15 फरवरी को इसरो ने 104 सेटेलाइट अंतरिक्ष भेजे थे. उनसे दे-भड़ाभड़ सिग्नल मिलने लगे हैं. सिग्नल के मुताबिक भारतीय देशप्रेमी को दुनिया का सबसे वर्ल्ड बेस्ट देशप्रेमी घोषित कर दिया गया है. जिसे यूनेस्को ने भी अप्रूव कर दिया है.
अभी-अभी मिली तस्वीरों से मालूम हुआ है कि भारत में देशप्रेम की जबर आंधी आई है. पुरजोर! सांय-सांय वाली, हांव-हांव वाली. देश भर में अभूतपूर्व राष्ट्रवादी इकट्ठा हो रहे हैं. सैटेलाइट से जारी किए गए शोध में एक आदर्श भारतीय देशप्रेमी का चरित्र-चित्रण भी प्रसारित किया गया है.
भारत के अच्छे राष्ट्रवादी क्या करते हैं?
एक आदर्श राष्ट्रवादी, अपने देश से बे-इन्तहा प्रेम करता है लेकिन बात जब देश की बेहतरी के लिए टैक्स देने की आती है तो वो फरवरी-मार्च के महीने में देश प्रेम को कुछ देर के लिए साइड में रख देता है.
साइड में, इस अदा से कि देश के बस 2-3 % लोग ही टैक्स देते हैं. बाकी चोरी करके टांट में दाब जाते हैं. पर आप उसकी देश भक्ति पर संदेह मत करिए, ऐसी मेरी आपसे गुजारिश है.
एक आदर्श राष्ट्रवादी, अपने देश से बम्पिलाट मुहब्बत करता है, लेकिन अपना काम निकालने के लिए रिश्वत देने से पीछे नहीं हटता. ग्लोबल सर्वे के हिसाब से राष्ट्रवादियों से भरे भारत में करप्शन ऑल-टाइम हाई पर है और ग्लोबल एवरेज का दोगुना है.
यहां 54% लोग मानते हैं कि उन्होंने पिछले बारह महीनों में कभी न कभी अपना काम सेटल करने के लिए रिश्वत दी है. लेकिन इसका अर्थ ये कतई न समझा जाए कि उसके देश प्रेम में तनिक सी भी कमी है.
भारत मां के लाल पैसे के क्या है सवाल?
एक आदर्श देशभक्त अपने देश से दिल-निचोड़ू इश्क करता है, लेकिन जब बात अपने प्यारे देश को साफ रखने की आती है तो वो कोने में पान थूकने निकल गया होता है.
वो 'यहां मत मूतिए के साइन बोर्ड पर इतना धारदार निशाना लगा सकता है कि ग्लोबल क्लीनलीनेस में भारत सभी देशों में 123 नंबर पर आता है. सैनिटेशन में 98 नंबर पर. आपकी जानकारी के लिए बता दूं, नेपाल हमसे आगे निकल गया है मित्रों पर मेरे देशप्रेमी मित्र हिम्मत न हारें.
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एक आदर्श पैट्रियॉट अपने देश पर दिल जान निछावर करता है लेकिन जब बात अपनी कास्ट या धर्म को भूलने की आती है तो उसका दिमाग विदाई या गौना हो जाने तक के लिए गुमशुदा हो जाता है. कुछ यूं कि भारत में बस 95% लोग अपनी ही कास्ट में शादी करते हैं. मात्र 5% लोग इंटरकास्ट शादी की हिम्मत दिखा पाते हैं. वो देश को तो अखंड रखना चाहता है लेकिन कास्ट के नाम पर तनिक सेंटी हो जाता है.
एक आदर्श देशभक्त भारत माता का दुलारा है लेकिन हर साल 16 बिलियन डॉलर की बिजली चोरी करता है (दुनिया भर की कुल बिजली चोरी का एक बटा पांच) और दुनिया भर में इस लिहाज से अव्वल आता है लेकिन देश प्रेम का करंट उसकी धमनियों में बिना नागा, 440 वोल्ट के साथ, 24/7 बहता है. दूर से ही छू लीजिएगा तो ऐसा झटका देगा कि आप कोबरा के काटे से भी अधिक कलप जाएंगे.
