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व्यंग्य: 'सरकार' के उपवास का उपहास...ना बाबा ना

जब उपवास के नाम पर भक्‍त भगवान को भ्रमित कर देते हैं फिर शिवराज के सामने जनता किस खेत की मूली है

Shivaji Rai

मध्‍य प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग ने अपने विज्ञापन में सच ही कहा है कि 'एमपी अजब है, सबसे गजब है'. यहां की सियासत में भी अजब-गजब होना लाजिमी ही है. मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्‍य में शांति बहाली को लेकर 'उपवास' पर क्‍या बैठे लोगों ने उपहास उड़ाना शुरू कर दिया.

विपक्षी पेट पकड़कर ऐसे हास-परिहास कर रहे हैं. जैसे शिवराज ने उपवास न किया हो. किसी सुंदरी के साथ 'रास' रचा लिया हो. लीलाधर जी तो इस हरकत से बेहद नाराज है. लीलाधरजी का तो कहना है कि लाश, गोमांस पर तो मजाक ठीक था. पर उपवास का मजाक किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है.


उपवास का फंडा

मध्‍य प्रदेश की जनता को शिवराज सिंह चौहान पर गर्व होना चाहिए कि उन्‍होंने शांति बहाली के लिए उपवास का फंडा आजमा रहे हैं. वर्ना आम आदमी तो भूख की आग दबाने के लिए उपवास की जगह सल्‍फास चुन लेता है. लेकिन मूर्ख विपक्षी शोर मचा रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि शिवराज सरकार किसान विरोधी हैं और शिवराज चौहान का उपवास नाटक है.

इन कांग्रेसियों को कौन बताए कि खुद राष्‍ट्रपिता बापू ने ही उपवास को प्रतिष्ठित किया है. बापू ने ही सियासत में उपवास की रूपरेखा तैयार की है, खुद बापू भी अपनी बात मनवाने के लिए कभी कारावास जाते थे तो कभी उपवास पर उपवास के बल पर ही बापू गोरे फिरंगियों को देश से भगाने में सफल रहे. फिर शांति बहाली कौन सी बड़ी बात है.

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उपवास को किसी भी लिहाज से सहज नहीं कहा जा सकता. सत्‍ताधारी नेताओं से उपवास का छत्‍तीस का आंकड़ा होता है. सियासत में वही नेता पक्‍का होता है जो भूख का कच्‍चा होता है. भूख चाहे जैसी भी हो. कुर्सी की हो, सम्‍मान की हो, पद-प्रतिष्‍ठा की हो या भोग-विलास की हो. जिस दिन भूख खत्‍म समझो, उसी दिन सियासत खत्‍म. बुजुर्ग नेताओं का तो यहां तक कहना था कि उपवास सियासत की बैलेंस सीट को मेंटेन करता है, सियासी पकड़ को मजबूत करता है.

माननीय अरविंद केजरीवाल जैसे नेता तो आने वाली राजनीतिक पीढ़ियों को आगे बढ़ने के लिए एडवांस टैक्‍स की तरह 'एडवांस उपवास' का सुझाव देते हैं. उनका कहना है कि उपवास 'नमक-हराम हो या नमक हलाल' दोनों ही हालत में नमक का स्‍तर गिराकर सेहत को मजबूती देता है.

उपवास का महात्म्य

सत्‍ताधारी उपवास पर है इसका सीधा अर्थ है कि उसका लक्ष्‍य बड़ा है. शिवराज सिंह उपवास कितना कारगर होगा यह तो समय बताएगा. लेकिन इतना तय है कि किसानों की समस्‍या सुलझे ना सुलझे. उपवास के नाम पर प्रायश्चित की जो गंगा शिवराज सिंह ने बहाई है, वह भगीरथ प्रयास कुछ न कुछ जरूर रंग लाएगा.

धर्म-पुराण भी उपवास के महत्‍ता की मुक्‍तकंठ से प्रशंसा की है. भगवान श्रीकृष्‍ण ने गीता में उपवास को लेकर कहा है कि 'विषया विनिवर्तन्‍ते निराहारस्‍य देहिनः निर्जला' अर्थात् उपवास हर लिहाज से बेहतर है. ऐसा नहीं कि उपवास सिर्फ कायिक और राजनीतिक हित में है. उपवास राष्‍ट्रहित का भी मानक है. पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्‍त्री ने तो एक समय उपवास को सबसे बड़ा देशभक्ति कहा था.

शिवराज सिंह के उपवास को लेकर अवधू गुरु शांति बहाली को लेकर पूरी तरह आश्‍वस्‍त हैं, खुद गुरु भी जीवन में उपवास को प्राथमिकता देते रहे हैं. श्रीमति जी के हाथों से बनी चपाती से उबकर गुरु अक्‍सर उपवास पर चले जाते हैं और महंगाई में भी फल,मेवे के साथ-साथ दूध दही का भरपूर मजा लेते हैं.

गुरु को शिवराज सिंह की सफलता पर कोई संदेह नहीं है, उनका दृष्टिकोण साफ है, जब उपवास के नाम पर भक्‍त भगवान को भ्रमित कर देते हैं फिर शिवराज के सामने जनता किस खेत की मूली है. गुरु का कहना है कि किसान को उस‍के हाल पर छोड़ो. उपवास पर रहो और बिंदास रहो.