view all

शिवराज सिंह चौहान को अपने ही घर बुधनी में क्यों झेलनी पड़ रही है नाराजगी

तेरह साल से राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे शिवराज सिंह चौहान अपनी परंपरागत सीट बुधनी से चुनाव लड़ रहे हैं.

Dinesh Gupta

तेरह साल से राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे शिवराज सिंह चौहान अपनी परंपरागत सीट बुधनी से चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी अपनी पत्नी साधना सिंह और पुत्र कार्तिकेय को सौंप रखी है. चुनाव प्रचार के दौरान साधना सिंह और कार्तिकेय दोनों को ही जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. नाराजगी की वजह वे स्थानीय नेता हैं, जिन्हें क्षेत्र की जनता की समस्याओं को सुलझाने की जिम्मेदारी शिवराज सिंह चौहान ने दी थी. कांग्रेस उम्मीदवार जनता की इस नाराजगी को अपनी सफलता के तौर पर देख रहे हैं.

क्षेत्र में मौलिक समस्याएं हैं जनता की नाराजगी की वजह


क्षेत्र में बिजली की कोई समस्या नहीं है. बुधनी विधानसभा क्षेत्र के कुछ गांवों में पीने के पानी की समस्या काफी गंभीर है. शिवराज सिंह चौहान के इस निर्वाचन क्षेत्र से ही नर्मदा बहती है. सिंचाई के लिए पानी की समस्या न होने के कारण किसानों को अच्छी उपज भी मिल जाती है. क्षेत्र की दूसरी बड़ी समस्या स्वास्थ्य सुविधाओं की है.

ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में अब सड़क, पानी और बिजली मुद्दा नहीं: अरुण जेटली

कई प्राथमिक चिकित्सालयों में डाक्टर ही नहीं हैं. क्षेत्र के लोगों की बीमारी के इलाज के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर संभव मदद भी करते हैं. मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान और स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत मदद भी मंजूर करते हैं.

क्षेत्र के लोगों की शिकायत यह है कि जिन स्थानीय नेताओं को मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की देखभाल की जिम्मेदारी दी है वे निस्वार्थ भाव से अपना काम नहीं करते हैं. क्षेत्र में ऐसे कई लोग मिल जाएंगे, जो यह दावा करने से नहीं चूक रहे कि हमें सरकारी आर्थिक सहायता के लिए स्थानीय नेताओं को दलाली देना पड़ी.

बुधनी विधानसभा क्षेत्र में कई गरीब परिवार ऐसे भी मिल जाएंगे, जिन्हें अब तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर नहीं मिला है. यद्यपि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नियमित रूप से बुधनी के विकास कार्यों की समीक्षा करते रहते हैं.

क्षेत्र का दौरा भी नियमित तौर पर करते हैं. स्थानीय नेताओं की शिकायतें मिलने के बाद उन्होंने अपने पुत्र कार्तिकेय को इस क्षेत्र की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी है. चुनाव प्रचार के दौरान कार्तिकेय को भी लगातार वोटरों के तानों को सुनना पड़ रहा है.

बुधनी क्षेत्र की बोली में बुंदेलखंडी का उपयोग ज्यादा होता है. इस कारण सहजता से कही गई बात भी गुस्से के रूप में बाहर आती है. कार्तिकेय से लोग पूछ रहे हैं कि चुनाव से पहले क्षेत्र की जनता का ख्याल क्यों नहीं आया?

वोटरों की नाराजगी में जीत उम्मीद लगाए हैं अरुण यादव

पिछले डेढ़ दशक में कांग्रेस स्थानीय स्तर पर एक भी ऐसा नेता तैयार नहीं कर पाई जो चुनाव में शिवराज सिंह चौहान के लिए चुनौती बन सके. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भोपाल से डॉ. महेंद्र सिंह चौहान को बुधनी चुनाव लड़ने के लिए भेजा था. महेंद्र सिंह चौहान का इस क्षेत्र से कभी कोई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष वास्ता नहीं रहा था. वोटर भी उनके नहीं जानते थे और वो भी स्थानीय लोगों से अपरिचित थे.

डॉ. चौहान को टिकट देने की घोषणा के बाद ही यह भविष्यवाणी होने लगीं थीं कि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री चौहान को वॉकओवर दे दिया है. पिछले चुनाव में भी शिवराज सिंह चौहान ने प्रचार नहीं किया था.

