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नोटबंदी: कालेधन पर सेहरा पहनना है तो दाग धोने होंगे

नोटबंदी के बाद जब बैंकों तक में पैसे नहीं हैं तो भाजपा नेताओं के पास इतने पैसे कहां से आ रहे हैं?

Krishna Kant

आठ नवंबर को जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने नोटों को बंद करने का ऐलान किया, उसके बाद कई राज्यों में भाजपा से जुड़े नेताओं के पास से नए या पुराने नोटों का जखीरा बरामद किया गया. कहीं पर काले धन के रूप में इस पैसे को सफेद कराने की कोशिश की गई तो कहीं पर जमा कराते या लाते, ले जाते हुए इन्हें पकड़ा गया.

सवाल है कि जब आम जनता नकदी के लिए परेशान है, जब दूतावासों में नोटों की किल्लत के चलते कई देशों के प्रतिनिधि तल्ख प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं, तब अलग-अलग राज्यों में भाजपा नेताओं के पास इतना कैश कहां से आए? भाजपा अगर काले धन के खिलाफ लड़ाई का सेहरा बांधना चाहती हैं तो उसे इन दागों को धोना होगा.


नोटबंदी के एक महीने बाद भी लोगों को राहत नहीं मिली है

हालांकि इस तरह के मामले पूरे देश में सामने आए. लेकिन जितने नेताओं की धर-पकड़ हुई, लगभग उन सबके तार भाजपा से जुड़ते हैं. इस  इत्तेफाक पर जनता चंद रोज में सवाल करने लगेगी.

हालांकि भाजपा ने इन नेताओं पर कार्रवाई भी की और किसी को भी न छोड़ने की बात कही है.लेकिन सवाल उठे हैं और ज्यादा उठेंगे.

हथियार और 33 लाख बरामद 

हमारी सहयोगी अंग्रेजी वेबसाइट फ़र्स्टपोस्ट के मुताबिक, छह दिसंबर को बंगाल के भाजपा नेता मनीष शर्मा को 33 लाख रुपये के साथ स्पेशल टास्क फोर्स ने मनी लॉन्ड्रिंग के दौरान गिरफ्तार किया. उनके साथ कुछ कोयला माफिया से जुड़े लोग भी पकड़े गए. मनीष ने हाल ही में भाजपा के टिकट पर बर्धवान जिले के रानीगंज सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था. मनीष के पास से हथिार और 89 कारतूस भी बरामद हुए थे.

प्रतीक चित्र: नोटबंदी के बाद छापेमारी की कार्रवाई में देश भर से कालाधन बरामद किया गया.

बुधवार को छपी खबर के मुताबिक, सात दिसंबर को कर्नाटक में भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके जी. जनार्दन रेड्डी पर 100 करोड़ से अधिक का कालाधन सफेद करने का आरोप लगा. बंगलुरु के विशेष भूमि अधिग्रहण अफसर भीमा नायक के ड्राइवर रमेश ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली.

रमेश ने सुसाइड नोट में आरोप लगाया कि उसे लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही थी क्योंकि उसे इस बात की जानकारी थी कि रेड्डी ने अपने 100 करोड़ के काले धन को कैसे सफेद किया है.

जनार्दन रेड्डी ने नोटबंदी की बाद ही अपनी बेटी की शादी की. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सुसाइड नोट में रमेश ने आरोप लगाया है कि यह पैसा रेड्डी की बेटी की शादी से संबंधित है.

'देश के लिए लाइन में लगने को तैयार हूं'

इंडियन एक्सप्रेस की ही एक खबर के मुताबिक, तमिलनाडु पुलिस ने एक दिसंबर को भाजपा की यूथ विंग के नेता जेवीआर अरुण को 20.55 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया था. अरुण के बारे में खबरें आईं कि उन्होंने नोटबंदी के फैसले का खूब जोरदार स्वागत करते हुए फेसबुक पर पोस्ट डाली थी कि 'देश के विकास के लिए मैं लाइन में लगने को तैयार हूं.' अरुण इन रुपयों का स्रोत नहीं बता सके और पुलिस ने ये रुपये जब्त कर लिए.

जमीन सौदे पर भी उठे सवाल 

नोटबंदी के पहले भाजपा द्वारा कई प्रदेशों में जमीन सौदा किए जाने की बात सामने आई. भाजपा ने जनवरी 2015 से लेकर नवंबर 2016 तक देश में 170 जगहों पर जमीनें खरीदी हैं. विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि भाजपा को नोटबंदी के बारे में पहले ही सूचना दे दी गई थी और काले धन को सफेद करने के लिए जमीनों के इन सौदों को अंजाम दिया गया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन जमीन सौदों की न्यायिक जांच की मांग की है.

पार्टी लाइन से अलग नोटबंदी का समर्थन करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मामले में जांच की मांग की. खबर पोर्टल प्रदेश 18 के मुताबिक, उन्होंने कहा, भाजपा को जवाब देना चाहिए कि इसके लिए उसे इतनी राशि कहां से प्राप्त हुई? जदयू ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की.

