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राजनीति में राहुल की कामयाबी का पहला अध्याय: 2019 की जंग के लिए आगे क्या हैं चुनौतियां?

2019 में बीजेपी के खिलाफ जंग में राहुल गांधी को सबको साथ लेकर चलना होगा और अब ये ज्यादा मुश्किल होता दिख रहा है

Vivek Anand

राफेल डील पर जांच की मांग करने वाली सारी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. फैसले के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह संसद में बोले- 'राहुल गांधी ने राजनीतिक फायदे के लिए पूरे देश की जनता को गुमराह किया, देश की छवि पूरी दुनिया में खराब की. उन्हें देश और देश की संसद से माफी मांगनी चाहिए.' बीजेपी अध्यक्ष प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोले- 'सूरज के ऊपर कितना भी कीचड़ या कितनी भी मिट्टी उछाल लें वो स्वयं पर ही गिरती है. आगे से राहुल गांधी ऐसे बचकाने आरोप से बचें.' बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा- 'पिछले कई महीनों से वो झूठ और गुमराह करने वाला प्रोपेगैंडा चला रहे थे, अब देश की जनता से माफी मांगें.' महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बोले- 'राहुल गांधी के झूठ का पर्दाफाश हो गया है, अब देश की छवि को पूरी दुनिया में दागदार करने के लिए वो माफी मांगें.'

बीजेपी की तंद्रा टूटी है


राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तकरीबन हर छोटे-बड़े नेता ने कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी की लानत-मलानत की. इससे दो चीजें तो बिल्कुल साफ हो जाती हैं.

पहली- तमाम कोशिशों के बावजूद भी राफेल डील पर बीजेपी को राजनीतिक तौर पर नुकसान हुआ है, इसलिए सर्वोच्च अदालत का फैसला उसके लिए एक राहतभरी खबर है. दूसरी- जिस तरह से इस फैसले के बाद बीजेपी के हर नेता ने राहुल गांधी की राजनीतिक तौर पर ऐसी-तैसी की, वो इन नेताओं के उस बयान से मेल नहीं खाता है जो कहा करते थे कि 2019 का मुकाबला मोदी बनाम राहुल का हो जाए तो मजा आ जाए.

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दरअसल 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने बहुत कुछ बदल दिया है. इतने दिनों से कांग्रेस की हर हार पर जिस तेजी से पार्टी के नेता उनका बचाव करते थे, उतने ही तीखे तेवर से बीजेपी उनपर हमले करती थी. इस बार 3 बड़े राज्यों की जीत ने विपक्ष की बोलती तो बंद की ही है. जो लोग मोदी बनाम राहुल के हालात में अपनी एकतरफा जीत की कल्पना से भाव-विभोर हो रहे थे, उन्हें भी झटका लगा है.

राहुल गांधी की पॉजिटिविटी जनता में अच्छा संदेश लेकर गई है

राहुल गांधी ने जिस गरिमा के साथ जीत को स्वीकार किया, जीत के बाद अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिना अकड़ के जिस संपूर्णता के साथ अपनी बात रखी, लगातार हार के बाद पहली जीत पर जिस परिपक्वता का परिचय दिया, वो तारीफ के काबिल है. उनका ये कहना कि 'हम बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ लड़ेंगे, हमने उनको आज हराया है और 2019 में भी हराएंगे लेकिन हम किसी को भारत से मुक्त नहीं करना चाहते. अगर लोगों की सोच हमसे अलग है तो हम उस सोच से लड़ेंगे, हम उन्हें देश से मिटाना नहीं चाहते.' शांत भाव से कही इन बातों ने एक पॉजिटीविटी पैदा की है. कांग्रेस पार्टी के भीतर के तमाम अंतर्विरोधों के बीच ऐसी पॉजिटीविटी जनता के बीच अच्छा संदेश लेकर गई है.

हालांकि, 3 बड़े राज्यों की जीत के बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से कांग्रेस शासित राज्यों को हरे रंग से दर्शाते हुए भारत के मानचित्र को ट्वीट किया. बीजेपीशासित राज्य भगवा रंग में रंगे थे. पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के हरे रंग में रंग जाने के बाद भगवा कुछ सिकुड़ता हुआ सा दिख रहा था. कांग्रेस ने कैप्शन दिया- इंडिया का नया भारत स्वच्छ अभियान. यानी अब कांग्रेस भगवा रंग साफ करने का अभियान चला रही है. ये एक तरीके से बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत का जवाब ही है. हल्के-फुल्के ढंग से सिर्फ एक ट्वीट के जरिए कहे जाने की वजह से ज्यादा चर्चा नहीं हुई.

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अब चुनौतियां ज्यादा बड़ी

एक बात साफ है कि राहुल गांधी के लिए जितनी आशाएं हैं, उतनी ही बाधाएं हैं. 3 राज्यों की बड़ी जीत के बाद की चुनौतियां ज्यादा बड़ी हैं और वो कांग्रेस का सीएम चुने जाने के नाम पर पिछले 3 दिनों से जारी उठापटक से जाहिर हो जाती है. मध्य प्रदेश का सीएम चुनने में 24 घंटे का जबरदस्त राजनीतिक तनाव वाला वक्त दिखा. राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम पर छिड़ी महाभारत को शांत करने में 48 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा. छत्तीसगढ़ के सीएम चुनने में राजनीतिक गुणा-भाग के कितने पैंतरे आजमा लिए गए.

