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मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 15 साल के सूखे के लिए ‘दिग्गी राजा’ और अजीत जोगी जिम्मेदार थे?

चुनावों के नतीजे साफ होने के बाद बीजेपी जहां हार की समीक्षा करने में लग गई है तो वहीं कांग्रेस पार्टी तीन राज्यों में मुख्यमंत्री के नामों को तय करने में लग गई है

Updated On: Dec 11, 2018 09:59 PM IST

Ravishankar Singh Ravishankar Singh

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मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 15 साल के सूखे के लिए ‘दिग्गी राजा’ और अजीत जोगी जिम्मेदार थे?

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे मंगलवार को सामने आ गए हैं. विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आने के बाद राजनीतिक पार्टियों में मंथन का दौर शुरू हो गया है. बीजेपी जहां हार की समीक्षा करने में लग गई है तो वहीं कांग्रेस पार्टी तीन राज्यों में मुख्यमंत्री के नामों को तय करने में लग गई है.

तेलंगाना में जहां केसीआर का सीएम बनना तय है वहीं मिजोरम में एमएनएफ के प्रदेश अध्यक्ष जोराम थंगा का भी सीएम बनना तय माना जा रहा है. हालांकि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के नामों पर बात अटक रही है. बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव पूर्व इन राज्यों में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था. लिहाजा कांग्रेस पार्टी को सीएम के नामों को तय करने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. राजस्थान में तो चुनाव के नतीजे आने के साथ ही विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं. राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत में से कोई एक सीएम बन सकता है.

छत्तीसगढ़ में सीएम पद को लेकर शुरू हुई माथापच्ची

छत्तीसगढ़ में भी सीएम पद को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर फिलहाल तो दो उम्मीदवारों के नाम सामने आ रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव मुख्यमंत्री की दौड़ में आगे चल रहे हैं, लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी साहू समाज से भी किसी को मुख्यमंत्री बना सकती है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की 40 विधानसभा सीटों पर साहू मतदाताओं ने प्रभावी भूमिका निभाई है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने ऑफ द रिकॉर्ड प्रचार किया था कि कांग्रेस अगर जीतती है तो राज्य में साहू समाज से ही सीएम उम्मीदवार होगा. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के अंदर चर्चा चल रही है कि अगले लोकसभा चुनाव को देखते हुए दुर्ग के सांसद ताम्र ध्वज साहू की उम्मीदवारी से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.

मंगलवार देर रात तक मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणाम की स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं हो पाई थी, ऐसे में मध्यप्रेदश की स्थिति का आकलन करना इस समय थोड़ी जल्दबाजी होगी. मध्यप्रदेश में अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस आती है तो पार्टी के दो दिग्गज कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया में से कोई एक सीएम बन सकते हैं.

Kamal Nath And jyotiraditya Scindia

कुलमिलाकर मध्यप्रदेश की स्थिति अभी तक पूरी तरह से साफ नहीं होने के कारण मामला अटका हुआ है. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई सीएम कैंडिडेट का नाम सामने नहीं आया है. ऐसे में इन दो-तीन राज्यों में मुख्यमंत्री के नामों पर अगले कुछ दिनों तक कयासों का दौर चलता रहेगा.

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस पाटी ने तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया है. पिछले 15 सालों से छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश बीजेपी का अजेय किला हुआ करता था, लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को गहरा घाव दिया है. ऐसे में गौर करने की बात यह है कि आखिरकार इस दफे कांग्रेस के पास कौन सी ऐसी जादुई छड़ी हाथ लग गई थी, जिसके सहारे कांग्रेस ने तीनों राज्यों में बीजेपी को पछाड़ा?

छत्तीसगढ़ में क्या जोगी थे कांग्रेस और सत्ता के बीच की बाधा?

कांग्रेस की इस जीत को राजनीतिक विश्लेषक कई नजरिए से देख रहे हैं. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पूर्व नेता और राज्य के पहले सीएम अजीत जोगी का पार्टी से जाना कांग्रेस के लिए काफी फायदेमंद रहा. पिछले कई विधानसभा चुनावों में अजीत जोगी के कारण ही पार्टी की हार होती रही. कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं का भी मानना है कि पिछले कुछ सालों से छत्तीसगढ़ कांग्रेस की अंदरुनी गुटबाजी का प्रमुख कारण अजीत जोगी ही रहे हैं. पार्टी के कई नेताओं ने अब तो खुले तौर पर कहना शुरू कर दिया है कि अजीत जोगी की महत्वाकांक्षा के कारण ही राज्य में कांग्रेस पार्टी इतने दिनों तक सत्ता से दूर रही.

