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मोदी के लिए भाग्यशाली हैं मणिशंकर अय्यर, पहले ‘चायवाला’ कह कर बनवाया पीएम अब जिताएंगे गुजरात भी!

मणिशंकर अय्यर अपने ही बयानों के इतिहास से सबक लेने के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने ही मोदी के लिए ‘चायवाला’ शब्द का इस्तेमाल कर कांग्रेस को ‘इतिहास’ बनाने का काम किया

Kinshuk Praval

गुजरात की चुनावी राजनीति में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की पीएम मोदी पर फिसली जुबान कांग्रेस का जायका खराब कर सकती है. मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी पर टिप्पणी करते हुए ‘नीच’ शब्द का इस्तेमाल किया था. जिसके बाद सूरत में चुनाव प्रचार के वक्त मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि ‘हमने इनसे ऐसे बहुत अपमान सहे हैं. ये 'मुगल मानसिकता' का प्रतीक है. हमारा जवाब बैलेट बॉक्स के जरिए सामने आएगा’.

आज के दौर में मोदी पर व्यक्तिगत तौर पर हमला करने का मतलब है उन्हें और मजबूत करना. लेकिन मणिशंकर अय्यर अपने ही बयानों के इतिहास से सबक लेने के तैयार नहीं हैं. उन्होंने ही मोदी के लिए ‘चायवाला’ शब्द का इस्तेमाल कर कांग्रेस को ‘इतिहास’ बनाने का काम किया. अब जब कि गुजरात में कांग्रेस सारे समीकरण बिठाकर और फॉर्मूले सेट कर कांग्रेस ‘लोकल बॉय’ यानी हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश के जरिए पीएम मोदी पर हमले करने की रणनीति पर काम कर रही है तो मणिशंकर अय्यर दिल्ली में बैठ कर पीएम मोदी को गुजरात जीत का मंत्र दे गए.


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पीएम मोदी ने अय्यर के बयान को निशाना बनाते हुए एक तीर से दो शिकार किए. एक तरफ उन्होंने कहा कि बैलेट बॉक्स इसका जवाब देगा तो दूसरी तरफ उन्होंने 'मुगल मानसकिता' का प्रतीक बताते हुए राहुल और औरंगजेब कनेक्शन को भी मजबूत कर दिया. क्योंकि कुछ ही दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद पर राहुल की ताजपोशी पर भी मणिशंकर अय्यर के बयान ने मोदी को न सिर्फ वंशवाद के मामले में कांग्रेस को घेरने का मौका दे दिया बल्कि गांधी परिवार को भी उन्होंने मुगलों के बराबर खड़ा कर दिया था.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अध्यक्ष पद का पर्चा भरने पर मणिशंकर अय्यर ने कहा था, 'जब शाहजहां ने जहांगीर की जगह ली थी क्या तब चुनाव हुए थे? जब औरंगजेब ने शाहजहां की जगह ली तब चुनाव हुए? यह सब जानते हैं कि जो बादशाह है उसकी संतान को सत्ता मिलेगी.'

अय्यर का यही बयान कांग्रेस पर उल्टा पड़ा और मोदी ने राहुल की ताजपोशी को औरंगजेब राज बता कर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला था.

गुजरात चुनाव में बाबर-खिलजी भी मौजूद

गुजरात की चुनावी राजनीति में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद का मुद्दा तक गरमा चुका है और ऐसे में बाबर, खिलजी, औरंगजेब जैसे नाम कांग्रेस को घेरने का काम कर रहे हैं.

गुजरात की राजनीति में जाति के शतरंज पर शह और मात का खेल बेहद ही करीने से खेला जा रहा है. एक गलत चाल भी सांप-सीढ़ी के खेल की तरह 99 से शून्य पर ला सकती है. एक तरफ पटेलों के लेकर बीजेपी में चिंता बढ़ रही है तो दूसरी तरफ दलित और आदिवासी वोटबैंक पर भी सेंध दिखाई देने लगी है. ऐसे में हिंदुत्व ही एक वो धारा है जो सबको साथ बहा कर ले जाने का काम कर सकती है जिसे ध्रुवीकरण कहते हैं.

