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नेपाल में नोट बैन: रोटी-बेटी के संबंध में रुपया बन सकता है दरार

कहते हैं भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का संबंध है. लेकिन हालिया वर्षों में इस संबंध में सीलन बढ़ने लगी है.

Anand Dutta

कहते हैं भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का संबंध है. लेकिन हालिया वर्षों में इस संबंध में सीलन बढ़ने लगी है. भारत के बाद अब नेपाल सरकार के एक फैसले से दोनों देशों के रिश्ते में सीलन बढ़ने जा रही है. बीते गुरुवार को नेपाल सरकार ने फैसला लिया कि उनके देश में भारत के 200, 500 और 2000 रुपए के नोट नहीं चलेंगे. इन्हें बैन कर दिया गया है.

केवल दस, बीस, 50 और 100 रुपए के नोट चलेंगे. इसका सबसे अधिक सीमावर्ती इलाकों में देखने को मिल रहा है. ध्यान देनेवाली बात है कि नेपाल के व्यापारियों पर इसका असर कम है, क्योंकि भारतीय पैसों का इस्तेमाल वह भारत आकर कर सकते हैं. लेकिन भारतीय व्यापारियों को नेपाल में कारोबार करने के लिए अब बड़े नोट ले जाने पर पाबंदी होगी.


क्या हो सकती है फैसले की वजह

नेपाल मामलों के जानकार आनंद स्वरूप वर्मा साफ कहते हैं कि इससे दोनों देशों के राजनयिक, व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ेगा. वो ये भी मानते हैं कि अगर नेपाल में नेपाली कांग्रेस की सरकार होती तो शायद भारत सरकार नोटबंदी के बाद नेपाल में भारतीय पैसों के संबंध में कुछ सकारात्मक फैसले ले सकती थी.

लेकिन कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार होने की वजह से शायद भारत सरकार ने केपी ओली के अनुरोध को अनसुना कर दिया और गुस्से में आकर नेपाल सरकार ने अब इस तरह का फैसला लिया है. आनंद स्वरूप वर्मा ने कहा कि इससे नेपाल का पर्यटन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. क्योंकि इस वक्त भारत में 100 के नोट भी बहुत उपलब्ध नहीं हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर

वहीं काठमांडू से प्रकाशित दैनिक अखबार अन्नपूर्णा पोस्ट के सीनियर रिपोर्टर पत्रकार नवीन झा बताते हैं, ‘भारत में जब नोटबंदी का फैसला लिया गया तब इसका असर नेपाल पर बहुत अधिक पड़ा था. उस वक्त नेपाल के केंद्रीय बैंक ने कहा था कि उनके बैंक में आठ करोड़ रुपए के ऐसे भारतीय नोट हैं जिन्हें बैन किया गया है. जिस तरह भारत सरकार अपने नागरिकों से पुराने नोट लौटाकर नए नोट दे रही है, उसी तरह का एक्सचेंज नेपाल के साथ भी हो.’

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भारत में नोटबंदी के बाद नेपाली पीएम केपी ओली ने साल 2018 सितंबर में भारत के प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा के दौरान इस बात को उठाया था. हालांकि नेपाल सरकार की तरफ से नोट बैन क्यों किया गया, इस पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है. नवीन झा ने यह भी कहा कि तराई इलाके के 22 जिलों में इसका अधिक असर देखने को मिलेगा.

जानकारी के मुताबिक इस तरह का फैसला नेपाल में एक बार पहले भी लिया गया है. साल 1999 में भारत सरकार के आग्रह पर नेपाल में भारतीय 500 रुपए और 1000 रुपए के नोट अवैध घोषित कर दिए गए थे. उस साल आतंकियों ने भारतीय यात्री विमान का अपहरण कर लिया था. इसके बाद भारत सरकार ने नेपाल से ऐसा आग्रह किया था. बावजूद इसके नेपाल में ऐसे भारतीय नोट इस्तेमाल हो रहे थे.

टेंशन नहीं है, भारत आकर करेंगे पैसों का इस्तेमाल

विराटनगर में अस्पताल संचालक रूपेश दत्त बताते हैं कि इससे छोटे कारोबारियों को थोड़ी परेशानी जरूर हो रही है. लेकिन बड़े कारोबारियों को नहीं. उनके पास भी इस तरह के भारतीय नोट हैं, इसका इस्तेमाल वह भारत आने पर करेंगे. चूंकि बिहार के पटना, मधुबनी जैसे इलाकों में आना जाना लगा रहता है, सो बहुत अधिक परेशानी वाली बात नहीं है. वहीं बिहार के मधुबनी जिले के लौकहा बॉर्डर पार करते ही पहला गांव ठाढी के स्थानीय निवासी इंद्र नारायण बताते हैं कि जिनके पास अधिक भारतीय नोट हैं, वहां पुलिस छापेमारी कर रही है.

आम लोगों को अधिक परेशानी नहीं हो रही है. वहीं काठमांडू में होटल कारोबार से जुड़े व्यवसाई योगेश थापा बताते हैं कि उनके होटल में भारतीय लोग अधिक आते हैं. अब शायद उनकी आवक कम हो सकती है. क्योंकि वह अपने नोट यहां नेपाली पैसे में एक्सचेंज भी नहीं कर पाएंगे. विराटनगर में लंबे समय से रह रहे भारतीय संजय दत्त कहते हैं कि यह सब केवल मधेशियों को परेशान करने के लिए किया गया है. कुछ समय पहले यहां जो एंबेसी कार्यालय था, उसे बंद कर दिया गया है. हर छोटे-बड़े काम के लिए अब काठमांडू जाना पड़ता है.

प्रतीकात्मक

वहीं बॉर्डर इलाके जयनगर के भारतीय व्यवसाई राकेश महतो का कहना है कि नेपाल से सामान लाना थोड़ा सस्ता है, ऐसे में अब उन्हें 100 के नोटों की गड्डी बनाकर रखनी होगी. आप समझ सकते हैं कि इससे इन इलाकों में पहले से ही सौ रुपए के नोटों की कमी है, अब और कमी होने जा रही है. क्योंकि व्यापारी इसे जमा कर रखेंगे.

बेटी-रोटी रिश्ते पर पड़ेगा असर, बैंकिंग पर नहीं

नेपाल मामलों के जानकार और हिन्दुस्तान अखबार के झारखंड के सीनियर रेजिडेंट एडिटर विनोद बंधू इसे भारत के खिलाफ फैसला नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय पैसा नेपाल में फ्लो तो करता है, लेकिन वह बैंकों तक नहीं पहुंच पाता. बॉर्डर फ्री होने की वजह से लोग जाते हैं और कारोबार कर लौट आते हैं. इसका नकारात्मक असर नेपाल के बैंकिंग व्यवस्था पर पड़ता है. नेपाल की यह चिंता काफी लंबे समय से बनी हुई थी.

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नेपाल को अब करना ये चाहिए कि भारतीय व्यापारियों, आम लोगों के लिए बैंकों तक पहुंच बढ़ानी चाहिए. लेकिन यह आसान नहीं है, बॉर्डर इलाकों में मोबाइल नेटवर्क की कमी की वजह से यह मुश्किल है. उन्होंने यह भी कहा कि इससे नेपाल की बैंकिंग व्यवस्था मजबूत तो होगी, लेकिन बॉर्डर इलाकों में होनेवाले कारोबार और शादी-ब्याह पर इसका असर जरूर पड़ेगा.