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शरीर से भले बीमार पड़े लालू, मन की ताकत से अब भी दे रहे हैं BJP-नीतीश को टक्कर

दिल्ली पहुंचते ही लालू यादव ने अपनी चुप्पी तोड़ी और छूटते ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार और बीजेपी पर हमला बोला

Vivek Anand

जब लालू यादव रांची के रिम्स अस्पताल से दिल्ली के एम्स में इलाज के लिए निकले तो काफी बीमार और चुपचाप दिख रहे थे. रांची के रेलवे स्टेशन पर उन्हें देखने और सुनने के लिए समर्थकों के साथ मीडिया का हुजूम उमड़ा था. लेकिन लालू यादव किसी सवाल का जवाब नहीं दे रहे थे. वो कुछ बोलने की कोशिश करते तो उनकी जुबान लड़खड़ा जाती. राजधानी एक्सप्रेस में सवार होते वक्त एक बार वो लड़खड़ा कर गिरने को हो गए कि उनके एक समर्थक ने सहारा देकर उन्हें संभाला. 18 घंटे की यात्रा के बाद जब वो दिल्ली पहुंचे तो यहां उनकी बेटी मीसा भारती और उनके कुछ समर्थक अगवानी को तैयार थे.

दिल्ली पहुंचते ही लालू यादव ने अपनी चुप्पी तोड़ी और छूटते ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार और बीजेपी पर हमला बोला. लालू यादव ने कहा कि ‘बिहार में नीतीश का शासन खत्म हो चुका है. वहां हर तरफ दंगे हो रहे हैं. बीजेपी बिहार में आग लगा रही है.’ बीमार लालू ने कहा कि उनके साथ राजनीति हो रही है. उन्हें जानबूझकर तंग किया जा रहा है.


कोर्ट-जेल और अस्पताल के बीच बुरी तरह फंसे लालू यादव

लालू यादव की बेटी मीसा भारती ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि लालू यादव की तबीयत ज्यादा बिगड़ी हुई है. इसी को देखते हुए उन्होंने लालू यादव को हवाई जहाज से दिल्ली लाए जाने की मांग की थी. लेकिन सरकार ने अनुमति नहीं दी. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव के खिलाफ हमेशा साजिश होती रही है. इसके खिलाफ उनका परिवार लड़ता आया है. आरजेडी कभी झुकेगा नहीं. लालू यादव बीजेपी और आरएसएस के सांप्रदायिक मंसूबों को सफल नहीं होने देंगे.

लालू यादव कोर्ट-जेल और अस्पताल के बीच बुरी तरह से फंसे हैं. लेकिन वो बीजेपी विरोध में किसी भी तरह से कम पड़ते नहीं दिखना चाहते. रांची से दिल्ली की ट्रेन यात्रा के दौरान उन्होंने कुछ टीवी चैनल्स और अखबारों के रिपोर्टर्स से भी बात की. बीजेपी के विरोध में विपक्ष के एकजुट होने की कोशिश का उन्होंने स्वागत किया है. लेकिन कांग्रेस के बिना वो किसी भी थर्ड फ्रंट के होने की कल्पना को सिरे से नकारते हैं.

वो कांग्रेस के साथ मिलकर सारी विपक्षी पार्टियों को बीजेपी के विरोध में एकजुट होने की बात कर रहे हैं. यूपी में मायावती अखिलेश के एकसाथ आने की तारीफ करते हैं. ममता बनर्जी और सोनिया गांधी की मुलाकात को मौके के हिसाब से लिया गया सही फैसला मानते हैं. लालू यादव चाहते हैं कि कांग्रेस के साथ मिलकर सारी विपक्षी पार्टियां एक होकर 2019 के चुनाव मे जाएं.

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उनका मानना है कि बीजेपी ने विपक्ष के बिखराव का फायदा उठाया है. इस बात को समझते हुए सभी पार्टियों को एकसाथ आना चाहिए. लेकिन खुद अपने स्तर पर लालू यादव कुछ भी पहल करने में लाचार हैं.

लालू यादव शारीरिक तौर पर कमजोर दिखते हैं. लेकिन मानसिक दृढ़ता और राजनीतिक संकल्पशक्ति में कमजोर नहीं दिखना चाहते. पार्टी में उनकी कमी साफ झलकती है. लेकिन तेजस्वी यादव को कमान सौंपने के बाद भी आरजेडी में कहीं से बिखराव नहीं दिखता है. पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने बिहार में एक के बाद एक कई दौरे किए हैं.

लालू के जेल जाने के बाद उन्होंने संविधान बचाओ यात्रा की. इस दौरान जनता के बीच उन्होंने ये संदेश देने की कोशिश की कि लालू यादव के साथ राजनीतिक बदले की कार्रवाई की जा रही है. चारा घोटाले मामले में सजा सुनाए जाने को वो नीतीश कुमार और बीजेपी-आरएसएस की साजिश के तौर पर पेश करते हैं. चारा घोटाला मामला काफी पुराना पड़ चुका है. बिहार की जनता वर्षों से इस घोटाले के बारे में सुनती आ रही है. इसलिए जनता के बीच घोटाले को लेकर उतना नकारात्मक असर नहीं दिखता जितना आज से कुछ वर्ष पहले तक हुआ करता था.

