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बिहार: फरवरी के अंतिम सप्ताह में सीट शेयरिंग का खुलासा करेगा महागठबंधन?

सियासी हल्कों में चर्चा जोर से चल रही है कि आरजेडी और कांग्रेस के बीच आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा हो गया है.

Kanhaiya Bhelari

सियासी हल्कों में चर्चा जोर से चल रही है कि आरजेडी और कांग्रेस के बीच आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा हो गया है. चर्चा पर विश्वास करें तो राज्य की कुल 40 लोकसभा सीटों में से आरजेडी 20 तथा कांग्रेस 10 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. बाकी 10 सीट महागठबंधन में शामिल राजनीतिक पार्टियां आपस में बांट लेंगी.

इस चर्चा में कितनी सच्चाई है इसका विश्लेषण लाजमी है. इस लेखक ने आरजेडी के शीर्ष नेतृत्व के एक खास व्यक्ति से टेलिफोनिक बातचीत की. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा, ‘यह सरासर अफवाह है. अभी तक हमलोगों के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है. महागठबंधन के कई दिग्गज नेताओं ने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से रांची जेल में मिलकर अपनी दावेदारी पेश की है. लेकिन सीट के सवाल पर फाइनल सहमति नहीं बन पाई है.’ दरअसल, 2 फरवरी को पटना से प्रकाशित एक दैनिक अखबार ने सूत्रों के हवाले से इस प्रकार की खबर परोस दी है.


इसी खबर को कई टीवी चैनल तथा सोशल मीडिया वाले घूमा रहे हैं. खबर में इस बात का भी जिक्र है कि महागठबंधन में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा को 3, बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम माझी की पार्टी हम सेक्यूलर को 2, शरद यादव की पार्टी लोजद को 2, सन ऑफ मल्लाह की पार्टी वीआईपी को 2 तथा माले और सीपीआई के लिए क्रमशः एक एक सीट छोड़ दी गई हैं. सबको जोड़ने पर नंबर 41 तक पहुंच रहा है.

सबसे मजेदार बात ये है कि चर्चा में बीएसपी का नाम गायब है. आरजेडी के एक प्रमुख नेता का कहना है, ‘हमलोग कांग्रेस को बाय-बाय कर सकते हैं. पर बीएसपी को छोड़ने का सवाल ही नहीं है. आरजेडी के बाद महागठबंधन नामक कुनबे में दूसरे पायदान पर बहन मायावती की बीएसपी है जिसके पास अपना आधार वोट है.’ आरजेडी सूत्रों का कहना है कि महागठबंधन में सीट बंटवारे की घोषणा फरवरी के अंतिम सप्ताह में की जा सकती है. बीएसपी को गंभीरता से दो सीट देने की बात हो रही है.

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औपचारिक तौर पर वाम दल महागठबंधन का अंग अभी तक नहीं बना है. लेकिन बीजेपी नीत एनडीए को चुनाव में करारी शिकस्त देने की मंशा को ध्यान में रखकर लालू यादव की पहल पर वाम दलों को भी जगह देने की बात ईमानदारी से चल रही है. बात बनती है कि नहीं इसका खुलासा भी फरवरी के अंतिम सप्ताह में ही होगा. मेरी समझ से वाम दलों के मुकम्मल तालमेल की गुंजाइश बहुत कम है. क्योंकि माले कम से कम 3 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है. उसी प्रकार सीपीआई 4 सीट पर उम्मीदवार खड़ा करने के लिए ताल ठोंक रही है.

लालू यादव के साथ रहने वाले मजबूत नेताओं का कहना है कि 2014 लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने 27 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि 13 सीटों को कांग्रेस के लिए छोड़ दिया गया था. 2019 महाभारत में आरजेडी 7 सीटों का बलिदान करने के लिए तैयार है. राजद का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि कांग्रेस भी कम से कम 6 सीटों पर अपना दावा छोड़कर एनडीए को हराने में अहम भूमिका निभाए. आरजेडी सूत्रों का कहना है कि लालू यादव ने उपेंद्र कुशवाहा को 5 सीट देने का वादा किया है जबकि दल के कमांडर तेजस्वी यादव ने मुकेश सहनी के लिए दो सीट छोड़ने की बात मान ली है. उसी तरह बीएसपी को 2 सीटें दी जा सकती है.

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सीपीआई बेगुसराय लोकसभा सीट पर गिद्ध दृष्टि गड़ाए हुए है. पार्टी का दावा है कि आजादी के बाद से लेकर अबतक कई बार उसके उम्मीदवरों ने लेलिनग्राद के नाम से विख्यात इस सीट पर अपनी जीत दर्ज की है. सीपीआई इस सीट से हर हाल में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाना चाहती है. लेकिन आरजेडी इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है. आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने सोशल मीडिया के मंच से कन्हैया कुमार से आग्रह किया है कि चुनाव लड़ने की जिद न करें.