राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत ने मुख्य सचिव डीबी गुप्ता साहब को एक चिट्ठी लिखी है कि मौजूदा सरकार और मुख्यमंत्री सरकारी खजाने का बेजा इस्तेमाल अपने चुनाव प्रचार और बीजेपी के लिए कर रही हैं, उन्हें इस पर रोक लगानी चाहिए. गहलोत साहब ने कहा है कि प्रधानमंत्री और राज्यपाल की मौजूदगी में सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के कार्यक्रम को बीजेपी की सभा में बदल दिया गया. फिर मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा में सरकारी पैसे, चीजों और अफसरों का इस्तेमाल किया गया. भामाशाह डिजिटल योजना के नाम पर एक करोड़ मोबाइल फोन बांटे जा रहे हैं... और भी बहुत सी बातें हैं.
एक बात और गहलोत साहब ने इस चिट्ठी में लिखी है कि पिछली बार जब उनकी सरकार थी तो चुनावों के वक्त उनके मुख्य सचिव मैथ्यू साहब पर इस तरह के आरोप बीजेपी ने लगाए थे तो मुख्य सचिव साहब छुट्टी लेकर चले गए थे. गहलोत साहब ने अपने कार्यकाल के दौरान पुलिस के मुखिया रहे साहब पर लगे आरोपों की चर्चा इस चिट्ठी में नहीं की है.
वैसे जिन साहब पर तब बीजेपी ने ना केवल आरोप लगाए बल्कि चुनाव आयोग और दूसरी संस्थाओं के दरवाज़े इस बात के लिए खटखटाए कि उन्हें चुनाव से पहले पद से हटाना चाहिए, फिर उन्हीं साहब को बीजेपी ने टिकट भी दे दिया और सांसद भी बन गए. इससे कुछ दिन पहले गहलोत साहब ने मुख्यमंत्री के सचिव पर हमला बोला था.
बस बीजेपी पर निशाना ही नहीं, दावेदारी भी पेश कर रहे हैं गहलोत
राजनीति को समझने वाले लोगों का कहना है कि इन आरोपों और चिट्ठियों का मसला सीधा बीजेपी या सीएम साहब से नहीं जुड़ा हुआ है, बल्कि उस बहाने गहलोत जनता और अपने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को यह साबित करना चाहते हैं कि पार्टी के असली लीडर और सीएम के दावेदार वहीं हैं. इस सप्ताह जब डूंगरपुर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट की मोटरबाइक की फोटो का जिक्र करते हुए कहा कि यह फोटो देखते ही उन्हें लगा कि अब कांग्रेस जीत गई है. उनको जीत की मुबारकबाद.
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गहलोत साहब के समर्थक कह रहे हैं कि इस फोटो से साबित हो गया कि पायलट को गहलोत साहब को सीएम आवास तक पहुंचाना है. पायलट के नौजवान समर्थक मानते हैं कि इसका मायने है कि गहलोत अब बैकसीट पर आ गए हैं. और राहुल गांधी मानते हैं कि इस फोटो से कांग्रेस जीत रही है.
राहुल गांधी ने जहां डूंगरपुर में सभा की, वो आदिवासी इलाका है और एक जमाने तक कांग्रेस का गढ़ रहा है. मोहन लाल सुखाड़िया, हरिदेव जोशी और हीरालाल देवपुरा इसी इलाके के बदौलत मुख्यमंत्री बनते रहे. सी पी जोशी को भी इसी इलाके पर भरोसा रहा, लेकिन अब गणित बदल गया है. संघ की वनवासी परिषद और दूसरे संगठनों के कामकाज ने यहां भगवा झंडा फहरा दिया है तो सिर्फ सभा करने से काम नहीं चलने वाला.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी पार्टी में टूट-फूट सुधारने और कमजोर इलाकों को ताकत देने में लग गए हैं. अगले हफ्ते शाह गंगापुर में सभा करने वाले हैं. बीजेपी के लिए भरतपुर, करौली, सवाईमाधोपुर अभी कमजोर इलाकों में से है. मीणा बहुल इस इलाके के लिए बीजेपी ने इस इलाके के बड़े नेता डा. किरोड़ी लाल मीणा की घर वापसी करा दी है. डा मीणा ने एक जमाने तक मुख्यमंत्री राजे के खिलाफ बहुत तीर चलाए, फिर बहुत ज़माने तक अनबोला रहा. पिछली बार गहलोत सरकार में उनकी पार्टी सरकार में भी शामिल थी लेकिन अब घर को ठीक-ठाक किया जाने लगा है.
