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गुजरात चुनाव 2017: अयोध्या विवाद को लेकर क्या सोचते हैं गुजरात के मुसलमान?

गुजरात के मुसलमानों को इस बात का डर सताने लगा है कि कहीं मंदिर मुद्दे पर जारी सियासत बीजेपी के लिए इस चुनाव में ‘प्राण-वायु’ ना साबित हो जाए

Amitesh

अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में हमारी मुलाकात इक्रा प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल नजीर खान पठान से हुई. मुस्लिम बहुल नरोदा पाटिया इलाके के इस छोटे से स्कूल को इस्लामिक रिलिफ कमेटी चलाती है. पहली से आठवीं तक के क्लास वाले इस स्कूल में इस वक्त लगभग 120 बच्चे हैं.

2002 के दंगों के वक्त नरोदा पाटिया इलाके में दहशत के बाद इलाके के लोगों ने बच्चों की तालीम के लिए एक अलग से स्कूल बनाई. जिसमें 2004 से पढ़ाई हो रही है. स्कूल चलाने में सबसे बड़ा योगदान करने वाले नजीम खान का गुस्सा मौजूदा बीजेपी सरकार को लेकर सामने आ जाता है. वो बातचीत के दौरान बोल पड़ते हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट में पांच दिसंबर को अयोध्या विवाद पर सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल की तरफ से जो दलील दी गई, उसके बाद अब बीजेपी वाले कहेंगे कि कांग्रेस ने राम मंदिर को रोक दिया है.’


पठान कहते हैं कि ‘ये मुद्दा गुजरात चुनाव के बीच मोदी-शाह के लिए प्राणवायु की तरह मिल गया है.’ 6 दिसंबर को ही अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के 25 साल पूरे हुए हैं. 6 दिसंबर के इस दिन को प्रिंसिपल पठान एक काले अध्याय के तौर पर देख रहे हैं. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान उनका कहना था कि ‘आज से 25 साल पहले जब ये घटना हुई थी तो उस वक्त हमने दो दिन तक खाना नहीं खाया था. लेकिन, आज 6 दिसंबर के दिन हम दुआ करेंगे.’

इक्रा स्कूल के प्रिंसिपल नजीर पठान

गुजरात चुनाव में उस घटना को याद कर एक बार फिर से नजीब पठान कहते हैं कि ‘हम इस बार अपना मत देकर इस बात का बदला लेंगे.’ दरअसल सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद को लेकर पांच दिसंबर को सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने एक वकील की हैसियत से जो टिप्पणी की उसको लेकर ही पूरा मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है.

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सिब्बल की तरफ से राम मंदिर विवाद में सियासत होने के डर का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट में पूरे मामले की सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव तक टालने की दलील दी गई थी. बीजेपी ने इस मुद्दे को लपक कर कांग्रेस से इस पूरे मामले में सफाई भी मांग दी है. कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर सफाई भी दी जा रही है. लेकिन, गुजरात में सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रही कांग्रेस के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर कुछ बोल पाना बेहद कठिन हो रहा है.

इक्रा स्कूल में पढ़ते मुस्लिम बच्चे

मुस्लिम समुदाय राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी की राजनीति को समझती है

गुजरात में चुनाव प्रचार करने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी भी इस मौके को भुनाने में पीछे नहीं रहे. गुजरात की एक रैली में पीएम मोदी ने कहा आखिर 2019 का आम चुनाव कांग्रेस लड़ेगी या सुन्नी वक्फ बोर्ड चुनाव लड़ेगा? पीएम मोदी ने कहा कि मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है कि वह (कपिल सिब्बल) एक पक्ष के पैरोकार हैं, लेकिन वह ये कैसे कह सकते हैं कि 2019 तक राम जन्मभूमि विवाद का कोई हल नहीं निकलना चाहिए?

हालांकि कांग्रेस ने इसके बाद अपने-आप को कपिल सिब्बल के बयान से अलग कर लिया. इसे एक वकील का मामला बताकर कांग्रेस ने पल्ला झाड़ने की पूरी कोशिश भी की. गुजरात चुनाव के पहले चरण की वोटिंग 9 दिसंबर को होनी है. लेकिन, उसके पहले इस पूरे विवाद ने राम मंदिर मुद्दे को गुजरात चुनाव में गरमा दिया है.

