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एयर इंडिया विवाद: वीआईपी कल्चर के सामने समर्पण न करें एयरलाइंस  

लोगों को संसद से पूछना चाहिए कि सदन ने गायकवाड़ के इस व्यवहार के लिए उन पर नाराजगी क्यों नहीं जताई

Bikram Vohra

अगर मुंबई जाने वाली सभी फ्लाइट्स रोक दी जाएं तो इससे मुंबई को ही परेशानी होगी. यह सोचना कितना अजीब है कि एक ऐसा शख्स जिसने एयरक्राफ्ट पर 40 मिनट तक कब्जा किए रखा और हाथापाई का सहारा लिया, उसे उसके इस काम के लिए समर्थन दिया जा रहा है. तकनीकी तौर पर उनका व्यवहार हाइजैकिंग माना जा सकता है.

अगर माननीय सांसद रवींद्र गायकवाड़ पर बैन जारी रहने की स्थिति में फ्लाइट्स को ब्लॉक करने की आवाज लोकसभा में गुरुवार को उठी. शिवसेना ने इस मांग को उठाया और कांग्रेस ने तर्क की बजाय सिद्धांत के आधार पर इसका समर्थन किया.


दूसरे देश में ऐसे लोगों को पकड़ा जाता हथकड़ियां पहनाई जातीं

गायकवाड़ ने हिंसा का सहारा लिया और कुछ लोग ऐसे हैं जो इसे उचित ठहरा रहे हैं. कोई इसे कैसे तर्कसंगत मान सकता है? इस शख्स का जीवन खतरे में नहीं था, न ही वह अपने परिवार को किसी अटैक से बचा रहे थे, कोई चोर भी उनके घर में नहीं घुस आया था.

वह केवल इसलिए गुस्से से भड़क गए क्योंकि उनके पास एक सरकारी पैसे से खरीदा गया बिजनेस क्लास टिकट था और यह दिल्ली जा रही एक फुल इकनॉमी क्लास फ्लाइट थी.

इसके बाद के उनके वीडियो इंटरव्यू में वह आक्रामक, बदतमीज और घमंड में चूर नजर आए हैं. उनके चेहरे पर जरा भी दुख या घटना के लिए खेद जैसी चीज नहीं दिखी.

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इसके उलट पीड़ित एयर इंडिया के एक सीनियर एंप्लॉयी सुकुमार ने इस घटना के बाद बेहद संयमित और अनुशासित व्यवहार किया. उन्होंने हेडलाइंस हासिल करने या मीडिया में अपनी कहानी सुनाने की कोशिश नहीं की. हकीकत यह है कि हम में से कई ने तो उन्हें देखा भी नहीं और यही चीज काफी कुछ कहती है.

गायकवाड़ का समर्थन करने वाले यह आरोप लगाते हैं कि सुकुमार असभ्य थे. जब कोई पैसेंजर एयरक्राफ्ट पर कब्जा कर ले तो ऐसी स्थिति में असभ्यता सब्जेक्टिव हो जाती है.

ग्राउंड और केबिन क्रू को यह हक होता है कि वह ऐसे शख्स को रोकने के लिए जो भी उचित हो, वैसा कदम उठाएं. किसी भी दूसरे देश में ऐसे शख्स को पकड़ लिया जाता, हथकड़ियां पहनाई जातीं और लॉक-अप में डाल दिया गया होता.

ऐसे शख्स पर शांति भंग करने, एक उड़ान को तैयार एयरक्राफ्ट को रोकने, गड़बड़ी पैदा करने और एयर सेफ्टी को खतरा पहुंचाने के आरोप लगते. वीडियो में जिस तरह की अफरातफरी दिख रही है, जिसमें उन्होंने एयर इंडिया के एमडी के माफी मांगने तक एयरक्राफ्ट से उतरने से इनकार कर दिया.

इन आरोपों पर उन्हें 20 साल तक की जेल की सजा और 2.5 लाख डॉलर तक का जुर्माना झेलना पड़ सकता था.

और हम इसके नफे-नुकसान की चर्चा कर रहे हैं कि क्या इसका कोई उजला पक्ष भी था. मसलन, हो सकता है कि उनका भी कोई तर्क हो, क्योंकि आखिरकार वह एक एमपी हैं. पहले सांसदों को लोगों का सेवक माना जाता था जो कि लोगों की सेवा के लिए चुने जाते हैं. यह नहीं माना जाता था कि ये सैंडलों और चप्पलों से लोगों की पिटाई करने के लिए चुने गए हैं.

चार्टर्ड प्लेन से उड़ने वाले गायकवाड़ को एयर इंडिया से परेशानी

नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू की तारीफ करनी होगी जिन्होंने गायकवाड़ का समर्थन कर रहे शिवसेना के लोगों को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा, ‘अगर आप इस समस्या को खत्म करना चाहते हैं तो हम ऐसा कर सकते हैं. अगर आप इसे बढ़ाना चाहते हैं, तो आप इसके लिए फ्री हैं. लेकिन, एयरक्राफ्ट सेफ्टी के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा.’

उड़ान भरने से रोके जाने के बाद ट्रेन में पीछा कर रही मीडिया से निजात पाने के लिए गायकवाड़ ने पुलिस तक बुला ली थी. गुस्सा और आक्रामकता उनके डीएनए में है. असलियत यह है कि उन्हें लगता है कि उन्होंने ठीक किया है. उन्होंने हाल में ही एक चार्टर्ड प्लेन की सेवाएं लीं....इसके लिए पैसा कौन दे रहा है.

यह अच्छी चीज है कि सभी एयरलाइंस एकजुट होकर खड़ी हैं और यह सुनिश्चित कर रही हैं कि हर पैसेंजर की सेफ्टी और सिक्योरिटी पुख्ता हो. गायकवाड़ को हर साल 34 मुफ्त के टिकट मिलते हैं.

एयर इंडिया को तो नेताओं ने अपनी जागीर मान लिया था. धमकियों और रुतबा झाड़ने वालों के आगे समर्पण कर देना, लंबे वक्त से चल रहा है. इस वीआईपी कल्चर पर रोक लगाने की जरूरत है. हमारे यहां चाइना के मुकाबले पांच गुना ज्यादा वीआईपी हैं.

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हमारे यहां दुनिया में सबसे ज्यादा आधिकारिक दिग्गज हैं. आपको याद होगा कि 2015 में इंडिया ने यूएसए जाने में आसानी देने के लिए 2,000 वीआईपी की एक लिस्ट तैयार करने की कोशिश की थी.

मुंबई में फ्लाइट्स को उतरने से रोकने से न केवल शिवसेना लोगों को नाराज करेगी, जो कि गायकवाड़ का सपोर्ट नहीं करती है. गायकवाड़ मानते हैं कि वह जो कर रहे हैं, सही है.

लोगों को संसद से पूछना चाहिए कि सदन ने गायकवाड़ के इस व्यवहार के लिए उन पर नाराजगी क्यों नहीं जताई. क्यों अन्य सांसद भी अशोभनीय व्यवहार के लिए उनके साथ खड़े हैं?