पाकिस्तान को झूठा और धोखेबाज बताने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट पर पाकिस्तान में हंगामा मचा है. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस साल के अपने पहले ट्वीट में पाकिस्तान की जिस तरह जमकर खिंचाई की, उस पर बवाल होना ही था.
पाकिस्तानी मीडिया तो आग बबूला हो गया है कि भला एटमी ताकत से लैस उसके देश को किसी ने कैसे झूठा और मक्कार कह दिया. दरअसल ट्रंप ने अपने ट्वीट में कहा था कि अमेरिका ने पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर दिए लेकिन बदले में उसे झूठ और धोखेबाजी के सिवाय कुछ न मिला.
पाकिस्तान में आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह मिलने के आरोपों को पाकिस्तान की सरकार और मीडिया बेबुनियाद बताते हैं, लेकिन ट्रंप के ट्वीट से साफ है कि अमेरिका को इन बातों पर कतई भरोसा नहीं हैं.
ट्रंप के ट्वीट के बाद जहां पाकिस्तानी मीडिया में अमेरिका को सख्त संदेश देने की बातें उठ रही हैं, वहीं पाकिस्तानी अखबारों के लिए यह फिर एक बार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की तथाकथित कुरबानियों का ढिंढोरा पीटने का मौका है.
नाकामी की ठीकरा
‘जंग’ लिखता है कि ट्रंप के ट्वीट में पाकिस्तान पर बेबुनियाद आरोपों की बौछार को अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ शर्मनाक विफलताओं पर अमेरिका की झुंझलाहट करार दिया जा सकता है.
ये भी पढ़ेंः भारत के पैसों पर पलने वाले आतंकवादी असल समस्या
अखबार कहता है कि पाकिस्तान पर आरोप लगाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति यह भूल गए कि जिन डॉलरों की वह बात कर रहे हैं वे अमेरिका ने पाकिस्तान को किसी खैरात में नहीं दिए, बल्कि उन सेवाओं और सुविधाओं के मुआवजे के तौर पर अदा किए गए जो पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ नाकाम जंग में अमेरिका को मुहैया कराईं.
अखबार के मुताबिक यह अलग बात है कि पाकिस्तान खुद इस जंग में निशाना बन गया और उसे 70 हजार जानों और एक खरब 30 हजार डॉलर का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा.
अखबार लिखता है कि राष्ट्रपति ट्रंप का एजेंडा ही असल में मुस्लिम दुनिया की शिकस्त और उसे नुकसान पहुंचाना है. अखबार के मुताबिक येरुशलम पर उनके फैसले को 128 देश खारिज कर चुके हैं जिसके बाद वह अब ईरान को धमका रहे हैं और पाकिस्तान उनकी आंखों में इसलिए खटक रहा है क्योंकि वह एक एटमी ताकत है और आर्थिक ताकत बनने के लिए पाक-चीन आर्थिक कोरिडोर परियोजना पर काम हो रहा है.
अखबार के मुताबिक अमेरिका अपनी साजिशों में कामयाब नहीं होगा क्योंकि सरकार हो या विपक्ष, सेना हो जा जनता, पूरी कौम अपने देश की आजादी और खुदमुख्तारी की रक्षा के लिए एकजुटा है और होना भी ऐसा ही चाहिए.
‘नवा ए वक्त’ ने ट्रंप के इस दावे पर सवाल उठाया है कि अमेरिका ने पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर दिए. अखबार कहता है कि खुद अमेरिकी कांग्रेस की एक रिसर्च सर्विस ने अपनी रिपोर्ट में 33 अरब डॉलर के दावे को खारिज कर दिया है.
ये भी पढ़ेंः पाकिस्तान को बस चीन और एटम बमों का सहारा
अखबार के मुताबिक रिपोर्ट में ट्रंप प्रशासन को बताया गया है कि 2002 से अब तक अमेरिका ने पाकिस्तान को सिर्फ 19 अरब डॉलर की ग्रांट दी है जिसमें 14 अरब 50 करोड़ डॉलर सहायता के तौर पर नहीं बल्कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में हुए खर्चों को पूरा करने के लिए दिए गए हैं.
अखबार लिखता है कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में फ्रंट लाइन सहयोगी होने के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 120 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. अखबार की टिप्पणी है कि समय आ गया है जब अमेरिका को पाकिस्तान के खुदमुख्तार एटमी ताकत से लैस देश होने का अहसास कराया जाए.
संयम का इम्तिहान
वहीं इस मुद्दे पर ‘एक्सप्रेस’ का संपादकीय है- ट्रंप का ट्वीट, कौम की सामूहिक समझदारी का इम्तिहान. अखबार कहता है कि ट्रंप के हर कदम में एक वहशियाना रोडमैप होता है और उसे पाकिस्तानी हुकमरानों को बहुत संयम और सब्र के साथ समझना होगा. अखबार की राय में, ट्रंप बौखलाहट का शिकार नहीं हैं बल्कि एक माहिर कारोबारी और शिकारी के तौर पर अपने शिकार पर झपटने के बहाने और मौके की तलाश में हैं.
अखबार कहता है कि अब जबकि अमेरिका की दक्षिण एशिया नीति की बिल्ली और ट्रंप के आरोपों का जिन बोतल से बाहर आ गया है तो सत्ता में बैठे लोगों के सामने देश की खुदमुख्तारी और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा का सबसे बड़ा इम्तिहान है और अमेरिका को साफ साफ बता दिया जाए कि वह होश से काम ले.
दूसरी तरफ ‘औसाफ’ ने अमेरिकी राष्ट्रपति को गलतफहमियों का शिकार बताया है जिनकी धमकियों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है. अखबार लिखता है कि यह पहला मौका है जब किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष ने इस तरह ट्वीट कर पाकिस्तान को धमकी दी है और राजनयिक शिष्टाचार की धज्जियां उड़ा दी हैं.
ये भी पढ़ेंः इस साल भारत ने 1300 बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया है
अखबार कहता है कि भारत ने ट्रंप के बयान को अपनी राजनयिक जीत करार दिया है जिससे साफ है कि इसके पीछे भारतीय लॉबी ही काम कर रही है. अखबार ने ट्रंप के बयान को अमेरिकी की तिलमिलाहट बताया है क्योंकि पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ हर तरह के सहयोग से इनकार कर दिया है और उसकी तरफ से डाले जा रहे दबाव पर ध्यान देना बंद कर दिया है.
ध्यान दे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी
‘वक्त’ लिखता है कि अमेरिकी नेतृत्व के हालिया कदमों से स्वाभाविक सवाल उठता है कि अमेरिका पाकिस्तान का दोस्त है या दुश्मन? अखबार के मुताबिक जरूरत इस बात की है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अमेरिकी राष्ट्रपति के बेलगाम घोडों को लगाम देते हुए अमेरिका के आक्रामक कदमों को पुनरावृत्ति ना होने दे. अखबार कहता है कि अगर अमेरिकी नीतियों में संतुलन नहीं रहा तो फिर उससे दुनिया की सुपर पावर होने का रुतबा छिन भी सकता है और फिर तीसरे विश्व युद्ध के खतरे को भी खारिज नहीं किया जा सकता.