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शिवसेना, VHP का राम मंदिर आंदोलन: मुस्लिम समुदाय में डर का माहौल

अयोध्या में हिंदुत्ववादियों के जमघट को देखते हुए स्थानीय निवासियों को 1992 जैसे हालात दोबारा पैदा होने का डर सता रहा है

Nimish Goswami

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और वीएचपी के कार्यक्रमों के चलते अयोध्या में सरगर्मियां तेज हो गई हैं. उद्धव तो परिवार समेत अयोध्या पहुंच भी चुके हैं. वह 25 नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर की मांग को लेकर कार्यक्रम करने वाले हैं. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिवसैनिकों के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है. ऐसे में देश और दुनिया भर की निगाहें रविवार को होने वाले इस कार्यक्रम पर टिकी हैं. बदले हुए हालात के मद्देनजर अयोध्या की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पीएसपी की कई अतरिक्त टुकड़ियों को शहर की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है.

वहीं बाबरी मस्जिद विध्वंस की सालगिरह से दो हफ्ते पहले 25 नवंबर को ही विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने अयोध्या में धर्म सभा का आयोजन किया है. लिहाजा बड़ी तादाद में वीएचपी कार्यकर्ताओं और साधु-संतों का शहर में पहुंचना जारी है. ऐसे में अयोध्यावासी मुस्लिम समुदाय खौफजदा है. किसी अनहोनी की आशंका के चलते शहर के मुसलमानों के दिल में असुरक्षा की भावना घर कर गई है.


दंगों में किसी के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया गया

अयोध्या में हिंदुत्ववादियों के जमघट को देखते हुए स्थानीय निवासियों को 1992 जैसे हालात दोबारा पैदा होने का डर सता रहा है. दरअसल 6 दिसंबर 1992 को जब कारसेवकों और शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया था, उसके बाद शहर में दंगे भड़क उठे थे. उन दंगों में कई मुसलमानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. लिहाजा खतरे को भांपते हुए अयोध्या के कई मुस्लिम परिवार शहर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं. जबकि बाकी के मुस्लिम परिवारों ने सुरक्षा के मद्देनजर अपने बच्चों और घर की महिलाओं को दूसरी जगहों पर भिजवा दिया है. हालांकि कुछ मुस्लिम परिवार ऐसे भी हैं जो सपरिवार अयोध्या में डटे हुए हैं. ये परिवार दुआ कर रहे हैं कि 25 नवंबर का दिन शांति से बीत जाए और शहर में कोई खून-खराबा या अप्रिय घटना न हो.

रामजन्म भूमि न्यास के नजदीक आलमगंज कटरा मोहल्ले के रहने वाले 46 साल के दर्जी मोहम्मद अजीज का कहना है कि, ‘हमें अपने हिंदु भाइयों से कोई समस्या नहीं है और न ही हमें राम मंदिर के निर्माण पर एतराज है. लेकिन हमें 1992 जैसे हालात पैदा होने का डर है. उस वक्त बहुत खून-खराबा हुआ था. बाबरी विध्वंस के बाद हुई हिंसा में कारसेवकों ने हमारे कई मुस्लिम भाइयों की हत्या कर दी थी.’

6 दिसंबर, 1992 की शाम बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद अयोध्या में कम से कम 18 मुस्लिम मारे गए थे. बड़ी संख्या में मुसलमानों के घरों और दुकानों में आग लगा दी गई थी और 23 स्थानीय मस्जिदों को तहस-नहस कर दिया गया था. लेकिन इन दंगों में किसी के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया गया था.

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मोहम्मद अजीज के मुताबिक, जो परिवार अयोध्या छोड़कर सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं, वे हालात ठीक होने पर फिर से वापस शहर लौट आएंगे. अजीज ने यह भी कहा कि, जिला प्रशासन को चाहिए था कि वह अयोध्या में रहने वाले मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करता. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया. यही वजह है कि शहर के ज्यादातर मुसलमान खौफ के साए में जी रहे हैं.