इस सप्ताह दिल्ली में आरएसएस प्रमुख का तीन दिनों तक संबोधन हुआ था, जिसमें उन्होंने मुसलमानों के बिना हिंदुत्व के ना होने की बात की है. देश भर में बीजेपी के 1515 विधायक हैं, इनमें से सिर्फ 4 मुस्लिम विधायक हैं, इनमें से दो राजस्थान में हैं. राजस्थान में करीब 25 सीटों पर मुस्लिम वोटर असर डालते हैं, बीजेपी ने पिछले चुनाव में इसमें से 21 सीट जीत लीं थी. हो सकता है कांग्रेस को भी इस हिसाब-किताब की जानकारी हो.
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युवा वोटर फिर बदलेंगे सरकार?
एक और अहम आंकड़ा युवा वोटरों को लेकर है. इस बार के चुनाव में 70 लाख नए वोटर रजिस्टर हुए हैं, फाइनल लिस्ट बनने तक 5 लाख और बढ़ सकते हैं, ये कुल वोटर का 18 फीसद होता है. पिछले चार चुनावों के नतीजें देखें तो जब भी नए युवा वोटरों का प्रतिशत बढ़ा है तो बीजेपी की सरकार बनी है और यह इस बार अब तक का सबसे ज्यादा है. 2003 और 2013 में 12 फीसद से ज्यादा युवा वोटर बढ़े, वसुंधरा राजे सीएम बनीं, 2008 में सिर्फ सात फीसद बढ़े, तब गहलोत सीएम बने थे, तो क्या युवा वोटर राजस्थान के हर चुनाव में नई पार्टी की सरकार बनने के इतिहास को बदल सकते हैं? लेकिन बेरोजगारी को लेकर खासी नाराजगी भी है, इसे कैसे दुरस्त किया जाएगा?
वसुंधरा सरकार के लिए इन दिनों एक विज्ञापन सिरदर्द बना हुआ है. बीजेपी सरकार के दौरान सरकारी स्कूलों की सूरत बदलने का दावा करने वाले इस विज्ञापन में एक स्कूली बच्चे के मुस्कराते हुए तस्वीर छपी है. विज्ञापन में कहा गया है कि 'मेरा स्कूल बदल गया है, वहां शौचालय है, फर्नीचर है, पीने का पानी है, शिक्षक भी आते हैं, भोजन मिलता है और अब दूध मिलने लगा है', लेकिन असल में हालात बिलकुल उलट है. उस लड़के को जयपुर बुलाकर तस्वीर तो खींच ली गई, लेकिन उसके स्कूल की तस्वीर नहीं बदली है, ना वहां पीने का पानी है, ना फर्नीचर है और ना ही शिक्षक, इसको लेकर भी खासा हंगामा होने लगा है, सरकार के पास सफाई देने के लिए शायद कुछ नहीं.
राजस्थान में जैन समाज का बहुत असर है, राजनीति में उनका काफी दखल है. भादो के इस महीने के आखिर में इन दिनों पर्यूषण पर्व चल रहे हैं, जिसमें ना केवल जैन समाज बल्कि अन्य समाज के लोग भी साल भर में की गई अपनी गलतियों, अंहकार और दूसरी जानी-अनजानी दिल दुखाने वाली बातों के लिए सभी से माफी मांगते हैं. मुझे नहीं लगता कि प्रदेश के राजनेताओं ने इस अहम पर्व से कुछ ज़्यादा सीखा है.
'मिच्छामि दुक्कड़म'
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनसे Vijaitrivedi007@gmail.com आईडी पर संपर्क किया जा सकता है.)