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ममता बनर्जी की रैली में दिखेगा महागठबंधन का जलवा, बीजेपी के ‘मिशन बंगाल’ का क्या होगा?

कोलकाता की मेगा रैली में एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव शामिल होने वाले हैं. लेकिन, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने खुद को इस रैली से दूर रखा है

Amitesh

19 जनवरी को कोलकाता में बुलाई गई टीएमसी की मेगा रैली के बहाने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने-आप को राष्ट्रीय स्तर पर विरोधी दलों के केंद्र में लाने की कोशिश शुरू कर दी है. ममता की मेगा रैली में तैयारी 15 लाख लोगों को बुलाने की है. अपनी ताकत और धमक का जलवा दिखाने की तैयारी में लगी ममता बनर्जी ने मोदी विरोधी सारे दलों को न्योता भेजा है. लेकिन, इनमें कुछ आनाकानी भी कर रहे हैं तो कुछ अपने जाने के बजाए अपनी पार्टी के किसी दूसरे नेता को भेज रहे हैं.

हालांकि इस रैली को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को भी न्योता दिया गया था, लेकिन, ये दोनों इस रैली में शामिल होने के बजाए लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज रहे हैं. दरअसल पश्चिम बंगाल की कांग्रेस इकाई ममता बनर्जी के साथ गठबंधन के खिलाफ रही है, लिहाजा पार्टी आलाकमान ने ऐसा फैसला लिया है. फिर भी विपक्षी एकता की दुहाई देने वाली कांग्रेस ने अपना एक प्रतिनिधि भेजने का फैसला किया है.


जयंत चौधरी ममता बनर्जी के साथ मंच पर दिखेंगे

कोलकाता की मेगा रैली में एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव शामिल होने वाले हैं. लेकिन, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने खुद को इस रैली से दूर रखा है. उनकी पार्टी की तरफ से महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा इस रैली में शामिल होंगे. इसी तरह आरएलडी की तरफ से जयंत चौधरी ममता बनर्जी के साथ मंच पर दिखेंगे.

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के नेता रहे यशवंत सिंहा और अरुण शौरी इस रैली में शामिल होंगे, जबकि, पार्टी से बागी चल रहे पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिंहा भी ममता बनर्जी के साथ मंच साझा कर सकते हैं. इन नेताओं के अलावा डीएमके नेता स्टालिन और टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू समेत देश भर से कई दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों के भी नेताओं के एक मंच पर आने की उम्मीद की जा रही है.

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इन सभी नेताओं की मौजूदगी के बावजूद तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव का नहीं आना विपक्षी एकता की फूट को दिखा रहा है. टीआरएस सांसद बी विनोद कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि उन्होंने ममता बनर्जी को फोन कर बता दिया है कि वो शामिल नहीं होंगे, क्योंकि कांग्रेस इस रैली का हिस्सा रहेगी.

कांग्रेस के खिलाफ टीआरएस ने तेलांगाना में अभी हाल ही में विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है. केसीआर की लड़ाई कांग्रेस से ही रही है, लिहाजा कांग्रेस के खिलाफ वो बड़ा मोर्चा बनाने की कोशिश करते रहे हैं. तेंलगाना में जीत दर्ज करने के बाद सत्ता संभालते ही उन्होंने ओडिशा और पश्चिम बंगाल का दौरा कर नवीन पटनायक और ममता बनर्जी के साथ गैर-बीजेपी गैर-कांग्रेस गठबंधन की तैयारी की थी, लेकिन, ममता बनर्जी की तरफ से गैर-कांग्रेस गठबंधन पर ज्यादा समर्थन नहीं मिल पाने के कारण उनकी मुहिम सफल नहीं हो पाई थी.

ऐसे में ममता का कांग्रेस को न्योता देना और कांग्रेसी नेता खड़गे का रैली में शामिल होना केसीआर को नागवार गुजरा है. दूसरी तरफ, कांग्रेस के साथ नजदीकी दिखाने वाला लेफ्ट भी इस रैली में शामिल नहीं हो रहा है.

दरअसल, इस पूरी रैली के माध्यम से ममता बनर्जी अपनी पोजिशनिंग करने की कोशिश कर रही हैं. पहले भी मोदी के खिलाफ महागठबंधन की बात करने वाली ममता बनर्जी की तरफ से मोदी के खिलाफ प्रधानमंत्री पद के दावेदार के सवाल पर बार-बार यही कहा जाता रहा है कि इसका फैसला चुनाव बाद किया जाएगा. मतलब साफ है कि चुनाव में अगर बीजेपी की हार होती है और सभी विपक्षी दलों की तरफ से प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी की जाती है तो उस वक्त ममता बनर्जी अपने-आप को तैयार रखना चाहती हैं. विरोधी दलों को एक मंच पर लाने की तैयारी में लगी ममता बनर्जी की कोशिश राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से अधिकतम सीटों पर पार्टी की जीत दर्ज कर लोकसभा में अपनी ताकत बढ़ाने की है.

पीएम मोदी की भी पश्चिम बंगाल में एक बड़ी रैली कराने की तैयारी हो रही है

दूसरी तरफ, राज्य में बीजेपी की तरफ से उन्हें टक्कर मिल रही है. बीजेपी की गणतंत्र बचाओ यात्रा को सुप्रीम कोर्ट से भी मंजूरी नहीं मिली है, लिहाजा पार्टी की तरफ से तैयारी अब रैलियों की हो रही है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह 20 जनवरी से ही रैली शुरू करने वाले हैं. लेकिन, स्वाइन फ्लू के चलते अभी उनकी रैली में जाने को लेकर संशय बना हुआ है.

पार्टी के अबतक के प्लान के मुताबिक अमित शाह 20 जनवरी को माल्दा जिले में रैली से शुरुआत करने वाले हैं. इसके अगले ही दिन 21 जनवरी को वे बीरभूम के सूरी में जनसभा को संबोधित करने वाले हैं. इसके बाद झारग्राम में भी उनकी दूसरी सभा होगी. 22 जनवरी को शाह दक्षिण 24 परगना जिले के जॉयनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे जिसके बाद नादिया जिले के कृष्णानगर में उनकी बड़ी रैली होगी.

बीजेपी की तरफ से फरवरी महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी पश्चिम बंगाल में एक बड़ी रैली कराने की तैयारी हो रही है. पार्टी को लगता है कि ममता बनर्जी की रैली के बाद उसका जवाब देकर ही लोकसभा चुनाव से पहले अपने-आप को टीएमसी के सामने खड़ा किया जा सकता है.