इन तीन राज्यों में सीएम का चुनाव हो जाने के बाद भी राजनीतिक हालात सामान्य होने में वक्त लगेगा. उसके बाद बारी आएगी राहुल गांधी को उन राज्यों में किए वायदों को पूरा करने में. मध्य प्रदेश में अपनी हार की जिम्मेदारी लेने और कांग्रेस को जीत की बधाई देने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शांत मुक्त भाव में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने सामने आए तो राहुल गांधी के वायदों पर चुटकी लेने से बाज नहीं आए. बोले- ‘हमें उम्मीद है कि उन्होंने अपने वचनपत्र में जो घोषणाएं की हैं, वो उसको पूरा करेंगे. 10 दिन में कर्जमाफी का वचन उसमें है. मुझे उम्मीद है कि वो पूरा करेंगे. राहुल जी ने कहा था कि 10 दिन में कर्जमाफ नहीं किया तो वो मुख्यमंत्री बदल देंगे... तो मुझे विश्वास है कि वो अपना कमिटमेंट को जरूर पूरा करें.’

इसके बाद मंद-मंद मुस्कुराने लगे. शब्दों के बीच दबी मुस्कान के पीछे का अर्थ था कि देखिए कहीं 10 दिन में मुख्यमंत्री बदलने की ही नौबत न आ जाए क्योंकि वायदों को पूरा करवाने के लिए बीजेपी तो घेरेगी ही.

घोषणापत्र के वादे पूरा कर पाएगी कांग्रेस?

कांग्रेस और राहुल की राह आसान नहीं है. सिर्फ मध्य प्रदेश की ही बात करें तो अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने वादा किया है-

- 10 दिनों के भीतर 81 लाख किसानों के 75,800 करोड़ के कर्ज माफ होंगे.

- किसानों की भलाई के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें मानी जाएंगी.

- किसानों के जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा के साथ किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाई जाएगी.

- किसानों के बिजली का बिल आधा होगा, पेट्रोल-डीजल के दाम कम होंगे.

- हर परिवार के एक बेरोजगार को 10 हजार रुपए प्रति महीने का गुजारा भत्ता दिया जाएगा.

- सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि को 300 से बढ़ाकर 1000 किया जाएगा.

- 60 साल की उम्र के बाद किसानों को 1000 रुपए प्रतिमाह का पेंशन दिया जाएगा

- छोटे किसानों की लड़कियों के विवाह के लिए 51,000 रुपए की मदद दी जाएगी.

जुमले के जवाब में जुमला नहीं चाहिए

जुमले का जवाब जुमला नहीं हो सकता है, इसलिए कांग्रेस पर इन वायदों को जल्दी पूरा करने का दबाव होगा. ये आसान नहीं है. मसलन तेलंगाना में केसीआर ने अपनी कल्याणकारी योजनाओं के बूते दमदार वापसी की है. केसीआर ने 40 हजार करोड़ रुपए उन कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किए हैं. 17 हजार करोड़ रुपए के कृषि कर्ज माफ किए गए हैं. किसानों को फसल उगाने के लिए हर फसल पर 4 हजार रुपए का समर्थन दिया जा रहा है. किसानों को 5 लाख रुपए की जीवन बीमा दिया गया है. लेकिन इन खर्चों की वजह से राज्य को जबरदस्त घाटा हुआ है, अब सबसे बड़ी चुनौती इस घाटे की भरपाई होगी. कांग्रेस की राज्य सरकारों के सामने ऐसी ही चुनौती आने वाली है और अगर वायदे पूरे नहीं हुए तो राहुल गांधी भी घेरे जाएंगे.

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3 बड़े राज्यों की जीत से राहुल गांधी की साख बढ़ी है लेकिन अब मुकाबला भी नया तेवर लिए पहले से ज्यादा सख्त होगा. तेलंगाना में टीआरएस की जबरदस्त जीत के बाद केसीआर ने ऐलान कर दिया है- अब वो राज्य जीतकर दिल्ली की ओर कूच करेंगे. राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका की तलाश करेंगे. उनका मकसद है गैर कांग्रेस और गैर बीजेपी दलों को मिलाकर एक मजबूत थर्ड फ्रंट तैयार करना. अभी तक बीजेपी सामने थी, अब इस चुनौती से भी राहुल गांधी को पार पाना होगा.

ममता और मायावती से मिलेगी चुनौती?

3 राज्यों में बड़ी जीत पर राहुल को सबने बधाई दी. ममता दी ने चुप्पी ओढ़े रखी. पश्चिम बंगाल के कांग्रेसी नेता बोल रहे हैं कि कांग्रेस की इस जीत के बाद ममता दी का प्रधानमंत्री बनने का सपना चकनाचूर होता दिख रहा है, इसलिए उन्हें सांप सूंघ गया है, वो कुछ बोल नहीं पा रही हैं. बीजेपी को हराने के लिए जो टीएमसी कमजोर कांग्रेस को अपने कंधे का सहारा दे रही थी, वो अब अपना कंधा झटक भी सकती है.

2019 में बीजेपी के खिलाफ जंग में राहुल गांधी को सबको साथ लेकर चलना होगा और अब ये ज्यादा मुश्किल होता दिख रहा है. मायावती की पार्टी ने मध्य प्रदेश में 2 सीटें निकाल ली हैं. राजस्थान में 6 सीटों पर जीत हासिल कर ली हैं. मायावती ने इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार के समर्थन का ऐलान कर दिया है लेकिन साथ ही ये बात भी जोड़ दी है कि वो कांग्रेस की नीतियों का समर्थन नहीं करती है.

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2019 की जंग में कांग्रेस के हाथ के इशारे पर हाथी डग भरेगा, इसमें शक है. अभी पेंच कई हैं. ये जीत कांग्रेस के लिए एक नए सवेरे का आभास देती है...राजनीति की फिसलन भरे रास्ते पर राहुल अपनी कामयाबी के निशान छोड़ पाएं इसके लिए अभी उन्हें और चलना होगा...कुछ और फासले तय करने होंगे...कुछ और मंजिलें तय करनी होंगी.