ये भी पढ़ें: MP चुनाव: कांग्रेस नेताओं को कमलनाथ की सलाह- RSS और धर्म-जाति पर न बोलें

प्रचार की जिम्मेदारी स्थानीय नेताओं को सौंपकर पूरे प्रदेश में बीजेपी को जिताने निकल पड़े थे. इस बार भी शिवराज सिंह चौहान बुधनी में प्रचार करने नहीं जा रहे हैं. कांग्रेस ने उनके खिलाफ इस बार पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव को मैदान में उतारा है. यादव, का कार्य क्षेत्र खरगोन रहा है. बुधनी के लिए वे बाहरी उम्मीदवार हैं. अरुण यादव का साथ पूर्व विधायक राजकुमार पटेल एवं अर्जुन आर्य दे रहे हैं.

इसके साथ ही कांग्रेस ने क्षेत्र के पुराने नेताओं को भी घर से निकालकर जनसंपर्क में लगाया है. इस बार बुधनी विधानसभा में मुकाबला रोचक है, लेकिन कांग्रेस की जीत पक्की है, ऐसा भी नहीं है. कांग्रेस ने विधानसभा क्षेत्र में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

अरुण यादव गांव-गांव जाकर लोगों से घर-घर में संपर्क कर रहे हैं. वे वादा भी कर रहे हैं कि यदि यहां से जीते तो उनकी हर समस्या का निराकरण करेंगे. इसके साथ ही वे अपने संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों को भी जनता के सामने रख रहे हैं, ताकि जनता को विश्वास हो सके कि वे यहां पर जीतने के बाद काम कराएंगे.

ग्राम सोयत के संतोष पवार कहते हैं कि भले ही कांग्रेस ने यहां से अरुण यादव को मैदान में उतारा हो, लेकिन जीत तो शिवराज सिंह चौहान की ही होगी. बुधनी उनका गढ़ रहा है. यहां पर उन्होंने विकास ही विकास कार्य कराए हैं. पहले हम लोगों को बारिश के दिनों में पेंट निकालकर सड़कों पर चलना पड़ता था, लेकिन अब सरपट गाड़ियां दौड़ती हैं.

ये सब विकास कार्य मुख्यमंत्री ने कराए हैं. हमने कांग्रेस का शासनकाल भी देखा है, जहां पर विकास के नाम पर सिर्फ लीपापोती ही होती थी. ग्राम मालवीया के स्वरूप सिंह कहते हैं कि भले ही यहां पर कांग्रेस राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाकर उतार दे, लेकिन जीत तो शिवराज भैया की ही होगी, क्योंकि उन्होंने इस क्षेत्र को बहुत कुछ दिया है. यहां से उनकी हार का तो सवाल ही नहीं उठता. कांग्रेस हर बार यहां पर बाहरियों को ही उतारती है.

डेढ़ दर्जन से अधिक व्हीआईपी कर रहे हैं शिवराज का प्रचार

मध्यप्रदेश का बुधनी एक मात्र ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जिसके नेताओं को लाल बत्ती सबसे ज्यादा मिली. मंत्री ओर राज्य मंत्री का दर्जा भी मिला. ऐसे डेढ़ दर्जन से ज्यादा नेता इन दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रचार गांव-गांव जाकर कर रहे हैं. इनमें अधिकांश नेता वे हैं, जिनको रवैये को लेकर जनता में नाराजगी है.

कांग्रेस उम्मीदवार अरुण यादव कहते हैं कि पिछले पंद्रह साल में इस क्षेत्र के विकास की ओर शिवराज सिंह चौहान ने ध्यान ही नहीं दिया. नर्मदा की रेत निकालने पर ज्यादा फोकस था. अरुण यादव के समर्थन में प्रचार करने के लिए कांगे्रस अध्यक्ष राहुल गांधी भी पहुंचने वाले हैं. अरुण यादव, राज्य के कांग्रेसी नेताओं के बीच चल रही मुख्यमंत्री पद की दौड़ में पिछड़ रहे थे.

राहुल गांधी ने ही उन्हें बुधनी से चुनाव लड़ने का मौका देकर एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने का मौका दिया है. अरुण यादव भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरह की पिछड़ा वर्ग से हैं. लेकिन, कांग्रेस का फोकस अनुसूचित जाति, जनजाति और मुस्लिम वोटरों पर है.