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नरोदा पाटिया इलाके के नजीर पठान को इसी बात का डर सता रहा है. उनको लगता है कि जिस तरह से बीजेपी की तरफ से इस मुद्दे को हवा दी जा रही है, इससे राहुल का ‘गेम प्लान’ खराब हो सकता है. राहुल गांधी के मंदिर-मंदिर जाने और किसी चुनावी सभा में मुस्लिम समाज का जिक्र तक नहीं करने के मुद्दे पर नजीब पठान का कहना है कि ‘राहुल को पता है कि मुस्लिम समाज उनके साथ ही खड़ा है. लेकिन, अगर किसी मस्जिद या मुस्लिम इलाके में वो जाते हैं और स्वागत के दौरान उनको अगर टोपी पहना दिया जाए तो फिर इसे बीजेपी के लोग बड़ा मुद्दा बना सकते हैं. इसी डर से वो मुस्लिम समाज का जिक्र नहीं कर रहे हैं.’

मुस्लिम समुदाय कांग्रेस की राजनीतिक मजबूरी समझती है

इक्रा स्कूल के सामने रहने वाले युवा कारोबारी यासीन भाई पाटिया को राहुल का यह अंदाज नागवार गुजर रहा है. यासीन भाई कहते हैं कि ‘राहुल गांधी जब हमलोगों का कोई जिक्र नहीं करते हैं तो अच्छा नहीं लगता है. लेकिन, हमें मजबूरी में उन्हें वोट देना है. अगर तीसरा कोई विकल्प होता तो हम उसके बारे में सोचते.’

इलाके के मुस्लिम कारोबारी. तस्वीर में बाएं यासीन भाई

दरअसल राहुल गांधी के जनेऊधारी होने का प्रमाण दे रही कांग्रेस को लगता है कि गुजरात चुनाव में सॉफ्ट हिंदुत्व के दम पर वो हिंदू वोटों को भी अपने साथ साध लेगी. जहां तक मुसलमानों का सवाल है तो वो हर हाल में उसी के साथ रहेंगे.

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यासीन का कहना था कि ‘चुनाव के वक्त इस मुद्दे को जानबूझ कर उठाया जा रहा है जिससे बीजेपी को फायदा हो.’ अमरनाथ यात्रा पर जा रहे गुजरात के तीर्थयात्रियों पर हुए हमले में शामिल आतंकवादियों के मारे जाने की खबर जब सामने आती है तो इसको लेकर भी यासीन सवाल खड़ा कर रहे हैं. उनको लगता है कि यह सब ध्रुवीकरण के लिए जानबूझकर प्रचारित किया जा रहा है.

कुछ इसी तरह की बात मुस्लिम बहुल दरियापुर इलाके में भी हो रही है. अहमदाबाद के दरियापुर में रहने वाले कारोबारी अब्दुल लतीफ मानते हैं कि ‘राहुल गांधी नहीं आते हैं लेकिन, मजहब के अंदर कांग्रेस दखल नहीं देती.’ लतीफ का कहना है कि ‘मंदिर मुद्दे को बार-बार उठाकर बीजेपी लोगों को बेवकूफ बनाती है.’

इलाके के मुस्लिम कारोबारी. तस्वीर के बीच में अब्दुल लतीफ

कांग्रेस पहले से ही फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. अहमद पटेल का इस बार चुनाव में लो-प्रोफाइल रहना, प्रचार अभियान में कम दिखना और जनेऊधारी राहुल का मंदिर-मंदिर चक्कर लगाना कांग्रेस की सोची समझी रणनीति का परिचायक है.

कांग्रेस ने अब तक कोई ऐसी गलती नहीं की है जिसे बीजेपी लपक सके. लेकिन, मंदिर मुद्दे पर बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलील को मुद्दा बनाने से बीजेपी अब नहीं चूक रही. पार्टी को लगता है कि इस मुद्दे के सहारे पार्टी वो सब कर पाएगी जो अब तक इस चुनाव में नहीं कर पा रही थी. लेकिन, गुजरात के मुसलमानों को इस बात का डर सताने लगा है कि कहीं मंदिर मुद्दे पर जारी सियासत बीजेपी के लिए इस चुनाव में ‘प्राण-वायु’ ना साबित हो जाए.