अजीज ने आगे बताया कि, ‘फिलहाल अयोध्या के हालात 1992 जैसे नजर आ रहे हैं. शहर में भीड़ इकट्ठा होती जा रही है. और कोई भी नहीं जानता कि यह भीड़ किस इरादे से आ रही है. इन लोगों का असल मकसद क्या है. ऐसे ही लोगों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था, हमारे लोगों को मार डाला था. ये लोग इस बार भी वैसा ही तांडव फिर से कर सकते हैं. ऐसे में मुझे भी अपने परिवार की चिंता है. लिहाजा मैं भी अपने परिवार के साथ कुछ दिनों के लिए गोरखपुर में अपने रिश्तेदार के घर जा रहा हूं. फिलहाल अयोध्या में टिके रहने और अपनी जिंदगी को खतरे में डालने में कोई समझदारी नहीं है.

अयोध्या में खौफजदा मुसलमानों में इकबाल अंसारी भी शामिल हैं. 52 साल के इकबाल अंसारी देश में जाना-माना नाम हैं. दरअसल इकबाल अंसारी बाबरी मस्जिद केस के मुख्य याचिकाकर्ताओं (मुस्लिम पक्षकारों) में से एक हैं.  इकबाल अंसारी का कहना है कि, अयोध्या में रहने वाले मुसलमानों के बीच ऐसा डर बैठ गया है कि, शहर में अगर भीड़ इकट्ठा होगी तो समझो हिंसा जरूर होगी. ऐसे में शहर के मुसलमान भीड़ देखकर सहम जाते हैं.

इकबाल अंसारी के मुताबिक, ‘जिला प्रशासन का कहना है कि, अयोध्या में लोग सिर्फ राम लला के दर्शन करने आ रहे हैं. लेकिन सवाल यह उठता है कि, कौन जानता है कि भीड़ के दिमाग में क्या है, उसका असल मकसद क्या है. आखिर यह लोग बाबरी मस्जिद विध्वंस की सालगिरह से ठीक पहले अचानक अयोध्या क्यों आ रहे हैं.’

इकबाल अंसारी ने आगे यह भी बताया कि,  ‘मैंने मुसलमानों को अयोध्या छोड़कर जाने से रोकने की भरपूर कोशिश की, लेकिन मेरी सभी कोशिशें नाकाम साबित हुईं. एक रिपोर्टर ने मुझे बताया कि, दो ट्रेनों में भरकर बड़ी तादाद में शिवसेना के कार्यकर्ता अयोध्या आए हैं. वह शनिवार को सुबह 11 बजे अयोध्या पहुंचे हैं. लिहाजा ऐसे में शहर के मुस्लिम समुदाय का भयभीत होना लाजमी है. इतनी बड़ी संख्या में शिवसैनिकों के जमावड़े से मुसलमानों के साथ-साथ शहर के दूसरे समुदाय भी किसी अनहोनी की आशंका से डरे हुए हैं.’

अयोध्या के आलम गंज कटरा इलाके के निवासी 44 साल के चारा व्यापारी महबूब मोहम्मद के मुताबिक, ‘शहर के कुछ लोगों का कहना है कि, सबकुछ शांति से बीत जाएगा और कोई अनहोनी नहीं होगी, जबकि बाकी लोगों का कहना है कि, हालात खराब हैं और शहर में कुछ भी हो सकता है. फिलहाल शहर पर खौफ मंडरा रहा है. मुस्लिम समुदाय आतंकित है. ऐसे में हम लोग यहां नहीं रहना चाहते हैं.

मुसलमानों को शहर छोड़कर जाना पड़े

1992 में दंगाइयों ने कई बेकसूर लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. उन लोगों ने अयोध्या में भयंकर उत्पात मचाया था और जमकर बर्बरता की थी. उस समय भी दंगाइयों के सामने पुलिस असहाय नजर आई थी. तब अपनी जिंदगी बचाने के लिए हमें अयोध्या से भागना पड़ा था. इस बार भी लोगों को भागने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. मुझे पूरा यकीन है कि, अयोध्या के सभी मुसलमान जल्द ही शहर छोड़ देंगे और किसी महफूज जगह पर शरण लेने चले जाएंगे.’

तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंस दास राम मंदिर के त्वरित निर्माण की मांग को लेकर हाल ही में भूख हड़ताल पर बैठे थे. तपस्वी जी की छावनी विवादित बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि के नजदीक स्थित है. छावनी के महंत का कहना है कि, लोग बेवजह का ड्रामा कर रहे हैं. अयोध्या में भय का ऐसा कोई माहौल नहीं है कि, मुसलमानों को शहर छोड़कर जाना पड़े.

महंत परमहंस दास के मुताबिक, ‘मुझे पता है कि, कुछ मुसलमान परिवार शहर छोड़कर दूसरी जगहों पर चले गए हैं. मेरे लोगों ने मुझे इसके बारे में बताया है. लेकिन मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि, यह सब मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए सिर्फ एक स्टंट भर है. अगर मुसलमानों को किसी तरह का डर है और शहर में कुछ अप्रत्याशित होता है, तो मैं खुद जाकर उन्हें बचाऊंगा. मैं खुले दिल से मुसलमानों का स्वागत करूंगा. खुद को असुरक्षित महसूस करने वाले अयोध्या के मुसलमान जब तक चाहें तब तक मेरे यहां आकर रह सकते हैं. हम उनकी सुख-सुविधा और सुरक्षा का पूरा ख्याल रखेंगे. लिहाजा में एक बार फिर से दोहरा दूं कि, अयोध्या में सबकुछ बहुत सामान्य है.’

वीएचपी के संचार प्रभारी शरद शर्मा का कहना है कि, ‘मुसलमानों को शहर छोड़कर जाने की जरूरत नहीं है,  क्योंकि यहां डरने की कोई बात नहीं है. हमारे लोग यहां पर सिर्फ धर्म सभा में शरीक होने आ रहे हैं. हमारा कोई और दूसरा प्रायोजन नहीं है. अगर फिर भी किसी को डर लग रहा है, तो हमारे अखाड़ों और मंदिरों के दरवाजे उनके लिए सदैव खुले हैं. हम उनकी मेहमाननवाजी के लिए तैयार हैं.

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शरद शर्मा के मुताबिक, सामुदायिक और धार्मिक मुद्दों पर चर्चा के लिए साधु-संतों के साथ धर्म सभा का आयोजन किया जाता है. और इस बार की धर्म सभा की चर्चा का विषय राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा है.

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में डेरा डाल लिया है. अयोध्या पहुंचते ही उन्होंने लक्ष्मण किला और राम लला के दर्शन किए. इसके अलावा उन्होंने साधु-संतों से भी मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया. हालांकि जिला प्रशासन ने शिवसेना को किसी भी तरह की सार्वजनिक सभा या बैठक आयोजित करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. लेकिन वीएचपी को धर्म सभा की मेजबानी करने की अनुमति दी गई है.

अयोध्या से मुसलमानों के पलायन की खबरों के बीच, जिला मजिस्ट्रेट अनिल कुमार ने शहर के कई मुस्लिम इलाकों का दौरा किया. मुसलमान परिवारों से मुलाकात के बाद जिला मजिस्ट्रेट ने उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का आश्वासन दिया.

जिला मजिस्ट्रेट अनिल कुमार ने बताया कि, ‘मैं व्यक्तिगत रूप से लगभग 100 मुस्लिमों से मुलाकात की. मैंने उन सभी लोगों से कहा कि, डरने की कोई जरूरत नहीं है. मैंने पाया कि, ज्यादातर लोग सामान्य हैं और उनमें किसी तरह का खौफ नहीं है. वीएचपी ने हमसे पहले ही अपने कार्यक्रम की इजाजत ले रखी है. वीएचपी ने यह सुनिश्चित किया है कि, उनका कार्यक्रम केवल उन्हीं शर्तों पर आयोजित होगा जिसकी प्रशासन से उन्हें छूट मिली है.’

