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मानहानि का केस करने वाले दिग्विजय पर मान क्यों बढ़ाना चाहती हैं उमा भारती?

दिग्विजय सिंह, उमा भारती को अपनी बहन कहते हैं तो उमा भारती उन्हें अपना बड़ा भाई मानतीं हैं.

Dinesh Gupta

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उमा भारती के रिश्ते वैसे तो राजनीतिक शत्रुता वाले हैं, लेकिन दोनों ही नेता एक दूसरे के प्रति अपार श्रद्धा और आदर रखते हैं. दिग्विजय सिंह, उमा भारती को अपनी बहन कहते हैं तो उमा भारती उन्हें अपना बड़ा भाई मानती हैं.

दिग्विजय सिंह पिछले एक महीने से पत्नी अमृता सिंह के साथ नर्मदा की परिक्रमा कर रहे हैं. बहन उमा भारती को यात्रा में शामिल होने का न्यौता अब तक नहीं मिला है. उमा भारती बिना बुलाए यात्रा में जाना नहीं चाहती. वे यात्रा के राजनीतिक परिणाम भी जानती हैं और धार्मिक महत्व भी. उमा भारती दिग्विजय सिंह की यात्रा में जाने के लिए राजी भी हैं. उन्होंने मंगलवार को भोपाल में कहा कि- दिग्विजय सिंह मेरे भाई हैं, वे यात्रा में शामिल होने का न्यौता देंगे तो जरूर जाऊंगी, भंडारा भी खाऊंगी और भाई-भाभी से दक्षिणा भी लूंगी.


नर्मदा परिक्रमा में विधान यह है कि परिक्रमा पूरी होने के बाद उसका फल पाने के लिए भंडारा भी आयोजित किया जाता है. यज्ञ-हवन भी होता है. इस भंडारे में नाते-रिश्तेदार और मित्र भी बुलाए जाते हैं. उमा भारती के इस बयान से पहले भारतीय जनता पार्टी का किसी भी नेता ने दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा में हिस्सा लेने की सार्वजनिक स्वीकृति नहीं दी है. जबकि, दिग्विजय सिंह यह दावा कर चुके हैं कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता भी यात्रा से जुड़ रहे हैं.

गोविंदाचार्य के कारण उमा ने धारण किया था संन्यास?

उमा भारती छह साल की उम्र से प्रवचन करती रहीं हैं. उमा भारती की विशेषता यह रही है कि वे एक बार जो सुन लेती थीं, वह उन्हें याद हो जाता था. छठवीं तक पास उमा भारती को रामायण बचपन में ही कंठस्थ हो गई थी. उनकी ख्याति से प्रभावित होकर ही विजयाराजे सिंधिया उन्हें राजनीति में लेकर आईं. खजुराहो से पहला लोकसभा का चुनाव लड़ा.

भारतीय जनता पार्टी की सांसद बनने के बाद उनका संपर्क विचारक और चिंतक गोविंदाचार्य से हुआ. मुलाकातें बढ़ी. एक-दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ा. राजनीतिक गलियारों में इस आकर्षण को लेकर कानाफूसी चालू हो गई. उमा भारती और गोविंदाचार्य के विवाह की चर्चाएं भी चल निकलीं. लालकृष्ण आडवाणी भी रिश्ते से सहमत थे.

उमा भारती भोपाल के रवीन्द्र भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्यमंत्री शामिल हुईं थीं. इस कार्यक्रम में उमा भारती ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार किया कि वे गोविंदाचार्य से विवाह करना चाहतीं थीं. लेकिन, उनके भाई स्वामी लोधी को गोविंदाचार्य का काला रंग पसंद नहीं आया. उन्होंने शादी की मंजूरी देने से इंकार कर दिया.

गोविंदाचार्य ने भी अलग-अलग जगहों पर इस बात की पुष्टि की है कि वे उमा भारती से विवाह करना चाहते थे. विवाह का प्रस्ताव नामंजूर होने के बाद उमा भारती पूरी तरह से राम मंदिर आंदोलन में शामिल हो गईं. 1992 में ही उन्होंने संन्यास धारण कर लिया. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जब चुनाव हार गए तो वे अक्सर उमा भारती पर गोविंदाचार्य को लेकर अप्रत्यक्ष हमले किया करते थे.