छत्तीसगढ़ में बड़ी जीत के बाद कांग्रेस के कई नेताओं के बयान भी आने शुरू हो गए हैं. पार्टी के नेता टीएस सिंहदेव ने कहा कि अजीत जोगी के पार्टी से हटने का फायदा कांग्रेस को मिला है. सिंहदेव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अजीत जोगी के रहते कांग्रेस को जो नुकसान हुआ था, उसकी वजह से ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 15 सालों से सत्ता से दूर रही. टीएस सिंहदेव ने कहा कि ये जनता के विश्वास की जीत है, सभी वर्गों का समर्थन मिला और ये हम सबकी जीत है.

वहीं छत्तीसगढ़ विधानसभा के नतीजे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा है कि मैं 40 सालों से कांग्रेस में था. इसलिए इस चुनाव में लोग मेरी पार्टी के चुनाव चिह्न को समझ नहीं पाए. इसका फायदा कांग्रेस को मिला है. पुरानी पार्टी पर जनता ने विश्वास जताया है.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए जिम्मेदार थे दिग्गी राजा?

मध्यप्रदेश की राजनीति में सालों से दिग्विजय सिंह (दिग्गी राजा) का वर्चस्व रहा है. दिग्विजय सिंह राज्य में लगातार दो टर्म सीएम भी रह चुके हैं. पिछले दो विधानसभा चुनाव भी कहीं न कहीं उनको ही केंद्र में रख कर कांग्रेस पार्टी लड़ी भी थी, जिसमें पार्टी की बुरी तरह से हार हुई थी.

मध्यप्रदेश में सत्ता से दूर होने के बाद भी दिग्विजय सिंह के प्रदेश कांग्रेस में रुतबा और वर्चस्व में कोई कमी नहीं आई थी. प्रदेश में पार्टी के कई फैसले दिग्गी राजा के इशारे पर ही हाल के दिनों तक लिए जाते रहे थे, लेकिन कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही दिग्गी राजा ने अपने आपको पार्टी से दूर बना लिया या यूं कहें कि उनको आलाकमान से सख्त हिदायत मिल गई.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिग्गी राजा का मध्यप्रदेश कांग्रेस से कुछ दिनों की दूरी का ही नतीजा है कि कांग्रेस पार्टी खुशियां ले कर आई है. कहीं न कहीं दिग्विजय सिंह भी इस बात को समझते हैं. इसी का नतीजा है कि मंगलवार को रुझानों के आने के साथ ही दिग्गी राजा कमलनाथ से मिलने उनके घर पहुंच गए.

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी जहां 15 सालों से सत्ता में थी तो वहीं राजस्थान में पिछले पांच सालों से वसुंधरा राजे की सरकार थी. मंगलवार के शुरुआती रुझानों में ही कांग्रेस को बहुमत मिलने के आसार होने लगे थे. हालांकि, कुछ ही घंटों में रुझानों के नतीजे ऊपर-नीचे होते भी रहे, जो मंगलवार देर रात तक भी जारी थे.

बता दें कि साल 2013 में बीजेपी को छत्तीसगढ़ में 41 फीसदी वोट मिले थे, जिसमें इस साल 8.1 फीसदी की कमी आई है. मौजूदा समय में बीजेपी का वोट शेयर 33 फीसदी है. दिलचस्प बात ये भी है कि बीजेपी का वोट शेयर कांग्रेस ने नहीं बल्कि अजीत जोगी की पार्टी ने काटा है. जोगी की पार्टी के वोट शेयर मौजूदा समय में 7.7 फीसदी हैं. कांग्रेस के वोट शेयर में भी ठीक-ठाक बढ़ोतरी हुई है. उनके वोट शेयर 40.3 फीसदी से बढ़कर 42.9 फीसदी तक हो गए हैं.

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