लालू के बिना कमजोर नहीं है RJD

लालू यादव के वोटर्स इस मामले में उनके साथ सहानुभूति रखते हैं. इसका असर भी देखने को मिला है. सारा जोर लगाने के बाद भी बिहार में हुए उपचुनाव में आरजेडी ने अच्छा प्रदर्शन किया. अररिया लोकसभा सीट और जहानाबाद विधानसभा सीट पर पार्टी को जीत मिली. अगर भभुआ सीट पर पार्टी थोड़ा जोर लगाती तो उसके नतीजे भी चौंकाने वाले हो सकते थे. इससे समझा जा सकता है कि लालू यादव के जेल जाने के बाद पार्टी तेजस्वी के नेतृत्व में कमजोर नहीं पड़ी है. पार्टी के सीनियर नेता भी तेजस्वी के नेतृत्व पर बिना सवाल उठाए मजबूती से साथ खड़े दिखते हैं. ये अलग बात है कि जिस स्तर की राजनीति लालू यादव किया करते हैं वैसी तेजस्वी से अपेक्षा रखना नाइंसाफी होगी.

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लालू यादव को चारा घोटाले के चार मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है. पिछले शुक्रवार को ही उन्हें चारा घोटाले में दुमका कोषागार से 3.3 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में 14 साल की सजा सुनाई गई है. अभी चारा घोटाले के तीन और मामले हैं जिनपर फैसला आना बाकी है. लालू यादव की मुश्किलें कम नहीं होने वाली है.

अब तक कुल मिलाकर 22 सालों से ज्यादा की सजा उन्हें सुनाई जा चुकी है. बाकी के 3 मामलों में भी राहत की गुंजाइश नहीं दिख रही है. जिन चार मामलों में लालू यादव को दोषी करार दिया गया है, उनमें भी सिर्फ एक मामले में ही उन्हें जमानत मिली है. बाकी मामलों में उन्हें जमानत मिलने की गुंजाइश कम ही है.

सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव को चारा घोटाले के 4 मामले में दोषी करार देकर सजा सुनाई है

विपरीत परिस्थिति में भी चिंतित नहीं दिखते लालू यादव

लालू यादव राजनीति में सक्रिय तौर पर भले ही न दिखें. लेकिन उनकी पार्टी अब भी बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी है. इतना सब हो जाने के बाद भी राजनीतिक विश्लेषकों की राय में बिहार में सिर्फ दो पार्टियों में ही मुकाबला है बीजेपी और आरजेडी. 2019 आते-आते भी आरजेडी के किसी भी तरह से कमजोर होने के आसार नहीं दिखते. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के आरजेडी से जुड़ने से पार्टी को फायदा ही होगा. इसके साथ ही अब तक बीजेपी के साथ रहे लेकिन भीतर ही भीतर नाराज चल रहे कुछ नेता 2019 तक पाला बदल सकते हैं. आरजेडी इसका फायदा ही उठाएगी.

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पिछले दिनों लालू यादव की एक तस्वीर बड़ी वायरल हुई थी. रिम्स अस्पताल के बिस्तर पर बैठे लालू यादव को वहां की कुछ नर्सें और कर्मचारी घेरे खड़े थे. लालू यादव के चेहरे पर मुस्कान थी. सोशल मीडिया पर इसे बीजेपी विरोध के विजयी मुस्कान के बतौर पेश किया गया. लोग कमेंट कर रहे थे कि ऐसा होता है जननेता, जो इस हालात में भी मुस्कुराने की कूव्वत रखता हो.

रिम्स अस्पताल में भर्ती लालू की वायरल तस्वीर

रिम्स में उनका इलाज करने वाले डॉक्टर बताते हैं कि लालू का अंदाज अब भी पुराने वाला ही है. वो चिंतित नहीं दिखते, पहले जैसा ही मस्तमौला नजर आते हैं. उनका इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने बताया कि आमतौर पर सजा सुनाए जाने के बाद लोग टूट जाते हैं, लेकिन लालू यादव चालाकी से अपनी भावनाएं छुपा ले जाते हैं. वो अपनी कमजोरी को दूसरों के सामने जाहिर नहीं होने देते. पिछले शनिवार को बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा उनसे मिलने अस्पताल गए थे. लालू यादव पहले की तरह ही खुशमिजाज दिखे.

लालू यादव बीमार हैं. बीमारी की वजह से उनका चेहरा फूल गया है. पत्रकारों से बात करते वक्त वो कहते हैं कि ठीक होकर आने के बाद अपनी योजना बताऊंगा. अभी आप दुआ करो कि जल्दी ठीक होकर आ जाऊं. लालू यादव शरीर से कमजोर पड़े हैं लेकिन वो राजनीतिक रूप से कमजोर नहीं दिखना चाहते. भविष्य के बारे में कहना मुश्किल है लेकिन ऐसा पहले भी हुआ है कि लालू यादव गिरे हैं और फिर उठकर खड़े हुए हैं.