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कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व के बदले बीजेपी लाई है तिल-गुड़!

बीजेपी अपने तिल गुड़ के जरिए सामाजिक समरसता और तमाम जातियों को साथ लाना चाहती है

Dinesh Gupta

मध्यप्रदेश में पिछले कुछ माह से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सक्रियता बढ़ गई है. संघ प्रमुख मोहन भागवत लगातार राज्य में बैठकें कर रहे हैं. संघ का पूरा फोकस दलित एवं आदिवासियों पर है. संघ के नेताओं का मानना है कि दलित और आदिवासियों को भारतीय जनता पार्टी से जोड़े बगैर कांग्रेस मुक्त भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है. राज्य में इस साल विधानसभा के चुनाव हैं. इस चुनाव में दलित और आदिवासी मतदाताओं की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है. संघ के निर्देश पर मकर संक्रांति के दिन राज्य भर में भारतीय जनता पार्टी के मंत्री एवं विधायक तिल और गुड़ के साथ जाएंगे.

भारतीय जनता पार्टी की इस रणनीति को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सॉफ्ट हिन्दुत्व की तोड़ के तौर पर देखा जा रहा है. गुजरात चुनाव में राहुल गांधी के मंदिर-दर मंदिर माथा टेकने से बीजेपी को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा था. संघ और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही इस बात पर एक मत नजर आ रहे हैं कि राहुल गांधी से अगला मुकाबला मध्यप्रदेश में ही होगा. मध्यप्रदेश के साथ-साथ राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा के चुनाव होंगे. मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी में अंदरूनी कलह को कम करने की कोशिश भी संघ परिवार द्वारा की जा रही है. संघ की विदिशा में चल रही बैठक में अनुषांगिक संगठनों ने भी बीजेपी के तेजी से गिरते ग्राफ पर भी चिंता प्रकट की है.


सामाजिक समरसता की प्रयोगशाला बनेगा मध्यप्रदेश

बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले संघ प्रमुख द्वारा आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी को काफी नुकसान हुआ था. आरक्षण का सीधा विरोध करने के बजाए संघ ने अपनी रणनीति सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने पर केन्द्रित कर दी है. विदिशा से पहले संघ की बैठक उज्जैन में भी हुई थी. उज्जैन में भारत माता के मंदिर के उद्घाटन मौके पर मोहन भागवत ने कहा कि देश हित में सभी नागरिक बराबर हैं. विदिशा में मोहन भागवत ने एकात्म यात्रा का स्वागत करते हुए बीजेपी को स्पष्ट संदेश दिया कि सामाजिक समरसता के समाज के संपन्न वर्ग को गरीब तबके के लोगों के घर तिल-गुड़ के साथ जाना जाना चाहिए. दरअसल, संघ परिवार लोकसभा चुनाव के पहले अपनी सामाजिक समरसता की रणनीति का नतीजा मध्यप्रदेश के चुनाव में देखना चाहती है.

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मध्यप्रदेश में पिछले पंद्रह साल से बीजेपी की ही सरकार है. संघ परिवार ने अपने एजेंडा को लागू करने के लिए कई प्रयोग मध्यप्रदेश में किए हैं. राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समाज के विभिन्न वर्गों को साधने के लिए कई योजनाएं भी चला रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान के पिछले दो मुख्यमंत्रित्वकाल में आयोजित की गईं पंचायतें काफी लोकप्रिय रही हैं. शिवराज सिंह चौहान ने मोची,नाई, रजक आदि समाज के लोगों की भी पंचायतें लगाईं थीं. इसका फायदा विधानसभा के वर्ष 2013 में हुए आम चुनाव में पार्टी को मिल था. पार्टी को अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर भी काफी फायदा हुआ था. राज्य में इन वर्गों के लिए 82 सीटें आरक्षित हैं. संघ परिवार सामाजिक समरसता को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री चौहान को सबसे विश्वसनीय चेहरा मान रहा है.

सामाजिक समरसता पर धर्म का तड़का

मध्यप्रदेश में राहुल गांधी के सॉफ्ट हिन्दुत्व का मुकाबला करने के लिए संघ परिवार और भारतीय जनता पार्टी दो मोर्चों पर एक साथ काम कर रहे हैं. सामाजिक समरसता के जरिए जहां पार्टी कमजोर वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रही हैं वहीं धार्मिक आयोजनों के जरिए हिन्दुत्व का रंग लोगों पर चढ़ाया जा रहा है. ओंकारेश्वर में आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने के लिए राज्य में निकाली जा रहीं एकात्म यात्रा अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. उज्जैन में शैव महोत्सव भी आयोजित किया गया. अब बीजेपी तीज -त्यौहारों पर उत्सव की तैयारी कर रही है. संक्रांति पर तिल-गुड़ का आदान-प्रदान इसी कड़ी का हिस्सा है. महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के दिन महिलाएं तिल-गुड़,रोली और हल्दी का आदान-प्रदान करतीं हैं.

मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में महाराष्ट्र की परंपराओं को मानने वाले लोग हैं. इनमें अधिकांश कमजोर वर्ग के हैं. सामाजिक समरसता के लिए ही संघ ने एक श्मशान, एक देव स्थान और एक जल स्थान का नारा भी दिया है. इसके तहत मध्यप्रदेश में प्रयास यह किए जा रहे हैं कि श्मशान घाट, मंदिर और जलाशय पर सभी वर्गों का समान अधिकार हो.

मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही दलों में अनुसूचित जाति तथा जनजाति वर्ग का कोई सर्वमान्य नेता नहीं है. भारतीय जनता पार्टी के पास इस वर्ग के क्षेत्रीय नेताओं की भी कमी है. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरूण यादव यह स्पष्ट संकेत दे चुके हैं कि राज्य के चुनाव में भी जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल की टीम राहुल गांधी के साथ होगी. हार्दिक पटेल भी मंदसौर गोलीकांड के बाद से ही मध्यप्रदेश में यात्राएं कर रहे हैं.