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अगस्ता वेस्टलैंड डील: मिशेल के लिए ‘कांग्रेस नेता’ की पैरवी से BJP को मिला राजनीतिक मसाला

मिशेल के लिए इस तरह की भूमिका स्वीकार करने के बाद अलजो जोसेफ ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कांग्रेस नेतृत्व पर जोरदार हमले के लिए भरपूर सामग्री उपलब्ध करा दी है

Sanjay Singh

अलजो जोसेफ युवा कांग्रेस में अब इतिहास बन चुके हैं, लेकिन इससे पहले उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए कुछ इतिहास जैसा बनाया है. वीवीआईपी अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले में बिचौलिए की भूमिका निभाने के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल की तरफ से वकील के रूप में केस लड़ने का उनका फैसला भले ही निजी प्रतीत हो, लेकिन इस तथ्य से भी बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता है कि वह बुधवार शाम तक युवा कांग्रेस के लीगल सेल का नेतृत्व कर रहे थे. कांग्रेस की यह लीगल सेल अभी तक सीधे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नियंत्रण के तहत काम करती थी. मिशेल के लिए इस तरह की भूमिका स्वीकार करने के बाद अलजो जोसेफ ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कांग्रेस नेतृत्व पर जोरदार हमले के लिए भरपूर सामग्री उपलब्ध करा दी है.

बहरहाल, यह बात बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती है कि डैमेज कंट्रोल अभियान के तहत कांग्रेस ने तुरंत अलजो जोसेफ को अपनी युवा इकाई से निष्कासित करने का फैसला किया, यह चीज भी कहीं से भी मायने नहीं रखती है कि वकील और राजनेता जोसेफ ने राजनीतिक मामले और प्रोफेशनल मामलों के बीच अंतर की बात करते हुए इस सिलसिले में सफाई देने का प्रयास किया. दरअसल, इस पूरे मामले में सफाई पेश करते हुए उनका कहना था कि मिशेल के लिए पेश होना उनके लिए प्रोफेशनल मामला है. हालांकि, जाहिर तौर पर इस मुद्दे को लेकर लोगों की राय पहले ही बन चुकी है.


पहली नजर में रिश्वतखोरी का साफ मामला

बेहद सक्रिय सोशल मीडिया, डिजिटल मीडिया और 24x7 ब्रॉडकास्ट मीडिया वाले इस दौर में खबर काफी तेजी से चलती है और तुरंत इस पर सार्वजनिक रूप से बहस का दौर भी शुरू हो जाता है. जोसेफ ने दावा किया कि उन्हें दुबई में अपने एक संपर्क सूत्र के जरिए इस मामले में वकील की भूमिका निभाने को कहा गया. यहां ऐसा कहना प्रासंगिक हो सकता है कि ऐसा करते हुए उन्होंने एक तरह से कांग्रेस नेतृत्व, गांधी परिवार और उनके करीबी नेताओं की कमजोरी को और ज्यादा बड़े स्तर पर उजागर कर दिया.

अब तक इस केस में जिस तरह से चीजें आगे बढ़ी हैं, मसलन जब से संभावित रिश्वतखोरी के बारे में खुलासा किया गया, इटली कोर्ट के फैसले, 2013 और 2014 के शुरू में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा डर के परिणामस्वरूप इस पूरे मामले को लेकर दिखाई गई प्रतिक्रिया और दुबई की एक कोर्ट की तरफ से क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण की इजाजत दिया जाना और इस शख्स का दिल्ली पहुंचना जैसे घटनाक्रमों से स्थापित हो चुका है कि पहली नजर में यह रिश्वतखोरी का साफ मामला नजर आता है. दिल्ली की एक अदालत ने हिरासत में पूछताछ के मकसद से मिशेल को सीबीआई की पांच दिनों की रिमांड में भेज दिया है. अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील में रिश्वत देने वाले के बारे में अब पता चल चुका है. जांच एजेंसियों को इस पूरे मामले में रिश्वत लेने वालों के नाम के बारे में ठोस प्रमाण इकट्ठा करने होंगे और इसे कानून की अदालत में साबित करना होगा.

इस केस की बोफोर्स मामले से काफी समानताएं हैं, जहां कानून की अदालत में गांधी परिवार के खिलाफ कुछ साबित नहीं हो सका, लेकिन इसमें गांधी परिवार के करीबी लोगों को पैसे दिए जाने से संबंधित लोगों की अवधारणा अब भी लोगों के जेहन में जिंदा है.

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अगस्ता वेस्टलैंड डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद से संबंधित इन घटनाक्रमों से जुड़े इन तथ्यों पर जरा गौर कीजिए- मार्च 2013 में तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के एंटनी ने स्वीकार किया था कि वीवीआईटी हेलिकॉप्टर डील को अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में झुकाने के लिए रिश्वत दी गई. सीबीआई को इस पूरे मामले की जांच करने को कहा गया. इस पूरे मामले पर पैदा हुए बवाल को लेकर दबाव में आई तत्कालीन यूपीए सरकार ने साल के आखिर तक 12 हेलिकॉप्टरों की सप्लाई करने से संबंधित 3,600 करोड़ की डील रद्द कर दी. इसमें एयर फोर्स के पूर्व प्रमुख एस पी त्यागी एक अभियुक्त थे. हालांकि, इस डील में गड़बड़ियों के आरोपों से संबंधित प्रमुख सवाल का जवाब नहीं मिल पाया- क्या त्यागी खुद से अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में समझौते को झुकाने में सक्षम थे या वह यूपीए सरकार में शीर्ष नेतृत्व से संबंधित किसी शख्स के आदेश पर या इस तरह के किसी नेतृत्व के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रहे थे.

