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हिमाचल चुनाव: क्या कांगड़ा में मोदी का जादू बीजेपी को सत्ता दिलवा पाएगा?

जितना बीजेपी भ्रष्टाचार का राग अलाप रही है उतना वीरभद्र कांग्रेस के प्रभुत्व वाली सीटों पर सहानुभूति बटोर रहे हैं

Matul Saxena

मोदी और अमित शाह की जोड़ी हिमाचल प्रदेश की तेरहवीं विधान सभा के चुनावों में बीजेपी को सत्ता पर आसीन करने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है. इस कड़ी में कांग्रेस पार्टी और प्रदेश में कांग्रेस के स्टार प्रचारक वीरभद्र सिंह पर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ताबड़तोड़ हमला कर रहे हैं.

बीजेपी की कमान राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने स्वयं संभाली है. प्रधानमंत्री रेहन (कांगड़ा ) में एक रैली करने के बाद 4 और 5 नवंबर को फिर रैत (कांगड़ा ) और पालमपुर (कांगड़ा ) में जनसभाओं को सम्बोधित करने आ रहे हैं. पार्टी की ओर से शाहपुर और पालमपुर में महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.


मोदी की सभाओं में पिछले दिन जिस तरह से जन-समूह एकत्रित हुआ था उसे कांगड़ा में बीजेपी के वोट में बदलना इतना आसान नहीं. क्योंकि एक बात तो तय है कि हिमाचल में यह चुनाव न तो मोदी लहर को लेकर है और न ही विकास की लंबे चौड़े दावों को ले कर.

वीरभद्र पर भ्रष्टाचार के आरोपों का मतदाताओं पर नहीं है असर 

वीरभद्र पर भ्रष्टाचार के आरोपों का हिमाचल के मतदाताओं पर ज्यादा असर नहीं है. क्योंकि वे जानते हैं कि वर्ष 1998 में पंडित सुखराम के भ्रष्टाचार आरोपों के बावजूद उन्होंने ने 5 सीटें जीती थीं और हिमाचल की राजनीति का नक्शा ही बदल दिया था.

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इस बार सुखराम और उनके पुत्र अनिल शर्मा बीजेपी के साथ हैं. बीजेपी सुखराम के भ्रष्टाचार को उनके पुत्र अनिल शर्मा के साथ नहीं जोड़ रही. बीजेपी के नेता यही कह रहे हैं कि अनिल शर्मा पर कोई भी भ्रष्टाचार का आरोप नही है.

बहरहाल जितना बीजेपी भ्रष्टाचार का राग अलाप रही है उतना वीरभद्र कांग्रेस के प्रभुत्व वाली सीटों पर सहानुभूति बटोर रहे हैं.

शांता कुमार की नाराजगी को शांत करना मोदी के लिए चुनौती 

शाहपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी की सरवीण चौधरी चुनाव लड़ रही हैं. उनका मुकाबला निर्दलीय मेजर विजय सिंह मनकोटिया से है जो हाल ही में कांग्रेस से बागी हुए हैं. दूसरी ओर कांग्रेस के प्रत्याशी भी सरवीण को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. यहां बीजेपी उम्मीदवार भीतरघात से अलग परेशान हैं.

पालमपुर में जहां कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है, मोदी की रैली का अर्थ इंदु गोस्वामी के लिए वोट मांगना होगा. यहां देखना तो केवल इतना है कि शांता कुमार के गृह-क्षेत्र में मोदी अपने भाषण में शांता कुमार की दबी नाराजगी को किस तरह से शांत करते हैं.

प्रधानमंत्री इस राज्य में स्वयं रैलियां कर वोटरों को बीजेपी के लिए वोट देने का अनुरोध कर रहे हैं. इन रैलियों का असर कांगड़ा जिला के मतदाताओं पर ज्यादा नहीं होगा.