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गुजरात चुनाव 2017: 'व्यापारी अगर जीएसटी के फॉर्म ही भरेगा तो कारोबार कब करेगा'

बीजेपी के लिए गुजरात में जीएसटी के जंजाल से निकलना बड़ी मुश्किल है

Amitesh

राजकोट जिले के जेतपुर में साड़ी प्रिंटिंग की इंडस्ट्री चलाने वाले मनसुखभाई उनदाड़ इन दिनों काफी नाराज हैं. उनके भीतर की उलझन और परेशानी जीएसटी को लेकर है. एक तो जीएसटी देना पड़ रहा है, उल्टे इसको भरने की पूरी प्रक्रिया ही काफी उलझा देने वाली है.

पिछले एक जुलाई से जब से जीएसटी लागू हुआ, तभी से ही इनके कारोबार पर इसका सीधा असर पड़ा है. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान मनसुखभाई उनदाड़ कहते हैं कि ‘जीएसटी ने हमारे कारोबार की कमर तोड़ कर रख दी है. पहले नोटबंदी की मार से उबर ही रहे थे कि अब जीएसटी ने तो कारोबार पर दोहरी चोट दे डाली.’ मनसुखभाई की नाराजगी उनकी बातों से झलकती है जब वो कहते हैं ‘मोदी ने पहले नोटबंदी पर मार डाला और अब तो जीएसटी पर मार डाला.’


जीएसटी से कारोबारी परेशान, धंधा हुआ मंदा

मनसुखभाई की जेतपुर में साड़ी प्रिंटिंग का एक प्लांट है जिसमें अब उनके साथ उनका बेटा विकास भाई उनदाड़ भी हाथ बंटाने लगा है. जब जीएसटी को लेकर हमने युवा कारोबारी विकास से उनकी परेशानी जानने की कोशिश की तो उनकी तरफ से भी कुछ ऐसा ही जवाब मिला.

विकास का कहना है कि ‘पहले साल भर में हमें 6 से 7 करोड़ का टर्न ओवर होता था, लेकिन, अब तो हालात बदल गए हैं. जीएसटी लागू होने के बाद डिमांड कम हो गई है जिससे इस साल बमुश्किल 4 करोड़ तक का ही टर्न ओवर मिलने की उम्मीद है.’

जेतपुर में साड़ी प्रिंटिंग का बड़ा कारोबार है. यहां करीब 1200 प्लांट हैं लेकिन, सबका एक सा ही हाल है. जेतपुर में अलग-अलग जगहों का दौरा करने के बाद पता चला कि सरकार की तरफ से जीएसटी की दर में बदलाव करने से राहत तो है लेकिन, कच्चे माल पर लगने वाली जीएसटी की दर को लेकर कारोबारियों में परेशानी है. सरकार ने प्रोडक्टस पर जीएसटी घटाकर 18 फीसदी की जगह 5 फीसदी कर दिया. लेकिन, साड़ी प्रिंटिंग के लिए सप्लाई होने वाले कच्चे माल पर अभी भी जीएसटी 18 फीसदी तक बनी हुई है.

लागत बढ़ने से कारोबार पर असर

साड़ी प्रिंटिंग के लिए कच्चे माल की सप्लाई करने वाले किशोर भाई भी जीएसटी के लागू होने के बाद काफी परेशान दिख रहे हैं. वो भी कारोबारियों के ही सुर में सुर मिलाते हुए सीधे जीएसटी का विरोध भी कर रहे हैं और इसे गैरजरूरी बता रहे हैं.

दरअसल, जेतपुर के कारोबारियों की शिकायत है कि कच्चे माल पर जीएसटी की दर 18 फीसदी होने से उनकी लागत बढ़ गई है. ऐसे में जब साड़ी पूरी तरह प्रिंटिंग के बाद तैयार हो जाती है तो उस पर पहले की तरह वो डिस्काउंट देने के हालात में नहीं हैं. लिहाजा जो व्यापारी उनके यहां से साड़ी खरीदते हैं उनको होने वाला मुनाफा भी कम हो गया है. डिस्काउंट कम होने या खत्म होने से यही हाल रिटेल सेक्टर के कारोबारियों का भी है. लिहाजा अब डिमांड पहले से कम हो गई है.

