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क्या 2019 की लड़ाई हकीकत में राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी की होगी?

मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार का लोकसभा चुनाव पर कितना होगा असर ?

Updated On: Dec 13, 2018 11:11 AM IST

Amitesh Amitesh

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क्या 2019 की लड़ाई हकीकत में राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी की होगी?

विधानसभा चुनाव में मिली कांग्रेस की जीत के बाद उत्साहित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री मोदी को हराने का दावा किया है. दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष और उनकी पार्टी इस बात से काफी हद तक खुश है कि 2019 में अब मोदी बनाम राहुल की लड़ाई की बात अगर बीजेपी करती है, तो अब इस लड़ाई में मोदी के सामने राहुल गांधी भी मजबूती के साथ खड़े हो सकेंगे. कांग्रेस के भीतर यह ताकत मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिली जीत के बाद आई है.

क्या 2019 की लड़ाई हकीकत में राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी की होगी और क्या इस लड़ाई में राहुल गांधी मोदी को मात दे पाएंगे ? इन दावों की पड़ताल और हर संभावनाओं को जानने के लिए सबसे पहले हमें तीनों राज्य के विधानसभा चुनाव के परिणाम को समझना होगा.

पहले बात मध्यप्रदेश की करें तो वहां 15 साल बाद बीजेपी का राज खत्म हो गया है. लेकिन, 15 साल की एंटीइंक्मबेंसी के बावजूद बीजेपी को हराकर कांग्रेस ने उतनी बड़ी जीत दर्ज नहीं की जितनी की सामान्य तौर पर सत्ता के विरोध में होती रही है. मध्यप्रदेश में कांटे की लड़ाई रही जिसमें कांग्रेस ने 230 सीटों में से 114 सीटें दर्ज की जो कि बहुमत से 2 सीट कम रही. दूसरी तरफ, बीजेपी भी कांग्रेस के काफी करीब पहुंच गई. बीजेपी को कांग्रेस से 5 सीटें कम मिली और पार्टी 109 सीटों तक पहुंच सकी.

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कांग्रेस और बीजेपी के वोट प्रतिशत का अंतर भी काफी दिलचस्प रहा. कांग्रेस से 5 सीटें पीछे रहने के बावजूद बीजेपी का वोट प्रतिशत कांग्रेस के मुकाबले मामूली अंतर से ज्यादा रहा. कांग्रेस को 40.9 फीसदी वोट मिले जबकि बीजेपी को थोड़ा ज्यादा 41 फीसदी वोट मिले.

कांग्रेस में नहीं था शिवराज सिंह चौहान को एकतरफा हराने का माद्दा 

इन आंकड़ों से एक बात साबित हो रही है कि राज्य में बीजेपी के खिलाफ उस कदर माहौल नहीं था जिसका सीधा फायदा कांग्रेस उठा सके या फिर बीजेपी के खिलाफ बने माहौल को कांग्रेस उस तरह भुना नहीं पाई, जैसा कि उसे करना चाहिए था. दूसरी बात ज्यादा सटीक लग रही है, क्योंकि कांग्रेस के पास कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की जोड़ी थी, लेकिन, उनमें शिवराज सिंह चौहान को एकतरफा हराने का माद्दा नहीं था, वरना तस्वीर कुछ और होती.Shivraj Singh Chauhan's rally in Jabalpur Jabalpur: Madhya Pradesh Chief Minister Shivraj Singh Chauhan addresses a rally during his 'Jan Arashirvad Yatra' in Jabalpur, Thursday, Oct 25, 2018. (PTI Photo) (PTI10_25_2018_000119B)

लेकिन, चुनाव परिणाम के बाद मध्यप्रदेश से शिवराज के खत्म होने का मलाल बीजेपी को तो है लेकिन, क्लीन स्वीप से बचने के बाद अभी भी लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर इस हार से उबरने की आशा भी जिंदा है.

राजस्थान में बीजेपी को मिली सम्मानजनक हार

अब बात राजस्थान की करें तो राज्य में कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस का वोट प्रतिशत 39.3 रहा. दूसरी तरफ, बीजेपी को 73 सीटों पर सफलता मिली और बीजेपी का वोट प्रतिशत 38.8 रहा. बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीटों का अंतर तो 25 का रहा, लेकिन, वोट प्रतिशत महज 0.50 का रहा.

