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पन्नीरसेल्वम के लिए विधायकों को अपने साथ लाना आसान नहीं

शशिकला को एआईएडीएमके विधायक दल के नेता के तौर पर हटाना आसान नहीं होगा

T S Sudhir

पांच दिन बाद भी ओ पन्रीरसेल्वम के पास खुद को मिलाकर केवल सात विधायक ही हैं. ऐसा लग रहा है कि जिस तरह से असली चेन्नई सुपर किंग को जीतने के लिए एमएस धोनी टीम को अंतिम ओवर तक ले जाते हैं, उसी रास्ते पर केयरटेकर मुख्यमंत्री भी चल रहे हैं. वह आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.

पन्नीरसेल्वम कैंप का मानना है कि अगर शशिकला को सुप्रीम कोर्ट ने रन आउट कर दिया तो मुख्यमंत्री विधायकों की लहलहाती फसल को काटने का मौका नहीं चूकेंगे.


शशिकला कैंप का भरोसा

टीम शशिकला पन्नीरसेल्वम के ख्याली पुलावों का मजाक उड़ा रही है और उनके नाम के आगे लगे ‘ओ’ से उन्हें शून्य साबित कर रही है. शशिकला कैंप इस बात से भरोसे में है कि विधायकों ने अभी तक शशिकला को अकेला नहीं छोड़ा है, ऐसा तब है जबकि उनके आजादी के अधिकार पर बड़े पैमाने पर रोक लगा दी गई है.

पनीरसेल्वम ने शशिकला पर हर एमएलए के पीछे गुंडे लगा देने और विधायकों को अपने साथ जोड़े रखने के लिए पैसे और ताकत दोनों के इस्तेमाल का आरोप लगाया है.

135 में से 90 एमएलए शशिकला के साथ

लेकिन, जमीन पर वास्तविक हालात क्या है? 2016 में चुने गए एआईएडीएमके के 135 विधायकों (जयललिता को छोड़कर) में से सूत्रों के मुताबिक, कम से कम 90 शशिकला के पक्के वफादार हैं. उन्हें शशिकला की बदौलत ही टिकट मिले थे.

इसी वजह से वे अभी भी उनके कैंप में टिके हुए हैं. जो कोई भी विधायकों पर शशिकला परिवार के नियंत्रण को कमतर आंक रहा है, वह बड़ी गलती कर रहा है.

दोनों नेताओं को अम्मा का सहारा

अम्मा को लेकर एक बड़ा इमोशनल कनेक्ट भी मौजूद है. यही वजह है कि शशिकला और पन्नीरसेल्वम दोनों ही अपने अम्मा कनेक्ट को और मजबूती से दिखाने की कोशिश में लगे हैं.

ऐसे कई लोग जिनका शशिकला से मोहभंग नहीं हुआ है, उनको लगता है कि पोएस गार्डन के साथ इस मौके पर धोखा करना जयललिता की आत्मा को कष्ट पहुंचाएगा.

दोनों के मीडिया के साथ बातचीत में जयललिता के फोटो प्रभावी तौर पर दिखाई देते हैं, जैसे कि अपनी राजनीतिक पहचान स्थापित करने के लिए यह इनका कोई आधार कार्ड हो.

शशिकला जहां जयललिता के साथ तीन दशक पुराने अपने संबंधों का हवाला देती हैं, वहीं पनीरसेल्वम हर बार खुद को अम्मा की पसंद बताते हैं.

शशिकला फैमिली से लोगों की नाराजगी

मुख्यमंत्री को आम लोगों का सपोर्ट मिलने में शशिकला के अपने परिवार का साथ लेने से भी मदद मिली है. लोग शशिकला के परिवार को पसंद नहीं करते हैं. उनके परिवार पर कई आर्थिक अपराधों के आरोप हैं और इन्हीं वजहों से जयललिता ने 2011 में शशिकला को पोज गार्डन से बाहर धकेल दिया था.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबकुछ बदल सकता है. यहां तक कि शशिकला के वफादार 90 विधायकों में से कई पाला बदल सकते हैं. कोई भी विधायक एक साल के भीतर फिर से चुनाव नहीं चाहता है. ऐसे में विधायक किसी भी मजबूत नेता के साथ जाने से पीछे नहीं हटेंगे.