अलजो जोसेफ

डायरी के मुताबिक पैसे ’एपी’ और ’परिवार’ को ट्रांसफर किए गए

डायरी में दर्ज जानकारी के मुताबिक, पैसे ट्रांसफर किए गए. इसके अलावा नौकरशाही और त्यागी को पैसे का भुगतान भी किया गया. डायरी की जानकारी के तहत पैसे का भुगतान 'एपी' और 'परिवार' को भी किया गया. हालांकि, अब तक किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं है कि क्या 'परिवार' का मतलब गांधी परिवार से है और क्या 'एपी' से मतलब सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से है. जाहिर है कि इस तरह की एंट्री का संबंध किसी एक्सवाईजेड परिवार से हो सकता है और इसी तरह से एपी का मतलब इस अक्षर से नाम वाला कोई अन्य शख्स भी हो सकता है. हालांकि, यह आशंका (बोफोर्स मामले की तरह) कि कांग्रेस नेताओं की इस पूरे मामले में भूमिका हो सकती है, देश की सबसे पुरानी और प्रमुख विपक्षी पार्टी के लिए नुकसानहेद साबित हो रही है.

इससे संबंधित मामले में अप्रैल 2016 में मिलान की अपीलीय अदालत ने 225 पेज में अपना फैसला दिया, जिसमें एक जगह पर सोनिया गांधी को 'मुख्य संचालन शक्ति' के तौर पर बताया गया. यह कांग्रेस के लिए काफी असहज करने वाली बात थी. दरअसल, इस कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को पलट दिया था और फिनमेक्कानिका के पूर्व प्रमुख जी ओर्सी को साढ़े चार साल जेल की सजा सुनाई थी. इसके अलावा, फिनमेक्कानिका की हेलिकॉप्टर सब्सिडियरी कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के पूर्व सीईओ ब्रूनो स्पाग्नोलिनी को भारत को 12 वीवीआईटी हेलिकॉप्टर बेचने से संबंधित 3,600 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की डील से संबंधित एकाउंटिंग में फर्जीवाड़ा करने और भ्रष्टाचार के मामले में इटली की यह अदालत 4 साल की जेल की सजा सुना चुकी है.

क्रिश्चियन मिशेल

मिशेल का प्रत्यर्पण मोदी सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि

एक ब्रिटिश नागरिक का तीसरे देश यानी संयुक्त अरब अमीरात से प्रत्यपर्ण हासिल करना मोदी सरकार के लिए वाकई में बड़ी उपलब्धि है. यह इस शख्स को भारत लाने के सरकार के निश्चय और राजनीतिक इच्छाशक्ति को दिखाता है. सरकार ने कई मोर्चों पर सफलतापूर्वक इसके लिए अपनी दावेदारी को सक्रियता और प्रमुखता के साथ पेश किया. इसके तहत दुबई में आधिकारिक सिस्टम के अलावा कानूनी, राजनीतिक और कूटनीतिक मोर्चों पर भी गंभीर तरीके से प्रयास किए गए.

बोफोर्स मामले में मुख्य आरोपी ओतावियो क्वात्रोची को कभी भारत नहीं लाया जा सका और चीजों को इस तरीके से देखा जाए तो क्रिश्चियन मिशेल का प्रत्यपर्ण नए मानक तैयार करता है. इस पूरे मामले में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों के लिहाज से राजनीतिक संवेदनशीलता काफी ज्यादा है. हालांकि, दोनों पार्टियों के लिए संवेदनशीलता का यह मामला पूरी तरह से अलग-अलग वजहों से है.

मौजूदा परिस्थितियों में युवा कांग्रेस के लीगल सेल के राष्ट्रीय प्रमुख रह चुके अलजो जोसेफ का मिशेल के बचाव में अदालत में पेश होना कई तरह के निहितार्थों से भरा है. बीजेपी इस अवसर को जाने नहीं दे सकती थी- जाहिर तौर पर जोसेफ, मिशेल और कांग्रेस के पहले परिवार को एक-दूसरे से जोड़ने के मौके को वह पूरी तरह से इस्तेमाल करना चाहेगी. मुमकिन है कि बीजेपी के तर्क में दम नहीं हो, लेकिन इसमें टिकाऊ राजनीतिक भाषणबाजी के लिए गुंजाइश थी. कांग्रेस नेतृत्व द्वारा इस मामले में तुरंत हरकत में आ जाना और जोसेफ को पार्टी से निष्कासित किया जाना देश की मुख्य विपक्षी पार्टी के संगठन में तनाव और डर व्याप्त होने की तरफ इशारा करता है.

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ऐसा लगता है कि जोसेफ ने कपिल सिब्बल से किसी तरह का सबक नहीं सीखा, जिन्होंने दिसंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट में एक मुस्लिम समूह के लिए पेश होते हुए कहा था कि अदालत को राम जन्मभूमि स्थल विवाद केस की सुनवाई करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. कपिल सिब्बल ने इस मामले में अदालत से अनुरोध किया था कि सुनवाई को जुलाई 2019 (अगले संसदीय चुनाव और अगली सरकार के गठन के बाद) तक स्थगित कर दी जाए. सिब्बल की इस तरह की बातों ने कांग्रेस के लिए परेशानी और असहजता की स्थिति पैदा कर दी है. हालांकि, उसके बाद सिब्बल ने खुद को राम मंदिर मामले से अलग कर लिया, लेकिन जोसेफ ने इस बात को लेकर प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है कि वह मिशेल मामले से दूर हो रहे हैं.