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राजौरी गार्डन में बीजेपी की जीत ने एमसीडी चुनाव के नतीजों का संकेत दे दिया है?

केजरीवाल एंड कंपनी के लिए एमसीडी चुनाव को जीतना अपनी उड़ान की उम्मीदों को जिंदा रखने के लिए ज्यादा जरूरी है

Amitesh

दिल्ली विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को मिली जीत इस मायने में भी अहम हो जाती है क्योंकि दस दिन के बाद ही एमसीडी चुनाव होने वाले हैं. 23 अप्रैल को ही एमसीडी के लिए वोट डाले जा रहे हैं. ऐसे में राजौरी गार्डन के उपचुनाव में बीजेपी को मिली जीत का असर एमसीडी चुनाव पर भी पड़ने वाला है. बीजेपी इस जीत को जनता के बीच भुनाने की कोशिश भी करेगी और इसे केजरीवाल के काम के खिलाफ जनाक्रोश के तौर पर पेश भी करेगी.

राजौरी गार्डन के उपचुनाव में जीत के बाद बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता जश्न के माहौल में डूबे हैं और पूरी दिल्ली के भीतर इस जीत को एमसीडी चुनाव से पहले जनादेश के संकेत के तौर पर बता भी रहे हैं.


काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती

दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने इस जीत के बाद फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में कहा कि अब साफ हो गया है कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती, दो साल पहले दिल्ली की जनता ने जिस केजरीवाल को जीत दिलाई थी, अब साफ हो गया है कि जनता ने केजरीवाल के काम को नकार दिया है. जिस सीट पर 'आप' दो साल पहले जीती थी, उसी सीट पर वो तीसरे नंबर पर खिसक गई है.

बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत बीजेपी के दूसरे नेता भी इस जीत को केजरीवाल सरकार के काम के खिलाफ जनता का फैसला बताने में लगे हैं.

एमसीडी चुनाव में लड़ाई बीजेपी बनाम कांग्रेस बनाम आप है. बीजेपी दस साल से एमसीडी की सत्ता में है और एंटीइंकम्बेंसी से बचने के लिए उसकी तरफ से सभी पुराने पार्षदों का टिकट काट कर युवा चेहरों को मैदान में उतार दिया गया है.

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दूसरी तरफ, आप के दो साल के काम काज का आकलन भी हो रहा है कि जिन उम्मीदों पर दिल्ली में केजरीवाल को एकतरफा जीत मिली, क्या मुख्यमंत्री केजरीवाल उन उम्मीदों पर खरे उतर पाए हैं या नहीं. इसके अलावा, कांग्रेस भी एक बार फिर से अपनी खोई जमीन हासिल करने की कोशिश कर रही है.

ऐसी सूरत में दिल्ली के मिनी दंगल को जीतकर बीजेपी ने फिलहाल बाजी मार ली है. भले ही उपचुनाव केवल एक सीट पर ही हुआ है, लेकिन, इसके संकेत बड़े हैं. उपचुनाव के नतीजों से साफ है कि अरविंद केजरीवाल का ग्राफ धीरे-धीरे कम हो रहा है, केजरीवाल की लोकप्रियता घटती नजर आ रही है. जबकि, बीजेपी अभी भी मोदी लहर पर सवार होकर आगे अपना कदम बढ़ा रही है.

कांग्रेस भले ही विधानसभा का उपचुनाव हार गई हो, लेकिन, उसे इस बात का संतोष जरूर है कि इस चुनाव में बीजेपी से लड़ाई उसी की हुई है. दिल्ली की सत्ता में काबिज आप तीसरे नंबर पर खिसक गई है.

पंजाब विधानसभा चुनाव के वक्त राजौरी गार्डन से आप के विधायक जरनैल सिंह ने इस्तीफा देकर प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ लांबी से चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया था. इसी के चलते खाली हुई सीट पर अब उपचुनाव कराया गया था.

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बीजेपी-अकाली दल की तरफ से मनजिंदर सिंह सिरसा चुनाव मैदान में थे जिन्हें जीत हासिल हुई है, जबकि, कांग्रेस की तरफ से मिनाक्षी चंदेला दूसरे नंबर पर और आप के हरजीत सिंह तीसरे नंबर पर रहे.

अब विधानसभा के भीतर पहले नंबर की पार्टी उपचुनाव में तीसरे नंबर पर पहुंच गई है. गोवा में पूरी तरह से सफाए और पंजाब के भीतर सारे अरमानों पर पानी फिर जाने के बाद केजरीवाल एंड कंपनी के लिए एमसीडी चुनाव को जीतना अपनी उड़ान की उम्मीदों को जिंदा रखने के लिए ज्यादा जरूरी है. लेकिन, उपचुनाव में लड़खड़ाते कदम ने एमसीडी चुनाव से पहले आप की उलझन को और बढ़ा दिया है.