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सियासत की चाय और बयानों के बिस्किटों से कहीं बन न जाए ‘कांग्रेस-मुक्त भारत टी-स्टॉल’

यूथ कांग्रेस के भटकाव में बहते एक ट्वीट ने सियासत की चाय में न सिर्फ कड़वाहट घोलने का काम किया बल्कि उबाल भी ला दिया है

Kinshuk Praval

कांग्रेस शायद ये भूल गई कि आज अगर गुजरात के वडनगर में चाय की एक ख़ास दुकान को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की तैयारी की जा रही है तो उसकी असली वजह क्या है? दरअसल उस दुकान की ही वजह से आज कांग्रेस विपक्ष में बैठकर संसद में अपने सदस्यों और देश के राज्यों में अपनी सरकारों को उंगली पर गिन सकती है. उस दुकान ने न सिर्फ कांग्रेस बल्कि कई राजनीतिक पार्टियों के दफ्तरों पर हार का ताला जड़ा है. कभी उस दुकान पर चाय बेचने वाला एक शख्स आज सिर्फ पीएम ही नहीं वो ‘विश्व नेता’ में शुमार करता है.

इसके बावजूद यूथ कांग्रेस के भटकाव में बहते एक ट्वीट ने सियासत की चाय में न सिर्फ कड़वाहट घोलने का काम किया बल्कि उबाल भी ला दिया है. इंडियन यूथ कांग्रेस की ऑनलाइन मैगजीन ‘युवा देश’ के ऑफिशियल ट्वीटर अकाउंट से पीएम मोदी का मज़ाक उड़ाया गया. पीएम पद की गरिमा को ताक पर रख कर जिस अभ्रद भाषा का इस्तेमाल किया गया उससे युवा होती कांग्रेस की सोच एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई. सवालों के घेरे में राहुल के वो बयान भी आ गए जो उन्होंने चुनाव प्रचार के वक्त दिए थे.


यूथ विंग पर नहीं दिख रहा है राहुल की सोच का असर

राहुल कहते हैं कि वो प्रधानमंत्री पद का पूरा सम्मान रखते हैं. उन्होंने कभी पीएम पद का निरादर नहीं किया और वो पीएम की गरिमा का ध्यान रखते हैं. लेकिन उनकी सेना के युवा सिपहसलार उनके ही हालिया बयानों की धज्जियां अपने एक ट्वीट से उड़ा गए.

खासबात ये है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ताजपोशी की तैयारी में कांग्रेस जुटी हुई है. कांग्रेस को उम्मीद है कि युवराज के महाराज बनने के बाद न सिर्फ सौ साल से ज्यादा पुरानी कांग्रेस चिरयुवा हो जाएगी बल्कि उसके अच्छे दिन भी लौट आएंगे. इसकी वजह वो ये मानते हैं कि राहुल ने गुजरात चुनाव प्रचार में पीएम मोदी के खिलाफ अबतक का सबसे जोरदार हमला बोला है. लेकिन राहुल जिस कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालने जा रहे हैं उसी की यूथ विंग पर राहुल की सोच का कोई दबाव या असर दिखाई नहीं देता है.

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वरना ट्वीट से पहले राहुल के उन बयनों को जरूर तवज्जो दी गई होती जो उन्होंने पीएम मोदी के लिये दिया था. ज़ाहिर तौर पर कांग्रेस ने एक बार फिर उसी हारा-कीरी का नमूना पेश किया है जो साल 2014 के आम चुनाव के वक्त कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर के बयान के बाद हुआ था. मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि ‘मोदी कभी पीएम नहीं बन सकते हैं और उनके लिए एक चाय का स्टॉल लगा दिया जाएगा.’

कांग्रेस की यही आक्रमक प्रवृत्ति ही उसे ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की तरफ ले जाने का काम कर रही है.

एक तरफ राहुल अपने प्रचार में बीजेपी को मनुवादी बता कर केंद्र की सरकार को गरीब विरोधी बताते हैं तो दूसरी तरफ यूथ कांग्रेस ने अपने ट्वीट के जरिए गरीब परिवार पर भी निशाना साधा है.

कांग्रेस ने थमाया मोदी को एक और ब्रह्मास्त्र 

क्या देश की सत्ता पर गरीब परिवार का कोई हक नहीं है?  क्या देश की सबसे बड़ी और पुरानी राजनीतिक पार्टी में वंशवाद की तरह ही देश की सत्ता पर भी सिर्फ रसूखदार और अमीर परिवारों का ही हक है?  ये सवाल अब शायद पीएम मोदी अपनी जनसभाओं में जनता से पूछ सकते हैं. हालांकि इसका जवाब साल 2014 में ही जनता देश को दे चुकी है.

कुछ इसी तरह के बयान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की तरह से समय समय पर आते रहते हैं. बाद में यही बयान मोदी सरकार के लिए ब्रह्मास्त्र का काम कर जाते हैं.  इससे पहले पी चिंदबरम ने गुजरात की जमीन से कश्मीर में आज़ादी की मांग पर बयान देकर कांग्रेस को बैकफुट पर धकेल दिया था. जिसके बाद चिदंबरम पर पीएम मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस कश्मीर के मुद्दे पर आज़ादी की मांग कर रहे अलगाववादियों की भाषा बोल रही है.

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इसी तरह साल 2007 में गुजरात के नवसारी में एक रैली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘मौत का सौदागर’ शब्द का इस्तेमाल किया था. सोनिया का ये बयान ही मोदी की जीत का पक्की नींव रख गया था.

इस तरह के आक्रमणों से मजूबत हुए हैं पीएम मोदी 

यूपी चुनाव के वक्त भी राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर निशाना साधा था और ‘जवानों की खून की दलाली’ का आरोप लगा दिया था. लेकिन उस बयान के बाद कांग्रेस की जो यूपी में हालत हुई वो सब जानते हैं.

यहां तक कि कांग्रेस का हाथ थामने वाले समाजवादी पार्टी के नए मुखिया बने अखिलेश यादव भी ये मानते हैं कि उनसे न सिर्फ समर्थन लेने में भूल हुई बल्कि उन्हें भी बीजेपी के खिलाफ अभद्र बयान नहीं देने चाहिए थे. अखिलेश के रैली में बिगड़े बोल के बाद पीएम मोदी ने पूरे देश को बताया था कि वो चौबीसों घंटे किस तरह से देश और गरीबों के लिए काम करते हैं.

मोदी पर हमला करने वाले बार बार ये भूल जाते हैं कि उन पर जितना निजी प्रहार होगा वो उतने ही मजबूत बन कर उभरेंगे. विरोधियों के बयान ही मोदी के लिये कवच का काम करते हैं. इसके बावजूद एक एक कदम फूंक-फूंक कर रखने वाली कांग्रेस एक ही गलती को बार बार दोहराती है.

एक बार फिर कांग्रेस ने पीएम मोदी पर अभद्र ट्वीट कर गुजरात चुनाव में अपनी हार का ताबूत तैयार कर लिया है. भले ही यूथ कांग्रेस ने ट्वीट को डिलीट कर दिया लेकिन इतिहास गवाह है कि तरकश से निकला तीर कभी वापस नहीं लौटता. इस बार भी मोदी कांग्रेस के तीर को ही अपना ब्रह्मास्त्र बनाएंगे. गुजरात में मोदी की रैलियों का वक्त शुरू हो रहा है और हमलों के बाद अब जवाब का दौर शुरू होगा.