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नोटबंदी के बाद पीएम मोदी के पहले इंटरव्यू की 10 बड़ी बातें

नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस फैसले की हो रही आलोचनाओं को सिरे से दरकिनार कर दिया है

FP Staff

2016 के अंतिम दो दिनों में ये कहना जहां मुश्किल है कि नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के खेल की दिशा को पूरी तरह से बदल दिया है या नहीं, लेकिन इस मुहिम के 50 दिन पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस फैसले की हर तरफ हो रही आलोचनाओं को सिरे से दरकिनार कर दिया है.

अंग्रेजी पत्रिका इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा को दिए गए एक इंटरव्यू में पीएम मोदी ने दावा किया, ‘इस कदम से काला-धन खुले में आ गया है, फिर चाहे वो नेताओं के हो, अफसरों के या फिर पेशेवर लोगों के. बाजार में जो जाली नोट फैले हुए थे उन्हें एक झटके में बेअसर कर दिया गया है.’


पीएम ने कहा, '500 और 1000 के नोट को बैन करने का फैसला किसी तात्कालिक फायदे के लिए नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक सकारात्मक बदलाव के लिए किया गया है.'

राज चेंगप्पा के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बातचीत की कुछ मुख्य बातें इस तरह से है:

पीएम मोदी ने इस इंटरव्यू में नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया (तस्वीर-पीटी आई)

'मैं ऐसा मानता हूं कि भारत एक विकासशील देश और वैश्विक लीडर के तौर पर अपनी ऊर्जा को समझने और उसके सही इस्तेमाल करने के मुहाने पर खड़ा है. एक ऐसा भारत जो पूरी तरह से स्वच्छ है.'

नोटबंदी पर पिछले 50 दिनों में बार-बार बदले गए नियमों पर सफाई देते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘हमें नीति और रणनीति में फर्क करना आना चाहिए. नोटबंदी हमारी नीति है और उसके रोज-रोज बदलते नियम हमारी रणनीति, जिससे हम दुश्मनों से आगे रह सकें. इसे ‘तू डाल-जाल मैं पात-पात’ कहा जा सकता है.'

अगर आपकी सोच स्पष्ट हो और नीयत पाक-साफ तो नतीजा हर किसी के सामने होगा. मेरे आलोचक मेरे खिलाफ चाहे जो कह लें, सच्चाई ये है कि इस सब से मेरा कोई निजी फायदा नहीं है.

ये निर्णय इतना बड़ा है कि हमारे बड़े से बड़े अर्थशास्त्री भी इस पर असमंजस में पड़ गए हैं. लेकिन भारत की सवा अरब की जनता ने तकलीफ झेलते हुए भी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.

मुझे हमारे विरोधियों खासकर कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व पर तरस आता है. एक तरफ वो कहते हैं कि मैंने ये फैसला राजनीतिक फायदे के लिए लिया है, दूसरी तरफ वो कहते हैं कि इससे लोगों को काफी तकलीफ उठानी पड़ी है. लेकिन ये दोनों एक साथ कैसे चल सकता है?

सरकार ने संसद की कार्यवाही चलाने के लिए पूरी कोशिश की. मैं संसद के दोनों सदनों में बोलना चाहता था, लेकिन फिर भी कांग्रेस पार्टी लगातार इस कोशिश में लगी हुई थी कि इस मुद्दे पर संसद में बहस होने के बजाय सदन का कामकाज बाधित हो.

(तस्वीर-पीटी
आई)नोटबंदी के बाद पीएम मोदी ने अपना पहला इंटरव्यू दिया

आजकल भ्रष्टाचार से जुड़े हर मामले को राजनीति से जोड़कर देखा जाता है. इससे भ्रष्टाचार में लिप्त अन्य लोगों को मदद मिलती है. हालांकि, इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि मैं राजनीति में भ्रष्टाचार की अनदेखी करता हूं.

मैंने ये लगातार कहा है कि हमारे देश में जो बहुत सारे चुनाव होते हैं, इससे  न सिर्फ खर्चा बढ़ता है और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि इससे गवर्नेंस पर भी असर पड़ता है क्योंकि इससे देश हमेशा चुनाव मोड में ही रहता है. मैं चुनाव आयोग की इस पहल का स्वागत करता हूं जिसमें वे राज्य और केंद्र  में एक साथ चुनाव कराने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं.

ये बहुत ही दिलचस्प है कि मोन्यूमेंटल मिसमैनेजमेंट जैसी बातें उस नेता की तरफ से कहा जा रहा है जो पिछले 45 सालों से भारत की आर्थिक यात्रा का हिस्सा रहे हैं. वे पूरी उम्र देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े विभिन्न पदों पर रहे जबकि देश का एक बड़ा वर्ग गरीब और वंचित रहा.

अगर कोई व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के तटस्थ भावना से मेरी सरकार का अवलोकन करेगा तो जिस एक चीज को लेकर वो सहमत होगा, वो ये कि मेरी सरकार के दौरान देश के गरीबों, निचले वर्गों और वंचित तबकों को मुख्यधारा   से जोड़ा गया है.