हालांकि 6 दिसंबर को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इन सौदों में किसी प्रकार की अनियमितता के आरोप को बकवास करार दिया. शाह ने कहा, 'भाजपा के जमीन सौदों पर विपक्षी पार्टियां सवाल उठा रही हैं, लेकिन ये सौदे जनवरी 2015 में ही अधिकृत कर दिए गए थे.'

खाते में जमा हुए एक करोड़ 

नोटबंदी की घोषणा के ठीक पहले पश्चिम बंगाल भाजपा के खाते में एक करोड़ रुपये जमा कराने का मसला सामने आया था. मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी ने संसद में इस मुद्दे को उठाया था. इस आरोप पर भाजपा अध्यक्ष का कहना है कि 'बैंक खातों में नकदी का जमा होना केवल एक संयोग मात्र है. हम आठ नवंबर को ही पैसे क्यों जमा कराएंगे, जिससे हम पर शक हो? यह बस एक संयोग है.'

इस तरह के भी कुछ मामले सामने आए जिससे प्रधानमंत्री के उस दावे पर सवाल उठे कि नोटबंदी का फैसला गोपनीय था. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा नेताओं और उनके दोस्तों को इस बारे में पहले से पता था और उन्होंने अपने पैसे को पहले ही ठिकाने लगा दिया.

22 नवंबर को वडोदरा पुलिस ने भाजपा पार्षद विजय पवार के भाई के घर से 31 लाख रुपये के पुराने नोट जब्त किए. संयुक्त पुलिस आयुक्त डीजे पटेल के मुताबिक, चलन से बाहर हो चुके नोटों के बरामद होने के बाद आरोपी वैकुंठ पवार उर्फ 'दबंग' को हिरासत में लिया गया.

मंत्री की गाड़ी से 91 लाख 

18 नवबंर को महाराष्ट्र के सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख के संगठन के वाहन से 91 लाख रुपये पकड़े गए. देशमुख लोकमंगल नाम से एक ग्रुप चलाते हैं जो कई सहकारी बैंक, चीनी कारखाने चलाता है और चैरिटी के काम करता है. एनडीटीवी के मुताबिक, स्थानीय निकाय चुनावों से पहले पैसे बांटने वालों की धरपकड़ के लिए राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कई जगह छापेमारी की थी. इसी दौरान देशमुख के समूह से जुड़ी कार से 91 लाख रुपये की कीमत के एक-एक हजार के नोट बरामद हुए.

नोटबंदी के ठीक एक दिन बाद राजस्थान के बारां जिले की छबड़ा नगरपालिका में एक स्थानीय भाजपा नेता एक लाख रुपये घूस लेते पकड़ा गया. एंटी करप्शन ब्यूरो ने नगरपालिका चेयरमैन पिंकी साहू के पति जितेंद्र साहू को रंगे हाथ पकड़ा. बाद में पिंकी साहू को भी गिरफ्तार कर लिया गया. दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, नगरपालिका चेयरमैन ने यह रिश्वत प्लाट व कॉलोनी के रूपांतरण के लिए ली थी. जितेंद्र ने इस मामले में राजमल सोनी नाम के व्यक्ति से 25 लाख की रिश्वत मांगी थी. काफी कहने सुनने के बाद 17 लाख में सौदा तय हुआ था.

30 मामले सीबीआई के पास 

नोटबंदी के बाद आयकर विभाग के छापों में सबसे ज्यादा अघोषित संपत्ति के मामले बंगलुरु से सामने आए. बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक विभाग ने अपनी जांच में 400 से ज्यादा मामलों में जांच की और 130 करोड़ नकदी और ज्वेलरी का खुलासा किया. साथ में करीब 2000 करोड़ की अघोषित संपत्ति का भी खुलासा हुआ. इन सभी मामलों में कई भाजपा नेता भी हैं जो नये नोटों के साथ पकड़े गए.

बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 30 से ज्यादा ऐसे मामले सीबीआई को भेजे हैं. इन 30 मामलों में से 18 बंगलुरु से हैं, जो आयकर विभाग ने ईडी को भेजे. लुधियाना और भोपाल दो-दो मामले, हैदराबाद और पुणे से एक-एक मामले भेजे गए हैं.

इन मामलों के सामने आने का मतलब यह नहीं है कि दूसरी पार्टियों के नेता बड़े पवित्र हैं. हमारे यहां आम धारणा यही है कि राजनीतिक दल काले धन से ही चलते हैं. नेताओं की संपत्ति की घोषणाओं में बड़ा अंतर इसका सूचक है. यहां सवाल यह उठता है कि नोटबंदी के बाद जब बैंकों तक में पैसे नहीं हैं तो भाजपा नेताओं के पास इतने पैसे कहां से आ रहे हैं?