राजस्थान के लिहाज से कांग्रेस के लिए यह जीत उतनी बड़ी नहीं है, जिसकी उम्मीद की जा रही थी. चुनाव प्रचार शुरू होने के पहले से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि राजस्थान तो कांग्रेस की झोली में जाएगा. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ बने माहौल ने पूरे राज्य में बदलाव की बयार का एहसास करा दिया था. इसकी एक झलक तब मिल गई थी जब राज्य में अजमेर और अलवर लोकसभा सीट के उपचुनाव के दौरान कांग्रेस ने बीजेपी के खाते से दोनों सीटें छीनकर कांग्रेस की झोली में डाल दिया था.

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इसी साल हुए इन उपचुनावों में कांग्रेस को मिली एकतरफा जीत ने कांग्रेस के भीतर अतिआत्मविश्वास भर दिया था. कांग्रेस तीनों ही राज्यों में सबसे अधिक भरोसे के साथ राजस्थान में अपनी जीत मानकर चल रही थी. लेकिन, कांग्रेस के भीतर की खींचतान और बीजेपी संगठन की मेहनत ने कांग्रेस की बढ़त को काफी हद तक कम कर दिया.

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तस्वीर वसुंधरा राजे की फेसबुक वॉल से साभार

चुनाव के लगभग आखिरी दो हफ्ते में संघ की सक्रियता और बीजेपी संगठन के दम पर बीजेपी ने वसुंधरा के खिलाफ नाराजगी के बावजूद काफी हद तक डैमेज कंट्रोल किया. बीजेपी को भी इसी बात का डर सता रहा था कि अगर राजस्थान में कांग्रेस क्लीन स्वीप कर गई तो बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव से पहले उबर पाना काफी मुश्किल होगा. यही वजह है कि बीजेपी ने अपने लिए राजस्थान में ‘सम्मानजनक हार’ पा कर काफी हद तक संतुष्ट दिख रही है, भले ही निराशा उसके हाथ लगी है.

'मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर' नहीं का नारा लोकसभा में  दिखाएगा असर 

बीजेपी को लोकसभा चुनाव में निराशा के बादल छंटने के आसार दिख रहे हैं. बीजेपी को लगता है कि ‘मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं’ का यह नारा लोकसभा चुनाव तक भी अपना असर दिखाएगा. उसे लगता है कि वसुंधरा के खिलाफ नाराजगी का असर दिख गया, अब राजस्थान की जनता लोकसभा चुनाव में मोदी को ही वोट करेगी.

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बात अगर छत्तीसगढ़ की करें तो यहां बीजेपी को बड़ी हार मिली है. कांग्रेस ने बीजेपी का पूरी तरह से सफाया कर दिया है. कांग्रेस को 90 सदस्यीय विधानसभा में 68 सीटें मिली हैं, जबकि बीजेपी के खाते में महज 15 सीटें ही गई हैं. वोट प्रतिशत के लिहाज से भी कांग्रेस काफी आगे है. कांग्रेस को 43 फीसदी जबकि बीजेपी को दस फीसदी कम यानी 33 फीसदी ही वोट मिला है. छत्तीसगढ़ का यही अंतर बीजेपी को काफी पीछे धकेल रहा है, जिससे लोकसभा चुनाव से पहले उबर पाना काफी मुश्किल होगा.

बीजेपी के लिए 2014 के प्रदर्शन को दोहरा पाना आसान नहीं 

दरअसल, बीजेपी को इन तीनों राज्यों की कुल 65 लोकसभा सीटों में से 2014 के लोकसभा चुनाव में 61 सीटों पर जीत मिली थी. ऐसे में पार्टी पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कुछ इसी तरह के प्रदर्शन का दबाव रहेगा. लेकिन, उस वक्त 2013 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का असर था. तीनों राज्यों में एकतरफा जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी विजय रथ पर सवार थी.

अब हालात बदल गए हैं. तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. ऐसे में पार्टी के लिए 2014 के प्रदर्शन को दोहरा पाना आसान नहीं होगा. फिर भी, बीजेपी मध्यप्रदेश और राजस्थान में मिले वोटों के प्रतिशत और सीटों के हिसाब से थोड़ी राहत महसूस कर रही है. क्योंकि उसे अभी भी मोदी मैजिक पर भरोसा है. बीजेपी के रणनीतिकारों को लग रहा है कि विधानसभा चुनाव का परिणाम राज्य सरकार के काम के आधार पर आया है. जबकि, 2019 की लड़ाई मोदी सरकार के काम और मोदी के चेहरे पर होगा.

लेकिन, अब 2019 का मुकाबला दिलचस्प होगा, क्योंकि मोदी बनाम राहुल की लड़ाई के नाम पर अबतक ताल ठोंकने वाली बीजेपी को अब मोदी बनाम राहुल की लड़ाई के नाम पर कांग्रेस भी चुनौती देती दिख सकती है.

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