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मध्य प्रदेश में बीजेपी नेताओं की हत्या कहीं केरल और बंगाल वाला ट्रेंड तो नहीं

राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की हत्या से राजनीति में उबाल आया हुआ है

Dinesh Gupta

मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं की हत्या से राज्य की राजनीति में उबाल आया हुआ है. बीजेपी के नेता इन हत्याओं को बंगाल और केरल के ट्रेंड से जोड़ रहे हैं. जबकि मंदसौर नगर पालिका अध्यक्ष प्रह्लाद बंधवार की हत्या में लेने-देन का आपसी विवाद होने का दावा पुलिस द्वारा किया गया है. कांग्रेस सरकार इन घटनाओं के लिए बीजेपी को ही जिम्मेदार ठहरा रही है. राज्य में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि सत्ता परिवर्तन के बाद सत्ता से हटे राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं पर हमले किए जा रहे हों?

बंधवार की हत्या का आरोपी ने मिस्ड कॉल से ली थी बीजेपी की सदस्यता


मंदसौर में नगर पालिका अध्यक्ष की हत्या के आरोप में पुलिस ने मनीष बैरागी नामक युवक को गिरफ्तार किया है. मनीष बैरागी की गिरफ्तारी राजस्थान के प्रतापगढ़ से हुई है. आरोपी मनीष बैरागी ने पुलिस को दिए अपने बयान में दावा किया है कि उसने मोबाइल से मिस्ड कॉल के जरिए बीजेपी की सदस्यता ली थी. मध्य प्रदेश में बीजेपी अपने एक करोड़ तीस लाख से अधिक सदस्य होने का दावा करती है. सदस्यता मिस्ड कॉल के जरिए दी गई थी.

दीपक विजयवर्गीय

मध्य प्रदेश बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि मिस्ड कॉल के जरिए पार्टी की सदस्यता लेने वाले लोगों का शत-प्रतिशत सत्यापन व्यवहारिक अड़चनों के कारण नहीं हो सका था. विजयवर्गीय कहते हैं कि इस तरह से सदस्यता लेने वाले सभी लोग सद्चरित्र हों यह जांचना मुश्किल भरा होता है.

मंदसौर के बीजेपी नेता बंधवानी दो बार नगर पालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं. आरोपी मनीष बैरागी ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा है कि उसने बंधवानी को चुनाव के दौरान कुछ रुपए इस उम्मीद से दिए थे कि वे अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उसे जमीन का पट्टा अथवा काम-धंधा देंगे.

बंधवानी ने मनीष की कोई मदद नहीं की. मनीष का दावा है कि उसे बंधवानी से डेढ़ लाख रुपए लेने थे. वे वापस नहीं कर रहे थे. इस कारण हत्या कर दी. सोशल मीडिया पर बीजेपी के कई बड़े नेताओं के साथ मनीष बैरागी के फोटो हैं. बीजेपी के प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि बैरागी पार्टी में किसी भी पद पर काम नहीं कर रहा था. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बंधवानी की हत्या को राजनीतिक हत्या बताते हुए कहते हैं कि सरकार को मामला जांच के लिए सीबीआई को भेज देना चाहिए.

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मंदसौर राजनीतिक तौर पर काफी संवेदनशील जिला माना जाता है. हाल में संपन्न विधानसभा के चुनाव में मंदसौर जिले की चार विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ एक ही सीट पर सफलता मिली थी. लगभग डेढ़ साल पहले इसी जिले में ही पुलिस की फायरिंग से किसानों की मौत हुई थी. कांग्रेस ने इस घटना को चुनाव में मुद्दा भी बनाया था, लेकिन, मंदसौर जिले में ही इस मुद्दे का लाभ कांग्रेस को नहीं मिला. मंदसौर संसदीय सीट के तहत आने वाली आठ विधानसभा सीटों के लिहाज से देखा जाए तो भी कांग्रेस को सिर्फ एक सीतामऊ की विधानसभा सीट पर सफलता मिली थी.

