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हंसने नहीं दिया तो रो पड़ेंगे लाफ्टर किंग नवजोत सिंह सिद्धु!

कहानी का कोई कॉमिक एंड नहीं हो सकता, किसी न किसी को तो रोना ही पड़ेगा.

Rakesh Kayasth

अगर कोई आप से कहे कि हंसी का बादशाह आजकल रुआंसा है तो आप हंसेंगे या रोएंगे? हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा की एक मशहूर कविता का सार ये है कि... एक बार कुछ कवियों को डाकुओं ने अगवा कर लिया. अड्डे पर पहुंचने के बाद डाकुओं ने कविता सुनने की फरमाइश की, लेकिन वीर रस का कवि डर के मारे बेहोश हो गया और हास्य रस का कवि हंसाने के बदले खुद बिलख-बिलखकर रोने लगा.

शुक्र है, भारत के लाफ्टर किंग नवजोत सिंह सिद्धू को किसी डाकू ने अगवा नहीं किया. उनके लिए तो आजकल हंसने के दिन है.


कांग्रेस ने बंपर वोट से पंजाब विधानसभा का चुनाव जीता है और जुमा-जुमा चार दिन पहले पार्टी में आये सिद्धू मंत्री बन गए हैं. लेकिन अच्छे दिन आने के बावजूद सिद्धू साहब रुआंसा हैं, डर है कहीं सचमुच वे रो न पड़ें.

अमरिंदर ने लगाया सिद्धू की हंसी पर स्टे

सिद्धू के रुआंसा होने की पहली वजह है उन्हें मिला विभाग. सिद्धू पंजाब की नई सरकार में स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री बने हैं जिससे वे खुश नहीं है.

सिद्धु चाहते हैं कि उन्हे इसके साथ हाउसिंग और अर्बन डेवलपमेंट विभाग भी दिया जाए, लेकिन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने फिलहाल उनकी मांग अनसुनी कर दी है.

अमरिंदर सिंह के साथ नवजोत सिंह सिद्धु (फोटो: पीटीआई)

लेकिन सिद्धू के रुआंसे होने की इससे भी एक बड़ी वजह है. सिद्धू ने अपने बॉस से फरियाद की- 'मैं पहले की तरह हंसते रहना चाहता हूं.' बॉस यानी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जवाब दिया- बहुत अच्छी बात है, किसने रोका है..जी भरके हंसिए.

सिद्धू ने कहा- 'मैं कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में हंसना चाहता हूं.'

कैप्टन साहब का माथा ठनका. इतनी मन्नतों के बाद सत्ता में वापसी हुई और आते ही विवाद खड़ा हो गया तो क्या होगा? उन्होने सिद्धू को समझाया-बुझाया.

अमरिंदर सिंह ने दलील दी कि एक जिम्मेदार मंत्री होने के नाते उनका ज्यादा वक्त चंडीगढ़ से बाहर मुंबई में रहना ठीक नहीं होगा. लेकिन, शेरी पाजी का कहना है कि लाफ्टर शो में ठहाके लगाना मेरा निजी मामला है.

इधर, मिसेज सिद्धू भी मैदान में कूद पड़ी है. उनका कहना है कि क्रिकेट कमेंट्री और बाकी बहुत सारे काम पॉलिटिक्स के चक्कर में पहले ही बंद हो गए हैं. लाफ्टर शो में ठहाके लगाना सिद्धू की आमदनी का इकलौता जरिया है.

थक हारकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मामला राज्य के एडवोकेट जनरल के पाले में डाल दिया है. एडवोकेट जनरल ये बताएंगे कि मंत्री होते हुए सिद्धू का कोई और काम करना कानूनन ठीक होगा या नहीं...उसके बाद ही इसपर अंतिम फैसला होगा.

वैसे इस मामले पर राजनीति गर्मानी शुरू हो गई है. विपक्षी आम आदमी पार्टी ने सिद्धू पर हमला बोल दिया है.

विपक्ष के नेता एच एस फुल्का का कहना है कि मंत्री होते हुए सिद्धू आर्थिक फायदे के लिए कोई और काम नहीं कर सकते. बेहतर यही होगा कि वो लाफ्टर शो या मंत्री पद में से कोई एक चुन लें.

सिद्धू बिना कैसे चलेगा लाफ्टर शो

नवजोत सिंह सिद्धू को कपिल शर्मा के शो में शामिल होने के लिए मोटी फीस मिलती है. वो शो का एक अहम हिस्सा बन गए हैं.

सिद्धु कपिल के शो के एक अहम किरदार हैं

भारत में जब लाफ्टर शोज की शुरूआत हुई थी, उस समय प्रड्यूसर इस चिंता से जूझ रहे थे कि आखिर वो एक कॉमेडियन को लगातार कितनी देर कैमरे के सामने रखें.  बीच में कोई विजुअल रिलीफ चाहिए होता था. बार-बार ऑडियंस दिखाने से भी बात नहीं बनेगी. कुछ और एलिमेंट होने जरूरी हैं.

काफी सोच विचार के बाद प्रड्यूसर्स ने एक ऐसे जज को लाने का फैसला किया कि जिसको हंसता देखकर पब्लिक को हंसी आए और वो बीच-बीच में अपनी बातों से भी दर्शकों को एंटरटेन करे.

द ग्रेट इंडियन लाफ्टर शो में बतौर जज सिद्धू पहली बार टीवी पर आए और देखते-देखते उनकी पहचान लाफ्टर किंग की बन गई.

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कपिल शर्मा के अलावा बाकी सभी कॉमेडी शोज में भी कोई ना कोई ऐसा जजनुमा किरदार जरूर होता है, जो गला फाड़-फाड़कर हंस सके. अर्चना पूरन सिंह ने भी सिद्धू की तरह लाफ्टर क्वीन के रूप में अपनी पहचान बनाई है.

शेखर सुमन भी कई लाफ्टर शोज में इसी तरह के जज की भूमिका निभा चुके हैं. सीधी सी बात ये है कि जज के बिना कोई लाफ्टर शो नहीं चलता. ऐसे में अगर सिद्धू शो से अलग होते हैं तो सिर्फ उनका ही नुकसान नहीं होगा बल्कि कपिल के शो पर भी बुरा असर पड़ेगा.

ट्रेजेडी पर खत्म होगी कॉमेडी

नवतोज सिंह सिद्धू अपने बड़बोलेपन, तुनकमिजाजी और जिद की वजह से पार्टी और सरकार के लिए सिरदर्द बन सकते हैं. इसका एहसास कैप्टन अमरिंदर सिंह को बखूबी रहा होगा.

कांग्रेस में आने से पहले सिद्धू ने आम आदमी पार्टी से तगड़ा मोलभाव किया. लेकिन बात नहीं बनी तो उन्होने कांग्रेस का दामन थामा. उनकी महत्वाकांक्षाएं भी जग-जाहिर हैं.

अमरिंदर सिंह ने ये साफ कर दिया है कि अगर एडवोकेट जनरल ने मना किया तो फिर वो सिद्धू को कपिल का शो करने की इजाजत नहीं दे पाएंगे. उधर सिद्धू पाजी अड़े हुए हैं. अगर वो अपनी जिद मनवाने में कामयाब रहे तो किरकिरी नई नवेली पंजाब सरकार की होगी.

मामला जिस तरफ जा रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि इस कहानी का कोई कॉमिक एंड नहीं हो सकता, किसी न किसी को तो रोना ही पड़ेगा.