राष्ट्रवादियों की राष्ट्र सेवा याद रखो
एक आदर्श देश प्रेमी, देश के नाम बस इतना करता है कि वो हर 26 जनवरी और 15 अगस्त नियम से फेसबुक पर प्रोफाइल पिक्चर बदल लेता है. वो आदमी से झंडा हो जाता है. तिरंगा, बॉर्डर, गदर देखता है, खून में उबाल महसूस करता है.
JNU जैसे कॉलेज को नक्सलियों का गढ़ मानता है. कम्यूनिस्ट लफ्ज सुनते ही लाहौल-विला पढ़ने लगता है. 'हमें चाहिए आजादी' की भुन-भुन दूर से सुनते ही गदर के तारा सिंह की तरह 'ओए अशरफ अली' का सिंहनाद करने लगता है.
उस व्यक्ति के लिए देशप्रेम, पेट्रियॉटिज्म का अर्थ बस देश की काल्पनिक चिंता है. जय-भारत के जोरदार नारे लगाना, राष्ट्रगान के लिए उन्माद मचाना और इस चिंता में जलते रहना है कि बौद्धिकता एक दिन देश को ले डूबेगी.
मालूम हुआ है कि एक आदर्श देशप्रेमी ऐसा इसलिए करता है क्योंकि उसे लगता है कि देश के लिए खुद की जिम्मेदारियां भूल कर वो देश के इंसानों को सिविक सेंस और सिविक ड्यूटी से अलग करके सिर्फ नेशनलिस्ट सिंबल्स के रूप में देखना बेहद आसान काम है.
ऐसा करने से सांस लेने में बेहद सहूलियत होती है मिजाज मौजूं रहता है और सेहत भी ठीक रहती है.
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एक आदर्श देशप्रेमी ये भी मानता है कि आज के दौर में 'सेक्युलर' और 'लिबरल' लफ्ज गाली होकर 'सिक्यूलर' और 'लिब्टार्ड' हो गए हैं. उसे पाले चुन लेने की जल्दी है. इतनी जल्दी कि लोग उसके लिए या तो हीरो होते हैं या विलेन.
वो देश और संस्कृति कि इतनी बंपर चिंता करता है कि उसे लगता है कि देश जो हजार साल में बनता है वो ताश का महल होता है. किसी वामपंथी, लेफ्टिस्ट ने फूंक दिया सो उड़ गया. फुर्र..
सेटेलाईट ने एक खूफिया सिग्नल भी जारी किया है, जिसे बहुत देर तक डी-कोड करने पर आखिरकार बाबा नागार्जुन की कविता निकली है. जो भारत के पांच अति राष्ट्रवादी पुत्रों के बारे में है -
पांच पूत भारतमाता के, दुश्मन था खूंखार
गोली खाकर एक मर गया, बाकी रह गए चार
चार पूत भारतमाता के, चारों चतुर-प्रवीन
देश-निकाला मिला एक को, बाकी रह गए तीन
तीन पूत भारतमाता के, लड़ने लग गए वो
अलग हो गया उधर एक, अब बाकी बच गए दो
दो बेटे भारतमाता के, छोड़ पुरानी टेक
चिपक गया है एक गद्दी से, बाकी बच गया एक
एक पूत भारतमाता का, कन्धे पर है झण्डा
पुलिस पकड़ कर जेल ले गई, बाकी बच गया अण्डा
जय हिंद.
(निखिल सचान मुंबई में बसे हुए हैं. दो किताबें, ‘ज़िंदगी आइस पाइस’ और ‘नमक स्वादानुसार’ लिख चुके हैं और तीसरी ‘यू पी 65’ लिख रहे हैं)