राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है, लेकिन इसका यह दुर्भाग्य है कि आगामी निगम चुनाव में यही प्रदूषण कोई बड़ा मुद्दा नहीं है.
किसी भी प्रमुख पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में नहीं बताया है कि देश के दिल में फैले प्रदूषण से वह कैसे निपटेगी.
दिल्ली के नगर निगम चुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच है.
दिल्ली में भले ही आप की सरकार है, लेकिन शहर के तीन नगर निगम में से एक पर भी उसका नियंत्रण नहीं है और तीनों पर बीते 10 वर्षो से बीजेपी काबिज है.
वायु प्रदूषण ने निपटने की कोई योजना नहीं
तीनों पार्टियों ने सत्ता में आने पर कूड़ा भंडारण स्थलों को हटाने का वादा किया है, लेकिन किसी के पास दिल्ली में वायु प्रदूषण रोकने की कोई प्रभावी योजना नहीं है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वादा किया है कि अगर उनकी आम आदमी पार्टी सत्ता में आई, तो वह दिल्ली को स्वच्छ और गंदगी रहित करेंगे. लेकिन, पार्टी ने वायु प्रदूषण से निपटने के बारे में कुछ खास नहीं बताया है.
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दिल्लीवासी बीते साल एक नवंबर से लेकर नौ नवंबर के बीच छाई भयानक धुंध को अभी तक नहीं भूले होंगे, जब दिवाली के बीच वायु की गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक स्तर तक पहुंच गई थी और इसे दो सदी के दौरान सबसे बदतर बताया गया था.
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधुरी ने आईएएनएस से कहा, 'प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अपशिष्ट, निर्माण, ध्वंस, वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही और लैंडफिल के प्रबंधन में नगर निकाय की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है.'
उन्होंने कहा कि चुनावी घोषणापत्रों में प्रदूषण के मुद्दे को और अधिक दृढ़ता से शामिल करना चाहिए था, क्योंकि यह उस पार्टी के लिए भविष्य की रूपरेखा बताता है, जिसे वोट देकर सत्ता सौैंपी जाएगी.
'स्वच्छ दिल्ली' और 'हरित दिल्ली' का सपना कैसे होगा पूरा?
दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने को लेकर परिवहन के लिए अॉड-ईवन योजना लाने वाली आप ने 'स्वच्छ दिल्ली' की बात तो की है, लेकिन हरित दिल्ली को पूरी तरह नजरअंदाज किया है.
वहीं, बीजेपी के घोषणापत्र में मात्र यह कहा गया है कि वह प्रदूषण कम करने के लिए और अधिक पेड़ लगाएगी.
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यमुना बायोडाइवर्सिटी पार्क (वाईबीपी) के वैज्ञानिक प्रभारी फैयाज ए. खुदसर ने आईएएनएस से कहा, 'ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना ही काफी नहीं है. उन पेड़ों को लगाने पर विचार करना चाहिए, जो वातावरण में बेहतर तरीके से सुधार ला सकते हैं.'
खुदसर ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को स्वच्छ दिल्ली के साथ हरित दिल्ली पर भी जोर देना चाहिए था, क्योंकि पेड़ तथा पौधे वायु प्रदूषण को कम करने, धूल और अन्य सूक्षमजीवों को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं.
यमुना के उद्धार के बिना दिल्ली का उद्धार नहीं
सभी पार्टियों द्वारा अपने घोषणापत्र में जल प्रदूषण को पूरी तरह नजरअंदाज करने पर खुदसर ने कहा कि राजधानी की जीवनरेखा यमुना और अन्य जलाशयों को स्वच्छ किए बिना शहर में सुधार नहीं हो सकता.
वैज्ञानिक ने कहा, 'नदी जीवनदायिनी प्रणाली होती है.' उन्होंने कहा कि पार्टियों का यह स्पष्ट एजेंडा होना चाहिए कि गंदी नालियां यमुना नदी में न गिरें.
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पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकार (ईपीसीए) के अध्यक्ष भूरे लाल ने कहा कि अपशिष्ट उत्पादों की रिसाइक्लिंग पूरी तरह नगर निगम के जिम्मे है.
लाल ने कहा कि पार्टियों को यह बताना चाहिए था कि अपशिष्ट प्रबंधन को वह किस प्रकार आगे बढ़ाएंगी. उन्होंने कहा, 'सारी चीजों की रिसाइक्लिंग हो सकती है. पार्टियां अपशिष्ट पदार्थों का किस प्रकार रिसाइक्लिंग करने जा रही हैं? ये सारी चीजें घोषणापत्र में शामिल करनी चाहिए थीं.'
सिर्फ स्वराज इंडिया ने प्रदूषण को बनाया है मुद्दा
रॉय चौधुरी ने कहा कि पार्टियों को एमसीडी चुनावों में कूड़ों को जलाने पर नियंत्रण लगाने को लेकर उसका रिसाइक्लिंग करने और कूड़ों को अलग करने के लिए एक रणनीति के साथ आना चाहिए था.
उन्होंने कहा, 'कूड़ों को जलाने पर कानूनी पाबंदी है. लेकिन बढ़िया अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की कमी से इसे लागू करना कठिन हो गया है.'
पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई, तो वह दो वर्ष में दिल्ली में सभी कूड़ा घर को बंद करना सुनिश्चित करेगी. लेकिन शब्द 'प्रदूषण' पार्टी के घोषणापत्र से गायब है.
नवगठित राजनीतिक पार्टी स्वराज इंडिया ने जरूर प्रदूषण के मुद्दे को उठाया है. पार्टी ने 'महामारी रहित, कचरा मुक्त और प्रदूषण मुक्त दिल्ली' का वादा किया है.
लोकल सर्किल सिटिजन द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है कि लोग चाहते हैं कि नगर निगम चुनाव में सफाई का मुद्दा सर्वोच्च प्राथमिकता में हो.