पांच साल के लिए जनप्रतिनिधि के हवाले कर देता है. यानी जनप्रतिनिधि बड़े वाले भगवान होते हैं, इसलिए तो हमारी संसद का काम भी भगवान भरोसे चलता है.

मुझे एयर इंडिया के उस कर्मचारी की बेशर्मी पर भी ताज्जुब है, जो सांसद महोदय के हाथों सैंडिल से 25 बार पिटने के बावजूद बेहोश तक नहीं हुआ. क्या ये जनप्रतिनिधि का अपमान नहीं है?

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देश भर के कई सांसदों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सत्यवादी सांसद गायकवाड़ का समर्थन किया है. समर्थन करने वालों में सबसे आगे समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल थे.

सांसद बिरादरी गायकवाड़ साहब के साथ एयरलाइन कंपनियों के भेदभाव की खुलकर मुखालफत तो की है, लेकिन पिटने वाले कर्मचारी के समर्थन में कोई सामने नहीं आया. मतलब बहुत साफ है, बाकी माननीय भी यही मानते हैं कि अपने जनप्रतिनिधि के हाथों पिटना हर नागरिक का कर्तव्य है.

दुविधा में सरकार

शिवसेना कोटे से केंद्रीय मंत्री अनंत गीते ने भी जोरदार शब्दों में सत्यवादी सांसद रवींद्र गायकवाड़ का समर्थन किया. लेकिन सरकार इस मामले में फूंक-फूंक पर कदम उठाती नजर आई.

एविएशन मिनिस्टर गजपति राजू ने कहा कि टिकट ना मिलने की जो रवींद्र गायकवाड़ की समस्या है, उसे सुलझाने की कोशिश की जानी चाहिए. लेकिन ध्यान देने लायक बात ये है कि गायकवाड़ एक आम यात्री के तौर पर सफर कर रहे थे.

एविएशन मिनिस्टर ने ये भी कहा कि फ्लाइट सेफ्टी से समझौता नहीं किया जाना चाहिए. गायकवाड़ साहब ने इसका मतलब ये निकाला कि फ्लाइट में उनके चप्पल चलाने के अधिकार को चुनौती दी जा रही है. नतीजा ये हुआ कि शिवेसना सांसदों ने एविएशन मिनिस्टर के घेराव किया. शिवसेना ने धमकी दी है कि एनडीए मीटिंग का बायकॉट किया जाएगा.

जीत सत्यवादी सांसद की होगी?

खबर ये है कि शिवसेना के बढ़ते दबाव के बाद सरकार इस मामले का कोई हल निकालने की कोशिश कर रही है. शिवसेना की मांग है कि सत्यवादी सांसद रवींद्र गायकवाड़ पर दर्ज हुआ मुकदमा वापस लिया जाए और तमाम एयरलाइन कंपनियां उनकी यात्रा पर लगा प्रतिबंध हटाएं.

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दिल्ली पुलिस की एफआईआर का तो पता नहीं लेकिन ये लगभग तय माना जा रहा है कि गायकवाड़ की हवाई यात्राओं पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा. मतलब साफ है कि अगली बार जब गायकवाड़ हवाई यात्रा करेंगे तो पूरा केबिन क्रू हेलमेट पहने नजर आएगा.

ये भी हो सकता है कि एयर होस्टेस सत्यवादी सांसद के लिए तश्तरी में सैंडिल लेकर आए और कहे- आप हमारे जनप्रतिनिधि हैं, हम आपको चप्पल उतारने की तकलीफ कैसे दे सकते हैं?