जीएसटी की जटिल प्रक्रिया से उलझन

जीएसटी के बाद इन कारोबारियों को जीएसटी दाखिल करने में भी काफी परेशानी हो रही है. जीएसटी दाखिल करने की प्रक्रिया में हो रहे लगातार बदलाव से भी कारोबारी परेशान हैं. जीएसटी की जटिल प्रक्रिया ने इन कारोबारियों को परेशान कर दिया है. हालाकि इसके लिए इन लोगों ने एडवाइजर भी रख लिया है.

जेतपुर के ही रहने वाले मुकेश भाई मेर पेशे से एडवोकेट हैं, लेकिन, अब इन कारोबारियों को जीएसटी दाखिल करने में उनकी मदद कर रहे हैं. बतौर जीएसटी सलाहकार मुकेश भाई भी इन कारोबारियों की परेशानियों से दो-चार होते रहे हैं. फर्स्टपोस्ट से बातचीत में मुकेशभाई कहते हैं ‘एक जुलाई से जीएसटी लागू हुआ, लेकिन, नवंबर तक आते-आते इसमें कई बदलाव होते गए. इससे पहले से ही जटिल प्रक्रिया और जटिल हो गई. इसके अलावा वेबसाइट में भी फेरबदल होने से जीएसटी दाखिल करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.’

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पहले जीएसटी भरने के लिए चार तरह के फॉर्म भरने पड रहे थे. 3 B, GSTR-1, GSTR-2, और GSTR-3 फार्म भरने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन, अब 3 B और GSTR-1 ही दाखिल करना पड़ रहा है. कारोबारियों का मानना है कि बार-बार के बदलाव से काफी परेशानी हो रही है. कारोबारी किशोर भाई का कहना है कि ‘जीएसटी भरने के लिए केवल एक फॉर्म होना चाहिए जिससे कारोबारी इस बात को समझ सके वरना कारोबारी तो महज जीएसटी भरने में रह जाएगा तो फिर कारोबार क्या करेगा?’

राजकोट शहर में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. राजकोट में मूंगफली से तेल बनाने वाले प्लांट में भी कारोबारी जीएसटी से परेशान दिख रहे हैं. सौराष्ट्र इलाके में इस तरह के लगभग 200 प्लांट हैं, जहां जीएसटी के बाद कारोबार में कमी दिख रही है. सौराष्ट्र ऑयल मील एसोसिएशन (SOMA) के अध्यक्ष समीर भाई शाह कहते हैं ‘जीएसटी के चलते रिटेल मार्केट में डिमांड कम हो गई है, जिससे कारोबारियों में परेशानी बढ़ गई है.’

जेतपुर की साड़ी फैक्ट्री

चुनाव के वक्त बीजेपी की बढ़ी परेशानी

हालाकि गांधीनगर में अपनी रैली में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए जीएसटी की दर को घटाकर 18 से 5 फीसदी करने का फैसला किया था, तो उसके बाद थोड़ी राहत जरूर मिली है. इसे चुनाव के वक्त नाराजगी कम करने की कोशिश के तौर पर ही देखा गया था.

लेकिन, इसके बावजूद कारोबारी इस बात को मानते हैं कि यह मुद्दा चुनाव में बड़ा मुद्दा रहेगा. कांग्रेस की तरफ से लगातार नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा जा रहा है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इसे गब्बर सिंह टैक्स बताकर कारोबारी समाज की सहानुभूति लेने में लगे हैं. उन्हें इस बात की आस बढ़ गई है कि अबतक बीजेपी के साथ रहने वाले कारोबारियों को इस बार जीएसटी के जंजाल के वक्त अपने पाले में लाया जा सकता है.

लेकिन, बीजेपी जीएसटी को सरल टैक्स बता रही है. बीजेपी की तरफ से जीएसटी में जरूरी सुधार का प्रचार कर कारोबारियों को मनाने की कवायद भी हो रही है. राजकोट और जेतपुर इलाके में चुनाव पहले चरण में 9 दिसंबर को ही होने वाला है. लेकिन, कारोबारी किसको वोट देंगे इस सवाल पर वो अभी कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं. लेकिन, अबतक पूरी तरह से बीजेपी के साथ रहे कारोबारियों की नाराजगी को लेकर बीजेपी परेशान जरूर दिख रही है.