कांग्रेस की बार-बार कोशिश है कि किसी भी तरह किसी भी मुद्दे की वजह से बस ध्रुवीकरण न हो. इसी लिए खासतौर पर राहुल के सॉफ्ट हिंदुत्व का इस्तेमाल किया गया है. राहुल को 'जनेऊधारी' बताया जा रहा है तो मंदिरों में उनको आशीर्वाद लेने भेजने के पीछे संदेश दिया जा रहा है कि कांग्रेस हिंदूविरोधी और मुस्लिम परस्त नहीं है. कांग्रेस की इसी रणनीति के चलते इस बार जाति के समीकरणों में उलटफेर की संभावना दिखाई दे रही है. लेकिन मणिशंकर अय्यर के ‘बयान पार्ट वन’ और ‘बयान पार्ट टू’ बीजेपी के लिए वोटों के ध्रुवीकरण का रास्ता तैयार कर रहे हैं.

हाल के ही ओपनियन पोल में बीजेपी और कांग्रेस के वोट शेयर भी बराबर होने का दावा किया गया है. हालांकि राज्य में बीजेपी की सरकार बनना तय है लेकिन कम सीटें मिलने से साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की प्रतिष्ठा पर आंच आ सकती है. ऐसे में बीजेपी पर तय रणनीति के तहत कांग्रेस के हमलों को मणिशंकर अय्यर अकेले अपने दम पर नाकामयाब करने में जुटे हुए हैं.

एक दिन ही पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गुजरात के पार्टी प्रभारी अशोक गहलोत ने कहा था कि ‘पीएम मोदी और उनकी पार्टी राहुल गांधी पर जितने हमले करेंगे, कांग्रेस की जीत उतनी आसान होती जाएगी.’ इसके बावजूद मणिशंकर अय्यर अपनी जुबान से पीएम मोदी को हमला करने के लिए सिर्फ शब्द नहीं बल्कि पूरा का पूरा शब्दकोश दे चुके हैं.

मणिशंकर अय्यर को 'सेल्फ-गोल' की पुरानी आदत

बड़ा सवाल ये है कि ऐसे में कांग्रेस पीएम मोदी के हमलों का जवाब कैसे दे जबकि उनकी सेना की तरफ से तोपची अपना ही किला ढहाने का काम कर रहा हो.

तस्वीर: कपिल सिब्बल के फेसबुक वाल से

कुछ ऐसा ही बवाल कांग्रेसी नेता और राम जन्म भूमि-मस्जिद विवाद के मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने दिया था. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र फैसला साल 2019 के बाद सुनाए. जाहिर तौर पर कपिल सिब्बल का ये बयान हिंदुओं की मानसिकता को आघात पहुंचाने के लिए सियासी दांव साबित हो सकता है. सिब्बल के बयान की वजह से ही कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा और मोदी-शाह ने गुजरात में कांग्रेस से सवाल पूछा कि वो राम मंदिर पर अपना रुख साफ करें और बताए कि मंदिर-मस्जिद मामले में फैसला टालने के पीछे मंशा क्या है?

बहरहाल मणिशंकर अय्यर के बयान से सिर्फ पीएम मोदी ही आहत नहीं हुए हैं बल्कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी डगमगा गए. उन्होंने ट्वीट कर बयान की निंदा की है. राहुल जानते हैं कि जितनी मेहनत से वो गुजरात में अपनी वोटों की फसल उगाने की कोशिश कर रहे हैं उतनी ही शिद्दत से मणिशंकर अय्यर उन फसलों पर आग लगाने का काम कर रहे हैं.

दरअसल गांधी परिवार की भक्ति में कांग्रेसी अपने बयानों से हमेशा सुरों का सप्तम लगाते आए हैं. उन्हें इसकी परवाह नहीं होती कि उनके बयानों के नतीजे क्या होंगे? उनकी कोशिश रहती है कि किसी भी तरह उनके दिल की आवाज़ की गूंज गांधी परिवार के आखिरी कोने तक पहुंच जाए. इसी कोशिश में मणिशंकर अय्यर को पीएम मोदी सॉफ्ट टारगेट लगते हैं लेकिन इतिहास गवाह है कि मोदी पर कांग्रेस के हमलों का निशाना जब चूकता है तो बीजेपी की ही सरकार बनती है. साल 2007 में गुजरात के नवसारी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनाव प्रचार के वक्त मोदी के खिलाफ 'मौत का सौदागर' जैसे शब्द का इस्तेमाल किया था. उसके बाद जिस तरह से गुजरात में बाज़ी पलटी उससे कांग्रेस गुजरात में कभी उबर नहीं सकी. अब एक बार फिर पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस की व्यक्तिगत टिप्पणियां बीजेपी के तरकश में तीर बढ़ाने का काम कर रही है.