आठ परिवारों ने शहर छोड़ दिया

अनिल कुमार के मुताबिक, अयोध्या में एक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, एक पुलिस महानिदेशक, तीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, 10 सहायक पुलिस अधीक्षक, 21 उप पुलिस अधीक्षक, 160 निरीक्षक, 700 कांस्टेबलों को तैनात किया गया है. इनके अलावा पीएसी की 42 कंपनियां, आरएएफ की पांच कंपनियां, एटीएस कमांडो और ड्रोन कैमरों को भी कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए शहर में तैनात किया गया है.

अयोध्या पुलिस ने फर्स्टपोस्ट को बताया कि, किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए शहर में सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं. कड़ी सुरक्षा के चलते शहर में किसी तरह के उपद्रव की उम्मीद नहीं है. राम जन्म भूमि पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर प्रद्युम्न सिंह का कहना है कि, पुलिस को अभी तक इस क्षेत्र के मुसलमानों की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन इलाके के 30-40 परिवारों में से लगभग सात से आठ परिवारों ने शहर छोड़ दिया है.

प्रद्युम्न सिंह के मुताबिक, ‘इलाके में किसी तरह का कोई तनाव नहीं है. मैं दोनों ही समुदायों के लोगों के साथ नियमित तौर पर संपर्क में हूं. मुझे अपने इलाके में मुस्लिम परिवारों की सही संख्या पता नहीं है, लेकिन हिंदू यहां बहुतायत में हैं. मीडिया में जिन मामलों को उठाया जा रहा है, वह मामले आलम गंज कटरा से संबंधित हैं. वह मुस्लिम बाहुल्ल इलाका है. हमने मुस्लिम परिवारों से बात की है और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया है. अब तक स्थिति शांतिपूर्ण है. और हमें उम्मीद है कि आगे भी स्थिति शांतिपूर्ण ही रहेगी. फिर भी पुलिस ने सुरक्षा के पर्याप्त और पुख्ता उपाय कर रखे हैं. हम हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.’

प्रद्युम्न सिंह से जब अयोध्या में आने वाले लोगों की संख्या में अचानक हुए इजाफे के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि, ऐसा त्यौहारी मौसम (फेस्टिव सीजन) और सालाना कार्तिक मेले की वजह से हो रहा है.

हालांकि, अयोध्या के एसएसपी जोगिंदर कुमार ने फर्स्टपोस्ट को बताया कि, अयोध्या से किसी ने भी कहीं भी पलायन नहीं किया है, मुसलमानों के शहर छोड़कर जाने की खबरें झूठी और आधारहीन हैं.

अयोध्या के एपी पैलेस होटल के रिसेप्शनिस्ट रौनक अग्रहरि का कहना है कि, उनके होटल के सभी कमरों को शिवसेना ने एक हफ्ते पहले बुक किया था. इलाके के ज्यादातर होटलों की यही हालत है. सभी होटल एक हफ्ते के लिए फुल हैं.

रौनक अग्रहरि के मुताबिक, ‘हमारे होटल के सभी कमरे शिवसेना की ओर से बुक किए गए हैं. अयोध्या के अन्य इलाकों में स्थित हमारे बाकी होटल भी इसी तरह से बुक हैं. सभी होटल आगंतुकों से ठसाठस भरे हुए हैं. ऐसे में अब अयोध्या आने वाले लोगों को बस्ती या गोरखपुर शहर में ही अपने लिए होटल का इंतजाम करना होगा.’  अयोध्या शहर के पांच अन्य होटलों ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दी है.

2011 की जनगणना के मुताबिक अयोध्या नगर पालिका परिषद की जनसंख्या 55,890 है. जिनमें से 6.9 फीसदी आबादी मुसलमानों की है.

(लेखक एक फ्रीलांस राइटर हैं और जमीनी पत्रकारों के अखिल भारतीय नेटवर्क 101Reporters.com के सदस्य हैं)