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विधानसभा चुनाव 2017: बीजेपी जीत सकती है यूपी, झाड़ू चल सकती है गोवा में

पांच अहम राज्यों के एक्जिट पोल कितने सही साबित होंगे

FP Staff

नोटबंदी के बाद 2017 के पहले चुनाव आखिर खत्म हो चुके हैं. एक्जिट पोल तो उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में पार्टियों की जीत-हार को लेकर भविष्यवाणी कर ही रहे हैं, कुछ राजनीतिक, आर्थिक विश्लेषकों और पत्रकारों ने भी इस बारे में कयास लगाए हैं.

उत्तर प्रदेश


कई जानकारों का कहना है कि इस राज्य में बीजेपी को काफी बढ़त हासिल है.

फर्स्टपोस्ट के संजय सिंह ने एक लेख में लिखा कि सपा-कांग्रेस गठबंधन के बावजूद  'यूपी को कुछ और ही पसंद है.'

उन्होंने लिखा, 'मुसलमानों को लुभाने की सपा-कांग्रेस गठबंधन की कुछ ही ज्यादा कोशिशों की वजह से पूरे राज्य में हिंदुत्व की दबी-छिपी भावनाओं को उभार मिला है.

गठबंधन के रणनीतिकार शायद यह हिसाब-किताब लगाने में गड़बड़ी कर गए कि मुसलमान वोट तो देते हैं लेकिन सिर्फ वही वोट नहीं देते हैं ऐसा अनुमान लगाना गलत है. मायावती ने भी यही गलती की है.

थोड़ा कुरेदने पर गैर-यादव, गैर जाटव मतदाताओं की हिंदुत्व भावनाएं सामने आ जाती हैं. हालात 2014 वाले भले न लगें लेकिन यह फैक्टर जरूर है और यही बीजेपी के पक्ष में पलड़ा झुका सकता है.'

इसी तरह से लोकनीति-सीएसडीएस के प्रणव गुप्ता और राहुल वर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस में इशारा करते हुए लिखा कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में जीत सकती है क्योंकि उसने बिहार में की गई गलतियों से सबक सीखे हैं. और सपा-कांग्रेस की लोकप्रियता गठबंधन के लिए वोट में तब्दील नहीं हो पाएगी, कम से कम उस तरह तो नहीं जैसे कि बिहार में महागठबंधन ने किया.

मशहूर पत्रकार स्वामीनाथन अय्यर ने टाइम्स ऑफ इंडिया में लिखा कि मोदी लहर की वापसी हो चुकी है.

उन्होंने लिखा, 'अगर हवा महाराष्ट्र, गुजरात से पंजाब और हरियाणा होते हुए ओडिशा तक बह रही हो, तो उत्तर प्रदेश कैसे अछूता रह सकता है? नहीं, आज उत्तर प्रदेश की राजनीति स्थानीय नहीं रह गई है. किसी स्थानीय बीजेपी नेता के लिए थोड़ा-बहुत समर्थन ही होगा. हर जगह जो नारा सुनने में आता है, वो है 'मोदी, मोदी, मोदी.'

सुरजीत एस भल्ला ने भी इंडियन एक्सप्रेस में लिखा कि 2017 का उत्तर प्रदेश, 2015 का बिहार नहीं है. क्योंकि 'एक तीसरी बड़ी पार्टी बसपा महागठबंधन से बाहर रह गई, इसलिए विपक्ष सिर्फ समाजवादी पार्टी + कांग्रेस रह गया है.'

पंजाब

फ़र्स्टपोस्ट के संदीपन शर्मा ने इस लेख में लिखा कि कांग्रेस और आप का प्रदर्शन बीजेपी-अकाली गठबंधन से बेहतर होगा और राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बन सकती है.

उन्होंने लिखा, 'राज्य के तीन इलाकों मालवा, माझा और दोआब में लोग इस बात पर सहमत नहीं हैं कि बीजेपी-अकाली गठबंधन को कौन हरा सकता है. 69 सीटों वाले मालवा में सहमति आम आदमी पार्टी के पक्ष में है. कुल 48 सीटों वाले बाकी के दो इलाकों में कांग्रेस पहली पसंद है.'

प्रणय रॉय ने एनडीटीवी पर एक लेख में लिखा कि पंजाब में आप के जीतने की संभावनाएं सबसे ज्यादा हैं. उन्होंने लिखा, 'आप ने अकालियों का काफी बड़ा वोट आधार छीन लिया है. आप हिंदू इलाकों में कमजोर है, सिख इलाकों में मजबूत. इसका प्रदर्शन पूर्वी मालवा इलाके में बहुत अच्छा रहा है.'

हफ़िंगटन पोस्ट-सीवोटर के ओपिनियन पोल सर्वे में भी यह कहा गया है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत तय है.

गोवा

डेविड देवदास ने फ़र्स्टपोस्ट में लिखे इस लेख में लिखा कि गोवा में दबी-छिपी हल्की सी लहर की वजह से आम आदमी पार्टी को हल्की बढ़त हासिल है.

उन्होंने लिखा, 'अधिकतर लोगों को लगता है कि दोनों स्थापित दल, कांग्रेस और बीजेपी, थके और कमजोर हैं. कांग्रेस को अब भी भ्रष्टाचार के गढ़ के तौर पर देखा जाता है. बीजेपी से लोग निराश हैं - हालांकि सत्ता विरोधी रुझान उतना मजबूत नहीं है जितना कि पांच साल पहले कांग्रेस के खिलाफ था.'

हिंदुस्तान टाइम्स में छपे एक लेख में चेतन चौहान ने कहा कि राज्य में महिला मतदाताओं की बड़ी संख्या और भारी मतदान से ऐसा लगता है कि गोवा में सत्ता परिवर्तन हो सकता है.

मणिपुर

मणिपुर चुनाव के पहले दौर के मतदान के दिन फ़र्स्टपोस्ट के कंकन आचार्य ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी राज्य में बराबरी की दावेदार हैं.

उन्होंने एक लेख में लिखा, 'एन बीरेन सिंह और ऐराबत जैसे कम से कम पांच बड़े कांग्रेस नेता हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए हैं. दूसरी ओर बीजेपी के भी दो में से एक विधायक, खुमकुचाम जयकिशन, सहित कई नेता कांग्रेस में शामिल हो गए. कोई और पार्टी ज्यादा चुनौती देने की स्थिति में नहीं है इसलिए दोनों राष्ट्रीय दल ही मैती दबदबे वाले इलाके में एक दूसरे से होड़ कर रही हैं.'

उत्तराखंड

फ़र्स्टपोस्ट की उत्तराखंड संवाददाता नमिता सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद कांग्रेस की हार के बारे में संकेत दे चुके हैं. उन्होंने कहा, 'हरीश रावत ने कांग्रेस की हार की संभावनाओं के बारे में तब संकेत दिया जब उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से विपक्ष में बैठने के लिए तैयार रहने को कहा.'

हालांकि हिंदुस्तान टाइम्स में छपे एक अन्य लेख में कहा गया कि उत्तराखंड में हुए कम मतदान की वजह से कांग्रेस अब जीत के लिए आश्वस्त है.