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16वीं लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सांसद और इंदिरा के तीसरे 'बेटे' को कांग्रेस ने सौंपी है मध्य प्रदेश की कमान

कमलनाथ के लिए छिंदवाड़ा में प्रचार करने पहुंची इंदिरा गांधी ने कहा था कि मैं अपने तीसरे बेटे के लिए आपलोगों से वोट मांगने आई हूं

Abhishek Tiwari

कई दौर चली बैठकों और चर्चाओं के बाद कांग्रेस ने मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ के नाम पर अंतिम मुहर लगाई है. इस बार का विधानसभा चुनाव पार्टी ने कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा था. कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में पार्टी के संगठन में बदलाव करने की सोची और इसकी शुरुआत उन्होंने की अप्रैल में कमलनाथ को अध्यक्ष बनाकर. कमलनाथ ने राहुल गांधी के फैसले को सही कर दिखाया और पार्टी को 15 साल बाद राज्य की सत्ता में लेकर वापस आए.

कमलनाथ अभी देश के सबसे वरिष्ठ सांसद हैं. वे 9वीं बार छिंदवाड़ा से सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे हैं. कमलनाथ को गांधी परिवार का करीबी माना जाता है और सीएम के फैसले पर उनके नाम पर अंतिम मुहर लगना भी इस बात को सही साबित कर रहा है. कमलनाथ, दून स्कूल में संजय गांधी के सहपाठी रह चुके हैं. एक समय में विपक्ष कमलनाथ पर 'संजय के छोकरे' कह कर हमला किया करता था.


राजनीतिक जीवन की शुरुआत

1946 में कानपुर के एक बिजनेस फैमिली में जन्मे कमलनाथ ने देश के प्रतिष्ठित दून स्कूल ने पढ़ाई की है. यहां पर उनकी मुलाकात संजय गांधी से हुई और फिर दोनों काफी करीबी बन गए. दोस्ती स्कूल के बाद भी कायम रही लेकिन कमलनाथ राजनीति में नहीं आए. जब कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी और आपातकाल के बाद पहली बार सत्ता से बाहर हुई थी तब संजय गांधी के कहने पर कमलनाथ ने राजनीति में आने का सोचा.

कानपुर में जन्मे कमलनाथ पंजाबी खत्री हैं. इसीलिए उन्हें संजय गांधी ने मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने के लिए कहा था. छिंदवाड़ा में पंजाबी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में हैं. यहां पर उन्हें लोगों का साथ मिला और पहली बार कमलनाथ 1980 में कांग्रेस सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे और इसके साथ ही इंदिरा गांधी की भी सत्ता में वापसी हुई.

1980 के लोकसभा चुनाव में जब कमलनाथ पहली बार चुनाव लड़ रहे थे तब इंदिरा गांधी उनका प्रचार करने छिंदवाड़ा पहुंची थीं. इस दौरान उन्होंने कहा था कि कमलनाथ मेरे तीसरे बेटे हैं और मैं अपने बेटे के लिए वोट मांगने आई हूं.

इंदिरा के दो हाथ, संजय गांधी-कमलनाथ

उस दौर में एक नारा चलता था, जिसमें कहा जाता था, 'इंदिरा के दो हाथ, संजय गांधी-कमलनाथ.' इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो गांधी परिवार के कितने करीबी रहे हैं. मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कमलनाथ ने एक जनसभा में कहा था कि 1977 से 1980 तक किसी ने सोचा नहीं था कि इंदिरा गांधी दोबारा सत्ता में वापसी कर पाएंगी. ये दौर आपातकाल के बाद का था. हम जेल जाया करते थे. इंदिरा गांधी जब जेल गईं, उसके बाद संजय गांधी को भी जेल हुआ और मैं भी जेल गया.