आखिर में, शशिकला के प्रति वफादारी, तमिलनाडु के हित और लोगों की राय ये सब व्यक्तिगत राजनीतिक हितों के सामने गौण हो जाते हैं. इससे तय होगा कि शशिकला का कैंप किस ओर जा सकता है.

विधायकों के पाला बदलने में शक

सभी विधायक पाला बदल लेगें इस बात में थोड़ा शक है. इन 90 विधायकों में से 30-40 के डिगने के आसार कम हैं. ऐसा इस वजह से है क्योंकि शशिकला के परिवार का इन पर जाति और अन्य वजहों से अच्छा-खासा नियंत्रण है. यह संख्या इतनी है कि पन्नीरसेल्वम के लिए अपने बूते पर सरकार बनाना आसान नहीं होगा.

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शशिकला खुद पर हो रहे हमलों को एक महिला के खिलाफ हो रहे षड्यंत्रों के तौर पर दिखा रही हैं. वह अपने विधायकों को शेर के जैसे बता रही हैं. सिंघम सीजन में यह एक उपमा है जो कि उन्हें ललकारने के लिए इस्तेमाल हुई है.

हालांकि, एक दशक पहले रजनीकांत ने शिवाजी में हमें बताया था कि ‘सिंघम सिंगल आ धान वरुम’ यानी एक शेर हमेशा अकेले हमला करता है.

भाग्य के धनी पनीरसेल्वम को पसंद नहीं करते सीनियर नेता

साथ ही पनीरसेल्वम की इमेज उनकी सोशल मीडिया टीम पावम (भोलेभाले, निर्दोष) के तौर पर बनाने में भले ही जुटी है, लेकिन हकीकत यह है कि वह एआईएडीएमके के सबसे लोकप्रिय चेहरा नहीं हैं. जिस तरह से अम्मा ने उन्हें बार-बार सत्ता की कमान सौंपी और अपना सबसे वफादार माना, उससे पार्टी के भीतर उनके जलने वालों की कमी नहीं है.

मई 2001 में पन्नीरसेल्वम पहली बार तमिलनाडु असेंबली के लिए चुने गए. विधायक बनते ही उन्हें सीधे रेवेन्यू जैसा तगड़ा पोर्टफोलियो मिल गया. चार महीने बाद ही उन्हें तब जबरदस्त मौका मिला, जब जयललिता ने सितंबर में गद्दी छोड़ दी और पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने चुना. इस दोहरे प्रमोशन को पार्टी के ज्यादातर सीनियर नेता पचा नहीं पाए.

सितंबर 2016 में उन्हें फिर से चुना गया और पन्नीरसेल्वम मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ रिकॉर्ड बुक में शामिल हो गए. सुबकते हुए और आंसू पोंछते हुए उन्होंने पद की शपथ ली. दोनों मौकों पर उन्होंने जयललिता के चौकीदार के तौर पर भूमिका निभाई. उन्होंने कभी सचिवालय में जयललिता के चैंबर या उनकी कुर्सी पर बैठने की जुर्रत नहीं की.

जयललिता की नजर में यह वफादारी का सबसे बड़ा सबूत था. वह अपने सहयोगियों में लोकप्रिय नहीं हो सके, जो कि उन्हें पेरियाकुलम के एक चाय दुकान मालिक के तौर पर देखते थे.

सांसदों की सोच अलग

11 सांसदों ने पाला बदलकर पन्नीरसेल्वम को सपोर्ट दिया है, इससे यह राय बन रही है कि अगर विधायकों को स्वतंत्र कर दिया जाए तो वे भी ग्रीनवेज रोड का रुख कर सकते हैं जहां केयरटेकर मुख्यमंत्री रहते हैं.

लेकिन, सांसदों की कहानी अलग है. वे 2019 के चुनावों की ओर देख रहे हैं और अपने नुकसान को कम करने की कोशिश में हैं. उन्हें लग रहा है कि पब्लिक सेंटीमेंट शशिकला के खिलाफ है और वे दो साल में फिर से चुनाव चाहते हैं.

लेकिन, जब तक पन्नीरसेल्वम को विधायकों का साथ नहीं मिलता, तब तक उनके लिए शशिकला को एआईएडीएमके विधायक दल के नेता के तौर पर हटाना आसान नहीं होगा. भले ही राजभवन ने पन्नीरसेल्वम को चीजें दुरुस्त करने का मौका दिया है, लेकिन उनके लिए वक्त तेजी से गुजर रहा है.