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लोहिया के नाम पर राजनीति करने से पहले जान लीजिए ये किस्सा

डॉ.लोहिया के नाम पर राजनीति करने वालों की उत्तर प्रदेश में भरमार है

Surendra Kishore

समाजवादी नेता डॉ.राम मनोहर लोहिया ने 1964 में ‘टाइम’ मैगजीन पर मानहानि का मुकदमा कर दिया था. डॉ.लोहिया की शिकायत थी कि ‘टाइम’ ने नेहरू परिवार के बारे में मेरे मुंह में ऐसी बातें डाल कर छाप दी जो मैंने कही ही नहीं थी. यहां तक टाइम संवाददाता ने ऐसा लिखने से पहले मुझसे मुलाकात भी नहीं की थी.

डॉ. लोहिया ने दिल्ली के सीनियर सब जज की अदालत में अमेरिकी समाचार साप्ताहिक ‘टाइम’ के संपादक, मुद्रक, प्रकाशक और नई दिल्ली स्थित संवाददाताओं के खिलाफ मानहानि का दावा किया और दस पैसे के हर्जाने की मांग की.


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याद रहे कि ‘टाइम’ के 4 दिसंबर 1964 के संस्करण में उत्तर प्रदेश के फूलपुर लोकसभा उप चुनाव के संबंध में समाचार प्रकाशित हुआ था. समाचार में यह लिखा गया था कि डॉ.लोहिया नेहरू परिवार के ‘आजीवन शत्रु’ हैं. इसी कारण वह विजया लक्ष्मी पंडित के खिलाफ चुनाव प्रचार करने गये थे.

जवाहर लाल नेहरू

याद रहे कि मई ,1964 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद फूलपुर में उप चुनाव हुआ था. उप चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार विजया लक्ष्मी पंडित थीं. वह जवाहर लाल नेहरू की बहन थीं. तब वह उप चुनाव जीत गयीं थीं.

इंदिरा गांधी की विरोधी हुई थी उनकी बुआ

सन् 1890 में जन्मीं स्वतंत्रता सेनानी पंडित पहली बार 1937 में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बनीं थीं. बाद में वह देश और विदेश में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं. पर, उन्होंने 1975 में लागू आपातकाल का घोर विरोध किया था.

आपातकाल की पृष्ठभूमि में हुए सन् 1977 के लोक सभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरुद्ध विजयालक्ष्मी पंडित ने देश भर में चुनाव प्रचार किया था.

सन् 1964 के चुनाव प्रचार को लेकर पत्रिका ने यह भी लिखा था कि ‘डॉ. राम मनोहर लोहिया ने मतदाताओं से अपील की थी कि वह श्रीमती पंडित की सुंदरता के जाल में न फंसें. उनके अंदर विष है.

विजया लक्ष्मी पंडित

पत्रिका के अनुसार उन्होंने मतदाताओं से यह भी कहा था कि श्रीमती पंडित की युवावस्था जैसी सुंदरता इसीलिए कायम है कि उन्होंने यूरोप में प्लास्टिक सर्जरी कराई थी.

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डॉ.लोहिया ने अदालत में पेश अपने आवेदन पत्र में कहा था कि टाइम में प्रकाशित उक्त सभी बातें मनगढंत हैं और मुझे बदनाम करने के इरादे से इस तरह की कुरूचिपूर्ण बातें मुझ पर आरोपित की गयी हैं.

लोहिया के अनुसार टाइम ऐसे कट्टरपंथी और दकियानूसी तत्वों का मुखपत्र है जिन्हें मेरी समतावादी और लोकतंत्रीय नीतियां पसंद नहीं हैं.

डॉ.लोहिया की यह भी शिकायत थी कि टाइम के नई दिल्ली स्थित संवाददाताओं ने , जो उक्त समाचार भेजने के लिए जिम्मेदार हैं, मुझसे कभी भेंट नहीं की.

ये संवाददाता स्थानीय भाषा भी नहीं जानते. इसलिए मेरे भाषण की उन्हें सीधी जानकारी भी नहीं हो सकती थी.

अपने साथियों के साथ राम मनोहर लोहिया (बाएं)

डॉ.लोहिया ने नेहरू परिवार के प्रति शत्रुता के आरोप का भी खंडन किया और कहा कि मैंने कांग्रेसी शासन और दिवंगत प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जब भी आलोचना की,तो नीति और सिद्धांत के प्रश्नों पर ही की. किसी निजी द्वेष के आधार पर नहीं.

डॉ.लोहिया ने अदालत से कहा था कि पत्रिका ने समाचार को वापस लेना या उसके खंडन में मेरा वक्तव्य प्रकाशित करना स्वीकार नहीं किया है. इसीलिए अदालत की शरण लेनी पड़ी है.

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बाद में इस केस का क्या हश्र हुआ,यह पता नहीं चल सका. कुछ ही समय बाद सन 1967 में डॉ.लोहिया का असामयिक निधन हो गया.

इन दिनों उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार में कई नेता जिस तरह एक दूसरे के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, वैसे में डॉ.लोहिया से संबंधित इस प्रकरण की चर्चा मौजूं है.

डॉ.लोहिया के नाम पर राजनीति करने वालों की उत्तर प्रदेश में भरमार है. पर खुद डॉ.लोहिया की ऐसे मामले में क्या राय थी, वह उस पत्रिका के खिलाफ उनकी कार्रवाई से साफ है.