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संजय गांधी और इंदिरा गांधी की मौत के बाद कमलनाथ कुछ समय के लिए नेपथ्य में चले गए लेकिन जल्द ही उनकी वापसी हुई. दून स्कूल के होने के नाते वे जल्द ही राजीव गांधी के करीब आ गए. जब 1987 में वीपी सिंह राजीव के लिए चुनौती बन गए तब कमलनाथ ने उनका साथ दिया. राजीव गांधी की मृत्यु के बाद नरसिम्हा राव कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए चुने गए. राव की सरकार में भी कमलनाथ मंत्री रहे.

16वीं लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सांसद हैं कमलनाथ

महाराष्ट्र की सीमा से लगे मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से 1980 में पहली बार संसद पहुंचने वाले कमलनाथ इस लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं. वे 9वीं सांसद बने हैं. कमलनाथ को अपने चुनावी जीवन में सिर्फ एक हार मिली.

1996 लोकसभा के समय में कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ को छिंदवाड़ा से टिकट नहीं दिया क्योंकि उनका नाम हवाला केस के चार्जशीट में था. 1980 से इस सीट से सांसद रहे कमलनाथ की पत्नी अलका नाथ को पार्टी से टिकट मिला और वो जीत भी गईं. लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया और यहां से उपचुनाव हुए.

हवाला केस से पाक साफ निकलने के बाद कमलनाथ ने फिर से कांग्रेस की टिकट पर छिंदवाड़ा लोकसभा उपचुनाव में मैदान में उतरे लेकिन उन्हें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को हरा दिया. यह उनके जीवन की अबतक की मात्र एक हार है.

कमलनाथ से जुड़े विवाद

कमलनाथ का नाता विवादों से नहीं रहा है लेकिन 1984 के दंगों में उनपर आरोप लगा था कि उन्होंने भीड़ का नेतृत्व किया था और सिखों के खिलाफ उनका इस्तेमाल किया लेकिन इस आरोप को कमलनाथ शुरू से ही खारिज करते आए हैं.

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इसके अलावा, कमलनाथ के नाम एक जमीन विवाद भी रहा और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था. हिमाचल प्रदेश में कमलनाथ की परिवार से जुड़ी एक कंपनी ने जमीन खरीदे थे. यह जमीन तब खरीदा गया था जब कमलनाथ केंद्र में वन एवं पर्यावरण मंत्री थे.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का वनवास खत्म करने वाले कमलनाथ

कमलनाथ को इस साल अप्रैल में मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. जब वे अध्यक्ष बने तब कांग्रेस बीजेपी के सामने लड़ाई में कही नजर भी नहीं आती थी लेकिन इतने कम समय में पार्टी में नया जोशभर कर सत्ता दिलवा देने का श्रेय सिर्फ कमलनाथ को ही जाता है.

माना जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए राहुल गांधी को राजी करने में भी कमलनाथ ने अहम भूमिका निभाई थी. कांग्रेस अभी जिस रूप में बीजेपी को चुनौती दे रही है उस रूप में पार्टी को पहुंचाने का काम कमलनाथ ने ही किया है.

राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदू वाला चेहरा हो, मंदिर जाना हो या मानसरोवर यात्रा हो, कहा जाता है कि इन सब के पीछे कमलनाथ ही है. मध्य प्रदेश के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र में कहा गया है कि सरकार बनने के बाद पार्टी राज्य के सभी ग्राम पंचायतों में गोशाला बनवाएगी. जब कांग्रेस के घोषणा पत्र में लोग इस बात को देखे तो चौंके नहीं. उन्हें मालूम था कि घोषणा पत्र को कमलनाथ के मुताबिक तय किया गया है.

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अभी कांग्रेस और राहुल गांधी पर सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड खेलने का आरोप लगाने वाले लोगों को शायद यह नहीं पता हो कि अपने लोकसभा क्षेत्र छिंदवाड़ा में कमलनाथ हनुमान जी की 101.8 फीट ऊंची मूर्ति बनवा चुके हैं.