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केरल हिंसा पर सीपीएम से आर-पार के मूड में भगवा ब्रिगेड

देश भर में अलग-अलग यूनिवर्सिटी से एबीवीपी के पचास हजार से ज्यादा छात्र 11 नवंबर को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में सड़कों पर उतरने जा रहे हैं

Amitesh

दक्षिण भारत में सीपीएम के गढ़ केरल में हो रही हिंसा को लेकर बवाल लगातार बढ़ता जा रहा है. बीजेपी और आरएसएस की तरफ से पहले से ही पी विजयन सरकार में हो रही राजनीतिक हिंसा को लेकर हंगामा जारी है. अब आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की तरफ से केरल में शक्ति प्रदर्शन की तैयारी हो रही है.

देश भर में अलग-अलग यूनिवर्सिटी से एबीवीपी के पचास हजार से ज्यादा छात्र 11 नवंबर को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में सड़कों पर उतरने जा रहे हैं. इनमें लगभग पच्चीस हजार छात्र सिर्फ केरल से जबकि लगभग तीस हजार एबीवीपी के कार्यकर्ता देश के दूसरे हिस्सों से केरल पहुंच गए हैं.


उत्तर भारत से लेकर उत्तर पूर्व तक हर राज्यों में एबीवीपी ने इसके लिए पिछले एक महीने से अभियान चला रखा था. 31 अक्टूबर को एबीवीपी ने देश भर में जिला मुख्यालयों पर केरल की हिंसा को लेकर धरना दिया था और जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से हर जिले में राष्ट्रपति को इस हिंसा के खिलाफ ज्ञापन भी सौंपा था.

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अब एबीवीपी ने केरल में सीपीएम की विजयन सरकार के सामने अपना विरोध करने की पूरी तैयारी कर ली है. सीपीएम के गढ़ केरल में हो रही राजनीतिक हिंसा और उसमें संघ परिवार के लोगों पर हो रहे हमले के विरोध में इस विरोध-प्रदर्शन को अंजाम दिया जा रहा है. एबीवीपी की महारैली तिरुवनंतपुरम के पुथारीकंदम ग्राउंड में हो रही है. इस रैली में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं समेत एबीवीपी के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शिरकत करेंगे. खासतौर से राजनीतिक हिंसा के शिकार परिवारों के लोगों को इस रैली में बुलाया गया है.

जेएनयू छात्र संघ के पूर्व ज्वाइंट सेक्रेटरी और एबीवीपी के केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य सौरव शर्मा ने फर्स्टपोस्ट से बातचीत में बताया कि ‘जिस तरह आजादी की लड़ाई के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने चलो दिल्ली का नारा दिया था जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ था. ठीक उसी तरह केरल की सोई सरकार को जगाने के लिए हमने चलो केरला का नारा दिया है. सौरव शर्मा का कहना है कि केरल में उस वामपंथी विचार के खिलाफ हमलोग रैली कर रहे हैं जो हिंसा के रास्ते पर उतारू है.’

दरअसल, केरल में मुख्यमंत्री पी विजयन का गृह जिला कन्नूर सबसे ज्यादा प्रभावित है. पी विजयन के मुख्यमंत्री बनने के बाद तो पिछले 18 महीने में केरल में राजनीतिक हिंसा में गैर सीपीएम विचारधारा वाले 18 लोगों की जानें चली गई हैं. एबीवीपी और संघ परिवार के लोगों का दावा है कि इन 18 में से 14 बीजेपी,आरएसएस के कार्यकर्ता रहे हैं.

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एबीवीपी का आरोप है कि केरल में अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में भी एबीवीपी के कार्यकर्ता सीपीएम समर्थित संगठन डीवाईएफआई और एसएफआई की हिंसा के शिकार हो रहे हैं. इसके अलावा हिंसा के शिकार लोगों या उनके परिवार की शिकायत पर पुलिस की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं की जाती है.

दरअसल केरल में जारी हिंसा में उन तबकों को निशाना बनाया जा रहा है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से ज्यादा कमजोर हैं. लेकिन, केरल की सीपीएम सरकार अबतक हिंसा को रोकने को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रही है.

लेकिन, बीजेपी और पूरे संघ परिवार ने केरल के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाते रहने का फैसला किया है. कोशिश है सीपीएम सरकार पर दबाव बनाने की. केरल की हिंसा के विरोध में बीजेपी ने भी पिछले तीन से सत्रह अक्टूबर को कन्नूर से तिरुवनंतपुरम तक की पदयात्रा की थी.

जनरक्षा यात्रा के नाम से बीजेपी की इस पदयात्रा के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक शामिल हुए. सबने केरल की सीपीएम सरकार के खिलाफ हल्ला बोला. लेकिन, संकेत उस वक्त ही मिल गए थे कि बीजेपी इस मुद्दे को आगे भी जोर-शोर से उठाती रहेगी. एबीवीपी की तरफ से पचास हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं के केरल में जमा होने के बाद एक बार फिर से यह मुद्दा गरमाने वाला है. बीजेपी को मालूम है कि संघ परिवार की मजबूती पर ही बीजेपी का ‘मिशन केरल’ निर्भर है.