नीमच जिले की तीनों सीटें बीजेपी ने जीतीं. रतलाम जिले की जावर सीट भी बीजेपी के खाते में गई. बीजेपी इस हत्याकांड को राजनीतिक रूप देकर लोकसभा चुनाव में अपनी सीट को बचाने का प्रयास भी कर रही है. बंधवानी हत्याकांड में पुलिस की थ्योरी और आरोपी का इकबालिया बयान भी संदेह के दायरे में रखा जा रहा है. बंधवानी आर्थिक रूप से काफी मजबूत थे. उनके नजदीकी लोगों का दावा है कि रकम इतनी बड़ी नहीं थी कि उनकी हत्या कर दी जाती.

हत्याओं की राजनीति के केंद्र में है मालवा-निमाड़

मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता गोविंद मालू को लगता है कि जिस तरह से केरल एवं पश्चिम बंगाल में बीजेपी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया, उसी शैली पर मध्य प्रदेश में बीजेपी नेताओं की हत्या की जा रही है. हत्याओं के विरोध में बीजेपी ने प्रदेश भर में प्रदर्शन किया तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि शिवराज सिंह चौहान शायद यह भूल गए कि एनसीआरबी के आंकड़ों में प्रदेश पिछले कई साल से अपराधों में नंबर एक पर बना हुआ है.

कमलनाथ (फोटो: साभार ट्विटर)

कमलनाथ ने कहा कि अपराधी कोई भी उसे बख्शा नहीं जाएगा. इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच हत्याओं की राजनीति के केंद्र में एक बार फिर मालवा-निमाड़ आ गया है. मंदसौर हत्याकांड के दो दिन बाद ही बड़बानी जिले बलबाड़ी मंडल अध्यक्ष मनोज ठाकरे की हत्या हो गई. ठाकरे की हत्या उस वक्त हुई जब वे सुबह की सैर पर निकले थे.

मालवा-निमाड़ की केवल एक झाबुआ की लोकसभा सीट कांग्रेस के पास है. बीजेपी के पास मंदसौर, धार, खंडवा, खरगौन, उज्जैन, इंदौर और शाजापुर-देवास की सीट हैं. मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष राकेश सिंह कहते हैं कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही जिस तरह से अपराधियों ने आम नागरिकों के खिलाफ मोर्चा खोला है, उससे शांति का टापू कहे जाने वाला मध्यप्रदेश का नागरिक भयभीत है. कसरवाद के विधायक और राज्य के कृषि मंत्री सचिन यादव कहते हैं कि बीजेपी नेताओं की हत्याएं दलाली, पैंसों के लेनदेन और कमीशनखोरी के विवाद में हो रही हैं.

बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले सुनियोजित हैं या षड्यंत्र

राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों के राजनीतिकरण से कांग्रेस चिंतित दिखाई नहीं दे रही है. मुख्यमंत्री कमलनाथ विदेश दौरे पर हैं. उनकी अनुपस्थिति में बीजेपी के एक प्रतिनिधि मंडल ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ऋषि कुमार शुक्ला को ज्ञापन सौंपकर सख्त कदम उठाने की मांग की है.

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राज्य के गृह मंत्री बाला बच्चन कहते हैं कि अपराध पर राजनीति नहीं होना चाहिए. वहीं राज्य के सामान्य प्रशासन एवं सहकारिता विभाग के मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग गोला बारूद बनाते हैं. उन्हें अपराध की ट्रेनिंग दी जाती है. बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले की एक श्रृखंला पूरे राज्य में दिखाई पड़ रही है. प्रवक्ता गोविंद मालू का आरोप है कि गुना जिले में पार्टी के नेता परमल साहू के परिजन को गोली से उड़ा दिया गया.

जबलपुर में मगन सिद्दीकी पर जानलेवा हमला किया. श्योपुर जिले में महिला मोर्चा की मंडल अध्यक्ष आशा शर्मा और उनके पति के साथ मारपीट की गई है. पुलिस विभाग के अधिकृत प्रवक्ता इन राजनीतिक विवाद से बचने की कोशिश कर रहे हैं. राज्य के डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि हर घटना के पीछे कारण अलग-अलग हैं. घटनाएं हो रहीं हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. पुलिस जांच में कुछ घटनाएं आपसी रंजिश की पाई गई हैं.