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एक्ट ईस्ट पॉलिसी: कितनी कारगर होगी मुख्यमंत्रियों के साथ सुषमा की बैठक ?

सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत हो रहे विकास का मकसद नॉर्थ-ईस्ट को दिल्ली के करीब लाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पद संभालने के बाद करीब 30 बार नॉर्थ-ईस्ट का दौरा कर चुके हैं

Amitesh

सरकार बनने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार नॉर्थ -ईस्ट राज्यों के विकास पर जोर रहा है. पश्चिमी भारत की तुलना में पूर्वी भारत में पिछड़ेपन के मुद्दे को उठाकर वो लगातार बराबरी पर लाने की बात भी करते रहे हैं. बाकायदा पूर्वी भारत और खासतौर से नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में विकास को लेकर सरकार की तरफ से कई योजनाओं पर काम हो रहा है. नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए एक अलग मंत्रालय भी बनाकर सरकार उस दिशा में काम कर रही है.

1990 में पी.वी नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री बनने के बाद लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत काम करना शुरू किया था. अब मोदी एक कदम आगे बढ़कर एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर आगे बढ़ने की वकालत कर रहे हैं.


एक्ट ईस्ट पॉलिसी के अंतर्गत ही शुक्रवार 4 मई को नॉर्थ ईस्ट के सभी सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों की दिल्ली में बैठक होने जा रही है, जिसमें इन सभी राज्यों में विकास की धार को और तेज करना है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ हो रही इस बैठक में कोशिश नॉर्थ ईस्ट के विकास के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व एशिया (आसियान) के देशों और बे ऑफ बंगाल (BIMSTEC) के देशों के साथ व्यापार को और बेहतर करने पर होगी.

आसियान और BIMSTEC देशों के साथ नॉर्थ-ईस्ट राज्यों की सीमा लगती है. लिहाजा नॉर्थ ईस्ट राज्यों के साथ व्यापार करना काफी आसान होगा. इस इलाके से आसियान और BIMSTEC के साथ कनेक्टिविटी बेहतर करने पर सरकार का जोर है. भारत-म्यांमार-थाईलैंड सड़क पर काम हो रहा है. इसके बन जाने के बाद भारत से म्यांमार और थाईलैंड समेत आसियान कई देशों तक व्यापार आसान हो जाएगा.

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सूत्रों के मुताबिक, इस वक्त भारत के साथ आसियान देशों के साथ व्यापार 70 बिलियन डॉलर के आस-पास है. लेकिन, इस पूरे व्यापार का मात्र एक फीसदी ही हिस्सा नॉर्थ ईस्ट से होकर गुजरता है. लेकिन, कनेक्टिविटी बेहतर होने के बाद इस इलाके में भी विकास होगा और आसियान के साथ व्यापार का रास्ता इन राज्यों से होकर गुजरने पर पूरे नॉर्थ-ईस्ट की कायापलट हो सकेगी.

बैठक में कौन-कौन से होंगे मुद्दे ?

विदेश मंत्री के साथ हो रही इस बैठक में नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्य अपने-अपने मुद्दे और समस्याओं को उठाने की तैयारी में हैं. सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए राज्य असम, त्रिपुरा और मेघालय पड़ोसी देश के साथ आ रही परेशानी को उठाने की तैयारी में हैं.

खासतौर से त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में बनी नई सरकार को इस इलाके में विकास को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गए अबतक के कदम और आगे की रणनीति को अवगत कराना भी है.

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देब भी इस बैठक में मौजूद रहने वाले हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान बताया ‘बिप्लव देब चिटगांव बंदरगाह से कनेक्टिविटी, बांग्लादेश से त्रिपुरा को जोड़ने वाली रेल परियोजना और बांग्लादेश के साथ मैत्री बस के कस्टम क्लीयरेंस को आधुनिक बनाने की मांग उठा सकते हैं. फिलहाल बांग्लादेश बॉर्डर पर कस्टम क्लीयरेंस में तीन से चार घंटे लग जाते हैं.’

‘त्रिपुरा से बांग्लादेश जाने वाली बस सर्विस का किराया भी 1800 से ज्यादा है लिहाजा लोग फ्लाइट से जाना पसंद करते हैं. क्योंकि उन्हें 2500 से 3000 तक में फ्लाइट की सुविधा मिल जाती है. मुख्यमंत्री अब इस बस किराए को व्यावहारिक करने की मांग करने वाले हैं.’

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सूत्रों के मुताबिक, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देब इस बैठक के दौरान अनानास, रबर और बांस के उत्पादों को सीधे त्रिपुरा से ही बांग्लादेश भेजे जाने की मांग करेंगे, क्योंकि अभी बंगाल से ऐसा करना पड़ता है, त्रिपुरा को इस तरह की सुविधा नहीं मिली हुई है.

देब की तरफ से गोमती नदी में ड्रेजिंग करने के परमिशन को लेकर भी चर्चा हो सकती है. ड्रेजिंग होने के बाद छोटे जहाजों से समुद्र के रास्ते भी व्यापार करना संभव हो पाएगा.

पिछले महीने की 9 से 11 तारीख के बीच त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में नीति आयोग के नॉर्थ-ईस्ट राज्यों के फोरम में भी यह मुद्दा उठा था. जिसमें सभी मुख्यमंत्रियों ने पड़ोसी देशों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी पर जोर दिया था.

बीजेपी के  एजेंडे में नॉर्थ-ईस्ट सबसे उपर

मोदी सरकार के एजेंडे में नॉर्थ-ईस्ट सबसे ऊपर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पद संभालने के बाद करीब 30 बार नॉर्थ-ईस्ट का दौरा कर चुके हैं. इसके अलावा उनकी सरकार के किसी ना किसी मंत्री का हमेशा नॉर्थ-ईस्ट पहुंचना लगा रहता है. सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत हो रहे विकास का मकसद नॉर्थ-ईस्ट को दिल्ली के करीब लाना है.

लेकिन, इसके पीछे भी कहानी बीजेपी के विस्तार की भी है. दक्षिण और नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी का आधार काफी कम रहा है. मोदी-शाह की कोशिश इन इलाकों में अपनी पैठ बढ़ाने की भी है. सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का असर दिख भी रहा है. असम, मणिपुर, त्रिपुरा समेत धीरे-धीरे बीजेपी नॉर्थ-ईस्ट में अपना पैर जमाने लगी है. ये सभी वो राज्य हैं जहां बीजेपी के लिए सत्ता में पहुंचना किसी सपने से कम नहीं था. लेकिन, अब यह सपना एक-एक कर हकीकत में तब्दील हो रहा है. अब बीजेपी को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी यहां से काफी उम्मीदें हैं. एक्ट ईस्ट पॉलिसी कितनी सफल रही, इसका पैमाना 2019 का चुनाव परिणाम हो सकता है.