दिग्विजय सिंह के इन व्यक्तिगत हमले से आहत होकर ही उमा भारती ने अपने जीवन का यह सबसे महत्वपूर्ण राज खोला था. राजनीतिक क्षेत्र में चलने वाली गपशप में अक्सर कहा जाता है कि दिग्विजय सिंह को साध्वी उमा भारती का श्राप लगा हुआ है. उनकी नर्मदा यात्रा प्रयाश्चित के लिए है.

नर्मदा का उद्गम स्थल है उमा की पसंदीदा जगह

उमा भारती को संन्यास धारण किए हुए पच्चीस साल हो गए हैं. उन्होंने नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकटंक में ही संन्यास धारण किया था. संन्यास धारण करने के बाद भी वे सक्रिय राजनीति में बनी रहीं. मूलत: मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले की निवासी उमा भारती को पार्टी की अंदरूनी राजनीति के कारण उत्तरप्रदेश में जाकर चुनाव लड़ना पड़ा. वे वर्तमान में झांसी से सांसद हैं.

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी उनके राजनीतिक रिश्ते कटुता भरे रहे हैं. चौहान को मुख्यमंत्री बनाए जाने के कारण ही वर्ष 2006 में उन्होंने भारतीय जनशक्ति पार्टी का गठन किया. उनकी पार्टी वर्ष 2008 में विधानसभा का चुनाव भी लड़ी थी. भारतीय जनता पार्टी में उनकी वापसी काफी मुश्किल से हुई थी. पार्टी में वापसी के बाद से ही वे मध्यप्रदेश की राजनीति में वापस आने की कोशिश कर रहीं हैं. उन्होंने शिवराज सिंह चौहान की नर्मदा यात्रा में भी हिस्सा लिया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने गंगा सफाई के ड्रीम प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी भी दी. लेकिन, हाल ही में उनका विभाग बदल दिया गया. उन्हें मंत्री से हटाए जाने की चर्चा भी थी. दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा भले ही गैर राजनीतिक कही जा रही हो, लेकिन यह यात्रा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नर्मदा यात्रा जवाब मानी जा रही है. राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि उमा भारती ने दिग्विजय सिंह की यात्रा को निजी बताकर मुख्यमंत्री चौहान की यात्रा का वास्तविक रूप तो प्रकट कर ही दिया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा की परिक्रमा नहीं की थी. नर्मदा यात्रा का कार्यक्रम सरकारी था. मुख्यमंत्री स्थान-स्थान पर आयोजित कार्यक्रम में सिर्फ हिस्सा लेते थे.

उमा भारती के खिलाफ दायर किया है मानहानि का मुकदमा

उमा भारती के चेहरे के कारण ही दिग्विजय सिंह को वर्ष 2003 में सत्ता से बाहर होना पड़ा था. सत्ता से बाहर होने के बाद से ही दिग्विजय सिंह राज्य की राजनीति में अपने अस्तित्व बचाने का प्रयास कर रहे हैं. तेरह साल उनके वनवास को हो चुके हैं. सभी की निगाहें उनकी इस यात्रा पर टिकी हुई हैं. सभी पार्टी के नेता मानते हैं कि दिग्विजय सिंह की यात्रा गैर राजनीतिक उद्देश्य की नहीं है.

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दिग्विजय सिंह को चुनाव में करारी शिकस्त देने के बाद भी खुद उमा भारती ज्यादा दिनों तक राज्य की मुख्यमंत्री नहीं रह सकीं थीं. दिग्विजय सिंह ने ही अपने बयानों के जरिए उमा भारती की सरकार को विवादों में डाला था. उमा भारती ने वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव के अभियान में कई आरोप दिग्विजय सिंह और उनकी सरकार पर लगाए थे.

दिग्विजय सिंह को मिस्टर बंटाधार का नाम भी उमा भारती ने ही दिया था. उमा भारती द्वारा लगाए गए आरोपों पर दिग्विजय सिंह ने भोपाल की अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर कर रखा है. उमा भारती अपना पक्ष भी अदालत में रख चुकीं हैं. उन्होंने आरोपों को पार्टी के चुनाव कैंपेन का हिस्सा बताया है.

मुकदमेबाजी के बाद भी उमा भारती जहां भी मिलतीं हैं, दिग्विजय सिंह उनके पैर जरूर छूते हैं. उमा भारती भी दिग्विजय सिंह के खिलाफ बयानबाजी से बचती हैं. भोपाल में पत्रकारों ने जब उनसे दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा पर सवाल किया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह उनकी निजी यात्रा है, इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नर्मदा यात्रा पर भी उमा भारती ने कोई टिप्पणी नहीं की.